नई दिल्ली: अमेरिका अब भारत पर फोकस कर रहा है। उसकी नजर अब भारत की न्यूक्लियर एनर्जी पर है। अमेरिका की एक कंपनी ब्रुकफील्ड एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड भारत में बड़ा निवेश करने वाली कंपनियों में से एक है। कंपनी अगले पांच सालों में भारत में 100 बिलियन डॉलर से ज़्यादा का निवेश करने की योजना बना रही है। कंपनी के एक बड़े अधिकारी ने कहा कि वे परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं (nuclear power projects) को भी समर्थन देने के लिए तैयार हैं। हाल ही में इस क्षेत्र को लेकर सरकार ने भी बढ़ावा दिया है। अगर, अमेरिका का निवेश भारत में ज्यादा बढ़ता है तो इससे पाकिस्तान और चीन दोनों की ही टेंशन बढ़ेगी। जानते हैं पूरी कहानी। भारत का न्यूक्लियर एनर्जी का 2032 तक ये है लक्ष्यभारत बढ़ती ऊर्जा डिमांड को पूरा करने और पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सक्रिय रूप से अपनी परमाणु ऊर्जा क्षमता बढ़ा रहा है। सरकार ने 2031-32 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता को मौजूदा 8,180 मेगावॉट से बढ़ाकर 22,480 मेगावॉट करने के लिए कदम उठाए हैं। इस विस्तार में गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में कुल 8,000 मेगावॉट के दस रिएक्टरों का निर्माण और उसे चालू करना शामिल है। इसके अतिरिक्त 10 और रिएक्टरों के लिए पूर्व-परियोजना गतिविधियां शुरू हो गई हैं, जिन्हें 2031-32 तक पूरा करने की योजना है। इसके अलावा सरकार ने आंध्र प्रदेश राज्य में श्रीकाकुलम जिले के कोव्वाडा में अमेरिका के सहयोग से 6 x1208 मेगावॉट का परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस और अमेरिका के दौरे पर परमाणु ऊर्जा को लेकर सहयोग पर बात की है।
छोटी भट्ठी के लिए अमेरिका इतना बड़ा दांव क्यों लगा रहाभारत को परमाणु ऊर्जा में अग्रणी बनने की ज़रूरत है क्योंकि यह एक विश्वसनीय और पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा स्रोत है। दरअसल, भारत में बिजली का पांचवां सबसे बड़ा स्रोत परमाणु ऊर्जा है। यह देश के कुल बिजली उत्पादन में करीब 2-3% का योगदान देता है। एक तो यह यह ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करता है और दूसरा यह रेगुलर इलेक्ट्रिसिटी की आपूर्ति करता है। यह भूमि और प्राकृतिक संसाधनों जैसे पर्यावरणीय सोर्स पर सबसे कम असर डालती है। यही वजह है छोटे परमाणु रिएक्टरों को परमाणु भट्ठी भी कहा जाता है, जो रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करते हैं। अमेरिका की इसी पर नजर है। भारत का परमाणु ऊर्जा का लक्ष्या 100 गीगावाटदरअसल, भारत का लक्ष्य साल 2047 तक कम से कम 100 गीगावाट की परमाणु एनर्जी क्षमता हासिल करना है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत में परमाणु ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने की जरूरत है। परमाणु ऊर्जा से जुड़े बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की जरूरत है। जैसे ही भारत अपने परमाणु दायित्व कानून में संशोधन करेगा, इससे विदेशी कंपनियां आने लगेंगी, जो भारी भरकम जुर्माने के डर से निवेश के लिए डरती हैं।
परमाणु ऊर्जा पर्यावरण के लिए साफ-सुथरीब्रुकफील्ड का न्यूयॉर्क में मुख्यालय है। इसका मकसद है कि वह इस दौरान अपनी संपत्ति को लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर से दोगुना कर ले। ब्रुकफील्ड एसेट मैनेजमेंट के अध्यक्ष कॉनर टेस्की ने कहा है कि हम परमाणु ऊर्जा में विश्वास करते हैं। हमें लगता है कि यह साफ और लगातार बिजली देने का एक अच्छा तरीका है। इससे दुनिया भर में ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि भविष्य में साफ ऊर्जा की मांग बढ़ेगी। इसमें प्राकृतिक गैस (natural gas) और परमाणु ऊर्जा शामिल हैं। प्राकृतिक गैस को ऊर्जा के बदलाव के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
