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भारत को विश्व गुरु बनाने का मंत्र...मोहन भागवत बोले स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए 'बलिदान'की जरूरत

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि भारतीयों को स्वतंत्रता को लेकर आत्मसंतुष्ट नहीं रहना चाहिए। उन्होंने 15 अगस्त के मौके पर ओडिशा के भुवनेश्वर में ध्वाजारोहण के बाद यह बात कही है। आरएसएस चीफ ने कहा कि भारतीयों को कड़ी मेहनत करना होगा और स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए बलिदान देना होगा और साथ ही वैश्विक समृद्धि और शांति में भी योगदान देना होगा। इस मौके पर उन्होंने कहा कि' स्वतंत्रता में स्व और तंत्र है। स्व के आधार पर तंत्र चलता है, तब स्वतंत्रता आती है।'वे बोले कि भारत दुनिया की सुख शांति के लिए जीता है, इसे धर्म देने के लिए जीता है,'इसलिए हमारे राष्ट्रध्वज के केंद्र में धर्मचक्र है। ये धर्म सबको साथ लेकर, सबको जोड़कर, सबको उन्नत करता है....।'



'स्वतंत्रता कायम रखने के लिए बलिदान की जरूरत'

आरएसएस प्रमुख ने कहा है कि स्वतंत्र भारत का पूरे विश्व के प्रति भी उत्तरदायित्व है, जो 2,000 वर्षों से असंख्य समस्याओं का सामना कर रहा है, और उनपर जीत हासिल करने में असमर्थ रहा है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक भागवत ने कहा, 'हमारे पूर्वजों ने सर्वोच्च बलिदान देकर भारत की स्वतंत्रता सुनिश्चित की। हमें भी उनकी तरह ही कड़ी मेहनत करनी होगी और इसे कायम रखने के लिए वैसे ही बलिदान देने पड़ेंगे और देश को आत्म-विश्वासी बनाना और विश्व गुरु के रूप में उभारना होगा, ताकि संघर्षों में उलझे विश्व का मार्गदर्शन किया जा सके।'



'दुनिया में शांति और खुशी लाने के लिए काम करना होगा'

भागवत के अनुसार भारतीयों को उसी तरह कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी, जैसे स्वतंत्रता पाने के लिए उनके पूर्वजों की तीन पीढ़ियों ने की। उन्होंने बताया कि 'यह भारत के धर्म और बुद्धि के आधार पर किया जाना चाहिए।' उन्होंने भारत को दुनिया में शांति और खुशी लाने के लिए काम करने और दूसरों के साथ धर्म को साझा करने का आह्वान किया।



'भारत विश्व गुरु की तरह दूसरों का मार्गदर्शन करे'

मोहन भागवत बोले,'हमें स्वतंत्रता मिली ताकि, यह सुनिश्चित हो सके कि अपने देश में सभी को प्रसन्नता, साहस, सुरक्षा, शांति और सम्मान प्राप्त हो सके। यद्यपि दुनिया लड़खड़ा रही है। हमारा यह कर्तव्य है कि हम विश्व को समाधान दें और धार्मिक सिद्धांतों पर आधारित हमारे दृष्टिकोण के आधार पर सुख और शांति से भरे एक नए विश्व का निर्माण करें।'वे बोले कि 'पूरे विश्व में पर्यावरण से जुड़े मुद्दे और संघर्ष हैं। इन परिस्थितियों में यह भारत का दायित्व है कि विश्व गुरु की तरह दूसरों का मार्गदर्शन करे, मुद्दों को सुलझाए और विश्व को शांतिपूर्ण और समृद्ध बनाए।'



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