वैशाख में व्रत नहीं करने वाले को मिलती है पशु योनि
स्कंदपुराण में नारदजी, राजा अम्बरीष को वैशाख मास की महिमा का विस्तार से वर्णन करते हैं। वह कहते हैं कि जिस तरह नेत्रों के समान ज्योति नहीं है, भोजन के समान तृप्ति नहीं है, आरोग्य के समान आनन्द नहीं है, केशव के समान रक्षक नहीं है, उसी तरह वैशाख के सामना दूसरा महीना नहीं है। शेषनाग पर विराजमान भगवान विष्णु को वैशाख मास सर्वदा प्रिय है। इस महीने के लिए नारदजी बताते हैं कि अगर कोई व्यक्ति वैशाख महीने में व्रत नहीं करता है तो वह सभी धर्मों से बहिष्कृत हो जाता है और उसे जल्द ही पशुयोनि की प्राप्ति होती है। यही नहीं मृत्युलोक में पैदा होने वाले जिन मनुष्यों का जीवन वैशाख मास में बिना व्रत के बीतता है, उनका जीवन व्यर्थ चला जाता है।
वैशाख में ब्राह्मण को भोजन देने से मना नहीं करना चाहिए
नारदजी बताते हैं कि जो मनुष्य वैशाख महीने में रास्ते में थके हुए ब्राह्मण को भोजन नहीं देता है, उसे इस संसार में पिशाच होकर अपने ही मांस को खाता है। वैशाख महीने में तीर्थों के अधिष्ठाता देवता बाहर आते हैं और भगवान विष्णु की आज्ञा अनुसार मनुष्यों का हित करने के लिए ठहरते हैं, लेकिन इस समय तक स्नान करने के लिए जो मनुष्य बाहर नहीं आते हैं उनको ये देवता श्राप देकर चले जाते हैं।
ये दान नहीं करने वाले के लिए बंद होते हैं स्वर्ग के दरवाजे
राजा अम्बरीष को नारदजी बताते हैं कि जो मनुष्य वैशाख मास में ब्राह्मण के विश्राम के लिए मंडप, पानी पीने के लिए प्याऊ, मार्ग में बगीचा, तालाब, कुआं, केतकी और मालती के फूल का दान, नारियल का दान, फल दान में से कुछ भी नहीं करता है, उसे स्वर्ग नहीं मिलता है। वैशाख महीने में दिन में सोने, कांसे के पात्र में भोजन करने, मीट-मांस, शराब आदि के सेवन करने की मनाही है।
नियमित स्नान नहीं करने वाला अगले जन्म में बनता है पशु

नारदजी बताते हैं कि वैशाख महीने में जो व्यक्ति नियमित स्नान नहीं करता है तो उसे अगले जन्म में पशु योनि में जाना पड़ता है, ऐसा पुराण कहता है। पुराण में कहा गया है कि वैशाख के महीने में पवित्र नदियों, तीर्थ स्थलों पर स्नान करना चाहिए, घर पर स्नान करने से बचना चाहिए। लेकिन विद्वान वर्तमान में मानव की मजबूरियों को समझते हुए सलाह देते हैं कि वैशाख महीने में पवित्र नदियों के जल को घर लाकर रोजाना नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है।
लालच की वजह से दान नहीं करने वाला रहता है दुखी
नारदजी बताते हैं कि जो व्यक्ति वैशाख के महीने को बिना स्नान और दान के बिताता है तो वह अवश्य ही पिशाच होकर अधोगति को प्राप्त होता है। जो व्यक्ति वैशाख महीने में लालच की वजह से अन्न और जल का दान नहीं देता है तो उसके दुख और पाप कभी खत्म नहीं होते हैं। वैशाख के महीने में दान नहीं देने वाला दरिद्र हो जाता है। दरिद्र होने की वजह से पाप होता है और पाप करने से वह हर हाल में नरक में जाता है। इस वजह से सुख की इच्छा करने वाले लोगों को हमेशा दान करना चाहिए।
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