50 फीसदी परमाणु ऊर्जा इस तकनीक सेअमेरिका में ब्रुकफील्ड के पास वेस्टिंगहाउस न्यूक्लियर (Westinghouse Nuclear) है। यह परमाणु ऊर्जा क्षेत्र की एक बड़ी कंपनी है। यह दुनिया भर में बिजली कंपनियों को परमाणु ऊर्जा संयंत्र, ईंधन और सेवाएं देती है। टेस्की ने कहा है कि दुनिया भर में आधे से ज्यादा परमाणु ऊर्जा उत्पादन वेस्टिंगहाउस की तकनीक से होता है। हम परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र को सामान सप्लाई करते हैं। अलग-अलग बाजारों में अवसरों को देखकर हम उन पर विचार करते हैं। न्यूक्लियर एनर्जी में थ्री डी निवेश की स्ट्रैटेजी कंपनी की निवेश रणनीति को '3डी' - डीकार्बोनाइजेशन (decarbonisation), डिजिटलाइजेशन (digitalisation) और डीग्लोबलाइजेशन (deglobalisation) बताया गया है। टेस्की ने कहा कि इन रुझानों ने पिछले पांच सालों में कंपनी को काफी बढ़ाया है। आगे भी विकास के कई मौके मिलेंगे। क्या होते हैं भारत स्मॉल रिएक्टर, जो ला सकते हैं क्रांतिभारत लघु रिएक्टर(BSR) मूल रूप से कॉम्पैक्ट परमाणु रिएक्टर हैं , जिन्हें पारंपरिक बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की तुलना में छोटे पैमाने पर बिजली पैदा करने के लिए डिजाइन किया गया है। बीएसआर भारत की आजमाई हुई और परखी हुई 220 मेगावाट दबावयुक्त भारी पानी रिएक्टर (पीएचडब्ल्यूआर) प्रौद्योगिकी पर आधारित होंगे, जिनमें से 16 इकाइयां देश में पहले से ही चालू हैं। अब इसमें निजी क्षेत्र की भी भागीदारी होगी। अभी देश में तैनात है 24 रिएक्टर, 10 और बनेंगेदेश में वर्तमान में 24 परमाणु उर्जा रिएक्टरों की कुल स्थापित परमाणु उर्जा क्षमता 8,180 मेगावाट है। लिखित उत्तर के अनुसार वर्तमान में भारतीय परमाणु उर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) की कुल 15,300 मेगावाट क्षमता के 21 परमाणु रिएक्टर अलग-अलग फेज में है। इसके अलावा (भारतीय नाभकीय विद्युत निगम लिमिटेड के प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर सहित कुल 7,300 मेगावाट क्षमता के 9 रिएक्टर निर्माणाधीन हैं। 8,000 मेगावाट क्षमता के 12 रिएक्टर परियोजना पूर्व गतिविधियों के तहत हैं। अब तक कितना पैसा लगा चुकी है यह कंपनी2014 से कंपनी ने भारत में लगभग 30 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। इसमें एटीसी टावर्स (ATC Towers) का अधिग्रहण, रिलायंस जियो (Reliance Jio) के टेलीकॉम टावर और रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) से ईस्ट-वेस्ट पाइपलाइन खरीदना शामिल है। इसमें से 12 बिलियन डॉलर इंफ्रास्ट्रक्चरऔर रियल एस्टेट में, 3 बिलियन डॉलर रिन्यूएबल पावर और ट्रांजीशन में और 3.6 बिलियन डॉलर प्राइवेट इक्विटी और ब्रुकफील्ड स्पेशल इन्वेस्टमेंट्स में निवेश किया गया है। भारत बन सकता है स्वच्छ ऊर्जा का सुपर पॉवरटेस्की ने कहा कि भारत में स्वच्छ ऊर्जा में विकास की संभावना, अच्छी कंपनियों की संख्या और सरकार की महत्वाकांक्षा मिलकर भारत को अगला स्वच्छ ऊर्जा का सुपरपावर (superpower) बनाने के लिए तैयार हैं। भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ने के साथ-साथ ये सभी चीजें और बेहतर होंगी। इससे घरेलू मांग भी बढ़ेगी और भारत दुनिया में एक बड़ी भूमिका निभा पाएगा।


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