नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नियमों में कुछ बदलाव किए हैं जिनसे ग्राहकों और बैंकों को फायदा होगा। कुल मिलाकर सात बदलाव किए गए हैं। माना जा रहा है कि इनसे ब्याज दरों का फायदा ग्राहकों तक जल्दी पहुंचेगा, गोल्ड लोन लेना आसान होगा और बड़े कर्ज देने के नियम भी थोड़े ढीले होंगे। इन सात बदलावों में से तीन नियम 1 अक्टूबर से लागू होंगे जबकि बाकी चार नियम अभी सिर्फ प्रस्ताव हैं। इन पर लोगों से राय मांगी गई है।
नए नियमों के तहत बैंक फ्लोटिंग रेट वाले कर्ज पर 'स्प्रेड' को कम कर सकते हैं। यह काम वे तीन साल की मौजूदा लॉक-इन अवधि से पहले भी कर पाएंगे। इस कदम से कर्ज लेने वालों को बहुत फायदा होगा। जब RBI ब्याज दरें घटाएगा, तो इसका फायदा ग्राहकों को जल्दी मिलेगा। इससे उनकी EMI कम हो सकती है। या उन्हें कम ब्याज देना होगा। इसके अलावा, बैंक अब ग्राहकों को एक और विकल्प दे सकते हैं। जब ब्याज दरें बदलें, तो ग्राहक अपने फ्लोटिंग रेट कर्ज को फिक्स्ड रेट कर्ज में बदल सकते हैं। हालांकि, बैंकों के लिए यह विकल्प देना अब जरूरी नहीं होगा।
गोल्ड पर लोन
इसके अलावा, RBI ने सोने और चांदी के बदले कर्ज देने के नियमों को भी आसान किया है। अब बैंक और छोटे शहरी सहकारी बैंक (टियर-3 और टियर-4) भी कर्ज दे पाएंगे। यह कर्ज उन सभी लोगों को मिलेगा जो सोने का इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर करते हैं। पहले यह कर्ज सिर्फ ज्वैलर्स को मिलता था। अब कोई भी ऐसा कारोबारी जो सोने को कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल करता है, वह कर्ज ले सकता है।
केंद्रीय बैंक ने बेसल III के पूंजी नियमों में भी बदलाव किया है। अब बैंक विदेश में जारी किए गए PDIs (परपेचुअल डेट इंस्ट्रूमेंट्स) के लिए ज्यादा पूंजी जुटा पाएंगे। ये PDIs विदेशी मुद्रा या रुपये में हो सकते हैं। इस बदलाव से बैंकों को फायदा होगा। वे विदेशों से अपनी टियर-1 पूंजी आसानी से बढ़ा पाएंगे। जो प्रस्ताव अभी लोगों की राय के लिए रखे गए हैं, उनमें कुछ और बातें हैं।
कैसे मिलेगा ज्यादा कर्ज
आरबीआई ने गोल्ड मेटल लोन (GML) चुकाने की अवधि बढ़ाने का सुझाव दिया है। यह अवधि 180 दिन से बढ़ाकर 270 दिन करने की बात है। साथ ही ऐसे ज्वैलर्स जो खुद गहने नहीं बनाते, वे भी GML ले पाएंगे। यह कर्ज वे अपने आउटसोर्स किए गए काम के लिए ले सकेंगे। नियामक ने भारत में विदेशी बैंकों की शाखाओं के लिए भी नियम बदलने का प्रस्ताव दिया है। इसमें 'लार्ज एक्सपोजर फ्रेमवर्क' (LEF) और 'इंट्राग्रुप ट्रांजैक्शन एंड एक्सपोजर' (ITE) नियमों को एक जैसा करने की बात है। अब हेड ऑफिस को दिए गए कर्ज को सिर्फ LEF के तहत देखा जाएगा। कर्ज के जोखिम को कम करने के फायदे अब ज्यादा तरह के कर्ज पर मिलेंगे।
क्रेडिट डेटा को और बेहतर और सही बनाने के लिए भी RBI ने एक प्रस्ताव दिया है। क्रेडिट देने वाली संस्थाओं को अब हर हफ्ते क्रेडिट ब्यूरो को जानकारी देनी होगी। अभी यह जानकारी हर 15 दिन में दी जाती है। इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि गलतियों को जल्दी ठीक किया जाए। और ग्राहक रिपोर्ट में CKYC नंबर भी शामिल किए जाएं। इन सभी प्रस्तावों पर लोग 20 अक्टूबर तक अपनी राय दे सकते हैं।
