समस्या देखकर आया आइडिया

किशोर अवस्था में अपने पिता के साथ 12 किलोमीटर दूर मंडी तक सब्जी पहुंचाने की चुनौतियों को देखने वाले सतीश महतो ने महसूस किया कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता। सप्लाई चेन में बड़ी खामियां हैं। टूरिज्म मैनेजमेंट में स्नातक और IITTM भुवनेश्वर से लॉजिस्टिक्स में एमबीए की पढ़ाई के दौरान उन्हें इन समस्याओं का समाधान मिला। व्यावहारिक ज्ञान के लिए लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में कुछ कंपनियों में काम करने के बाद उन्होंने फीडको एग्रोकार्ट की स्थापना की। यह प्लेटफॉर्म सीमांत किसानों, बागवानी करने वालों और किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) को खुदरा विक्रेताओं, सुपरमार्केट और बड़े संस्थागत खरीदारों (जैसे सेना और अस्पताल) से सीधे जोड़ता है। इससे उपज की क्वालिटी और ग्रेडिंग सुनिश्चित होती है। साथ ही किसानों को बेहतर और निरंतर दाम मिलते हैं।
कचरे से कमाई का मॉडल

सतीश महतो की सबसे बड़ी खूबी उनका फसल अवशेष प्रबंधन पर फोकस करना है। उनका स्टार्टअप हर साल 1,500 टन कृषि कचरे (जैसे स्वीट कॉर्न, मटर, मूंगफली के पत्ते, भूसी) का प्रबंधन करता है। इस अवशेष को पशु आहार, पैकेजिंग सामग्री और यहां तक कि फार्मा उद्योग में भी इस्तेमाल किया जाता है। उदाहरण के लिए स्वीट कॉर्न के रेशे फार्मा उद्योग में और कॉर्न कॉब (डंठल) का इस्तेमाल पशु आहार और पैकेजिंग में होता है। सतीश महतो किसानों को इस कचरे के लिए भुगतान करते हैं। इससे किसानों के खेत जल्दी खाली हो जाते हैं। इस कारण वे साल में चार बार तक फसल उगा पाते हैं। इस मॉडल से अब तक लगभग 7,000 किसान लाभान्वित हुए हैं। उनकी इनकम में 40% की बढ़ोतरी हुई है। वे औसतन 18,000 रुपये महीना कमा रहे हैं।
बंपर हो रही है कमाई
सतीष महतो के 90% से ज्यादा ऑपरेशन झारखंड में हैं। छत्तीसगढ़ और बंगाल के कुछ हिस्सों में भी वह सक्रिय हैं। उनकी कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 60 लाख रुपये का रेवेन्यू हासिल किया। अकेले क्रॉप रेसिड्यू ऑपरेशन यानी फसल अवशेष संचालन से उन्होंने 2024-25 में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व पार कर लिया है। व्यापार के साथ सतीश का उद्देश्य सामाजिक प्रभाव डालना है। कंपनी 200 से ज्यादा आदिवासी परिवारों की आजीविका का समर्थन करते हुए लघु वन उपज (माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस) का व्यापार भी करती है। इसके अलावा, कंपनी श्रमिकों को बाजार दर से 25% अधिक भुगतान करती है और ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन रोकने के लिए केवल स्थानीय लोगों को रोजगार देती है।
IIM अहमदाबाद से फेलोशिप

सतीष महतो के वेंचर का पर्यावरणीय प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण है। कृषि कचरे को जलाने से रोककर यह 30% कार्बन उत्सर्जन और 40% वायु प्रदूषण को कम करता है। कंपनी किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करती है। इसके कारण कंपनी की ओर से बेची जाने वाली 50% उपज अब जैविक है। सतीश को IIM अहमदाबाद के 'द बुद्ध इंस्टीट्यूट' से प्रतिष्ठित फेलोशिप भी मिली है। यह उनके सामाजिक योगदान को मान्यता देती है। सतीश की योजना एनआरएलएम (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) के जरिये राज्य सरकार के साथ सहयोग करके सूक्ष्म-उद्यमियों को बढ़ावा देना है ताकि आर्थिक सशक्तिकरण और टिकाऊ आजीविका को सुनिश्चित किया जा सके।
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