दिवाली बुराई पर अच्छाई की जीत और सुख समृद्धि का पर्व है। दिवाली की रात माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, दिवाली पर लक्ष्मी पूजन उस समय किया जाता है। जब अमावस्या तिथि प्रदोष काल में सथिर लग्न में हो। इस दौरान लक्ष्मी पूजन करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। साथ ही माता लक्षमी का घर में वास होता है। लेकिन, दिवाली पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन पूरे विधि विधान से करना बेहद जरुरी है। आइए जानते हैं दिवाली पर लक्ष्मी और गणेश पूजन की विधि। दिवाली पूजन से पहले रखें ये सामानदिवाली पूजन शुरु करने से पहले आपको अपने पास फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी,कलावा, रोली, सिंदूर, एक नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र , आम का पल्लव, कलश, समिधा, हवन कुण्ड, कमल गट्टे, पंचामृत, हवन सामग्री, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी, फल, बताशे, दीपक, रूई, आरती की थाली, कुशा, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी, अगरबत्ती, रक्त चंदनद, श्रीखंड चंदन, पांच तरह की मिठाई, कुमकुम, इत्र और आरती की थाली। दिवाली पूजन से पहले करें ये काम
- दिवाली की पूजा आरंभ करने से पहले पूजा के स्थान पर रंगोली बनाएं।
- इसके बाद एक लकड़ी की चौकी स्थापित करें और उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछा दें।
- इसके बाद जहां माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करनी है वहां पर चावल रखें। फिर गणेशजी और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
- इस दिन माता लक्ष्मी के साथ मां काली और धन के देवता कुबेर की पूजा भी की जाती है। इसलिए इनकी मूर्ति यदि आपके पास हो तो इनकी मूर्ती की भी स्थापना करें।
- साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भगवान विष्णु के बिना अधूरी मानी जाती है। इसलिए उनकी तस्वीर भी स्थापित करें। माता लक्ष्मी के दाई तऱफ गणेशजी और बाई करफ विष्णु भगवान की प्रतिमा स्थापित करें।
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