नए नियमों के तहत बैंक फ्लोटिंग रेट वाले कर्ज पर 'स्प्रेड' को कम कर सकते हैं। यह काम वे तीन साल की मौजूदा लॉक-इन अवधि से पहले भी कर पाएंगे। इस कदम से कर्ज लेने वालों को बहुत फायदा होगा। जब RBI ब्याज दरें घटाएगा, तो इसका फायदा ग्राहकों को जल्दी मिलेगा। इससे उनकी EMI कम हो सकती है। या उन्हें कम ब्याज देना होगा। इसके अलावा, बैंक अब ग्राहकों को एक और विकल्प दे सकते हैं। जब ब्याज दरें बदलें, तो ग्राहक अपने फ्लोटिंग रेट कर्ज को फिक्स्ड रेट कर्ज में बदल सकते हैं। हालांकि, बैंकों के लिए यह विकल्प देना अब जरूरी नहीं होगा।
गोल्ड पर लोन
इसके अलावा, RBI ने सोने और चांदी के बदले कर्ज देने के नियमों को भी आसान किया है। अब बैंक और छोटे शहरी सहकारी बैंक (टियर-3 और टियर-4) भी कर्ज दे पाएंगे। यह कर्ज उन सभी लोगों को मिलेगा जो सोने का इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर करते हैं। पहले यह कर्ज सिर्फ ज्वैलर्स को मिलता था। अब कोई भी ऐसा कारोबारी जो सोने को कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल करता है, वह कर्ज ले सकता है।
केंद्रीय बैंक ने बेसल III के पूंजी नियमों में भी बदलाव किया है। अब बैंक विदेश में जारी किए गए PDIs (परपेचुअल डेट इंस्ट्रूमेंट्स) के लिए ज्यादा पूंजी जुटा पाएंगे। ये PDIs विदेशी मुद्रा या रुपये में हो सकते हैं। इस बदलाव से बैंकों को फायदा होगा। वे विदेशों से अपनी टियर-1 पूंजी आसानी से बढ़ा पाएंगे। जो प्रस्ताव अभी लोगों की राय के लिए रखे गए हैं, उनमें कुछ और बातें हैं।
कैसे मिलेगा ज्यादा कर्ज
आरबीआई ने गोल्ड मेटल लोन (GML) चुकाने की अवधि बढ़ाने का सुझाव दिया है। यह अवधि 180 दिन से बढ़ाकर 270 दिन करने की बात है। साथ ही ऐसे ज्वैलर्स जो खुद गहने नहीं बनाते, वे भी GML ले पाएंगे। यह कर्ज वे अपने आउटसोर्स किए गए काम के लिए ले सकेंगे। नियामक ने भारत में विदेशी बैंकों की शाखाओं के लिए भी नियम बदलने का प्रस्ताव दिया है। इसमें 'लार्ज एक्सपोजर फ्रेमवर्क' (LEF) और 'इंट्राग्रुप ट्रांजैक्शन एंड एक्सपोजर' (ITE) नियमों को एक जैसा करने की बात है। अब हेड ऑफिस को दिए गए कर्ज को सिर्फ LEF के तहत देखा जाएगा। कर्ज के जोखिम को कम करने के फायदे अब ज्यादा तरह के कर्ज पर मिलेंगे।
क्रेडिट डेटा को और बेहतर और सही बनाने के लिए भी RBI ने एक प्रस्ताव दिया है। क्रेडिट देने वाली संस्थाओं को अब हर हफ्ते क्रेडिट ब्यूरो को जानकारी देनी होगी। अभी यह जानकारी हर 15 दिन में दी जाती है। इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि गलतियों को जल्दी ठीक किया जाए। और ग्राहक रिपोर्ट में CKYC नंबर भी शामिल किए जाएं। इन सभी प्रस्तावों पर लोग 20 अक्टूबर तक अपनी राय दे सकते हैं।
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