नई दिल्ली: अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर छिड़ चुकी है। अमेरिका भले सुपरपावर है, लेकिन चीन से उलझकर वह ज्यादा नुकसान में रहेगा। चेन्नई के फाइनेंशियल प्लानर डी. मुथुकृष्णन ने वैश्विक बाजारों में गिरावट और बढ़ते टैरिफ के बीच गंभीर चेतावनी दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा कि भले ही यह अजीब लगे। लेकिन, अमेरिका को चीन की जितनी जरूरत है, उससे ज्यादा चीन को अमेरिका की जरूरत नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि अगर चीन को एक आंख का नुकसान होता है तो अमेरिका अपनी दोनों आंखें खो देगा। दुनिया का एक बड़ा हिस्सा भी आंशिक रूप से अंधा हो जाएगा। यह चेतावनी अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते व्यापार युद्ध के बीच आई है। डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयातित सामानों पर 50% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इससे अमेरिका का चीनी सामानों पर कुल टैरिफ 84% तक पहुंच गया है। व्हाइट हाउस के 10% वैश्विक टैरिफ के साथ मिलाकर चीन को अब अमेरिका में 94% आयात शुल्क का सामना करना पड़ेगा। ट्रंप ने यह घोषणा अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल के जरिये की। ट्रंप ने चीन को टैरिफ का दुरुपयोग करने वाला बताया। उन्होंने यह भी कहा कि चीन के साथ सभी व्यापार वार्ताएं रोक दी जाएंगी। अन्य देशों के साथ बातचीत आगे बढ़ेगी। ये वो देश हैं जिन्होंने जवाबी कार्रवाई नहीं की है। ट्रंप के इस फैसले के बाद वैश्विक शेयर बाजारों और तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई है। अमेरिका को चीन की ज्यादा जरूरत डी. मुथुकृष्णन ने जो कहा, उसका मतलब है कि अमेरिका और चीन दोनों एक-दूसरे पर बहुत निर्भर हैं। अगर व्यापार में कोई बड़ी समस्या आती है तो दोनों देशों को नुकसान होगा। सिर्फ ये ही नहीं, दुनिया के कई और देशों को भी इसका असर झेलना पड़ेगा।डी. मुथुकृष्णन ने इस मामले पर अपनी राय देते हुए कहा कि अमेरिका को चीन की ज्यादा जरूरत है। किसी भी देश में अच्छी सप्लाई चेन बनाने और मैन्युफैक्चरिंग को बेहतर करने में सालों लग जाते हैं। अगर चीन को नुकसान होता है तो अमेरिका को उससे भी ज्यादा नुकसान होगा।चीन ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर अमेरिका इस तरह के कदम उठाता है तो एक दर्दनाक व्यापार युद्ध शुरू हो जाएगा। चीन का कहना है कि इससे किसी को भी फायदा नहीं होगा। अमेरिका को झेलने होंगे कई तरह के नुकसान यह सच है कि अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर से अमेरिका को कई तरह के नुकसान हो सकते हैं। आइए, यहां समझते हैं कैसे? महंगाई बढ़ेगी: चीन से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ लगाने से अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ सकती हैं। कई अमेरिकी कंपनियां उत्पादन के लिए चीनी सामान पर निर्भर हैं। इन पर शुल्क लगने से उनकी लागत बढ़ेगी। इसे वे अंत में उपभोक्ताओं पर डाल सकती हैं। सप्लाई चेन बाधित होगी: टैरिफ और व्यापार प्रतिबंधों के कारण दोनों देशों के बीच वस्तुओं का प्रवाह बाधित हो सकता है। अमेरिकी कंपनियों को अपने उत्पादन के लिए वैकल्पिक सप्लायर खोजने में मुश्किल हो सकती है। इससे देरी और लागत में बढ़ोतरी हो सकती है। मैन्युफैक्चरिंग पर कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा: ट्रंप को लगता है कि उनके कदमों से अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को फायदा होगा क्योंकि कंपनियां चीन के बजाय अमेरिका में उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित होंगी। हालांकि, लोगों का ऐसा भी मानना है कि अमेरिका के पास कुशल कामगारों की कमी है। इसके चलते ट्रंप की मंशा शायद पूरी न हो। इसके अलावा, कई अमेरिकी कंपनियां वैश्विक सप्लाई चेन का हिस्सा हैं और चीन से आयातित घटकों पर निर्भर हैं। इसलिए उन पर टैरिफ लगने से उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो सकती है। अमेरिका को ज्यादा नुकसान की आशंका: कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ट्रेड वॉर से अमेरिका को चीन की तुलना में अधिक नुकसान हो सकता है। अमेरिकी उपभोक्ता और कंपनियां आयातित वस्तुओं पर अधिक कीमत चुकाएंगे और अमेरिकी निर्यात पर चीन के जवाबी टैरिफ से अमेरिकी किसानों और व्यवसायों को नुकसान होगा। मंदी के बढ़ते आसार: कई वित्तीय संस्थानों ने अब अमेरिका में मंदी की आशंका को पहले की तुलना में अधिक आंका है। सप्लाई चेन में संभावित व्यवधान, बढ़ती महंगाई और व्यापार अनिश्चितता व्यवसायों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए चिंता का विषय है।
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