Countries With Best Job Options: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा की फीस बढ़ाकर 1 लाख डॉलर कर दी है। इस फैसले से अमेरिकी कंपनियों के लिए विदेशी वर्कर्स को हायर करना महंगा हो गया है। राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले ने सबसे ज्यादा अमेरिकी टेक सेक्टर में उथल-पुथल मचाई है। अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा, एप्पल और गूगल जैसी कंपनियों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है। वर्कर्स के लिए भी अब आसानी से जॉब पाने के रास्ते बंद हो गए हैं।
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सीएनएन के मुताबिक, कॉमर्स सेक्रेटरी हावर्ड लुटनिक का कहना है कि सरकार ने फीस बढ़ाने से पहले कंपनियों के साथ चर्चा की थी। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता टेलर रोजर्स ने सरकार के कदम का बचाव करते हुए कहा कि ये सरकार के अमेरिकी वर्कर्स को प्राथमिकता देने के तौर पर उठाया गया कदम है। हालांकि, इस बीच बहुत से भारतीय वर्कर्स ऐसे देशों के नाम जानना चाहते हैं, जहां का वर्क वीजा के लिए उन्हें कंपनी से किसी तरह की स्पांसरशिप की जरूरत ना पड़े। आइए इन देशों के नाम जानते हैं।
किन देशों में बिना स्पांसरशिप मिलेगा वर्क वीजा?
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सीएनएन के मुताबिक, कॉमर्स सेक्रेटरी हावर्ड लुटनिक का कहना है कि सरकार ने फीस बढ़ाने से पहले कंपनियों के साथ चर्चा की थी। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता टेलर रोजर्स ने सरकार के कदम का बचाव करते हुए कहा कि ये सरकार के अमेरिकी वर्कर्स को प्राथमिकता देने के तौर पर उठाया गया कदम है। हालांकि, इस बीच बहुत से भारतीय वर्कर्स ऐसे देशों के नाम जानना चाहते हैं, जहां का वर्क वीजा के लिए उन्हें कंपनी से किसी तरह की स्पांसरशिप की जरूरत ना पड़े। आइए इन देशों के नाम जानते हैं।
किन देशों में बिना स्पांसरशिप मिलेगा वर्क वीजा?
- जर्मनी: जर्मनी में जॉब सीकर वीजा या ऑपर्च्यूनिटी कार्ड दिया जाता है, जो स्किल प्रोफेशनल्स को 18 महीने तक जॉब ढूंढने की इजाजत देता है। जॉब सीकर वीजा स्टूडेंट्स को मिलता है, जबकि ऑपर्च्यूनिटी कार्ड कोई भी ले सकता है। जॉब मिलने पर ईयू ब्लू कार्ड या वर्क परमिट हासिल किया जा सकता है।
- पुर्तगाल: यूरोप के इस देश में भी जॉब सीकर वीजा दिया जाता है, जो देश में आकर नौकरी ढूंढने के लिए 120 दिन देता है। जॉब मिलने पर अपना वीजा स्टेटस बदला जा सकता है।
- स्वीडन: स्वीडन में जॉब सीकर या स्टार्टअप वीजा मिलता है, जिसकी अवधि 3 से 9 महीने की है। इस दौरान आप स्वीडन में आकर जॉब ढूंढ सकते हैं या फिर बिजनेस के अवसर तलाश सकते हैं।
- कनाडा: इस देश में स्टूडेंट्स को पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट (PGWP) मिलता है। ये एक तरह का ओपन परमिट है, जिसका मतलब है कि आप किसी भी कंपनी के लिए काम कर सकते हैं।
- ऑस्ट्रेलिया: यहां पर टेंपरेरी ग्रेजुएट वीजा (सबक्लास 485) दिया जाता है। इसके जरिए विदेशी स्टूडेंट्स बिना किसी स्पांसरशिप के जॉब कर सकते हैं। उन्हें फुल-टाइम जॉब की इजाजत होती है।
- न्यूजीलैंड: न्यूजीलैंड में भी पोस्ट-स्टडी वर्क वीजा मिलता है, जिसके जरिए स्टूडेंट्स बिना किसी कंपनी से जॉब स्पांसरशिप हासिल किए बगैर आसानी से जॉब कर सकते हैं।
- आयरलैंड: यहां पर थर्ड लेवल ग्रेजुएट प्रोग्राम विदेशी छात्रों को 12 महीने (लेवल 8 ग्रेजुएट) या 24 महीने तक (लेवल 9+ ग्रेजुएट) के ओपन वर्क परमिट का अधिकार देता है।
- एस्टोनिया: यूरोप के इस देश में डिजिटल नोमाड वीजा दिया जाता है, जिसके जरिए रिमोट वर्कर्स बिना किसी स्पांसरशिप के देश में जाकर जॉब कर सकते हैं।
- UAE: इस खाड़ी देश का फ्रीलांस परमिट/ग्रीन वीजा (2021 से) फ्रीलांसरों और स्किल प्रोफेशनल्स को सेल्फ-स्पांसरशिप का ऑप्शन देता है, जिसके जरिए वे देश में आकर जॉब कर सकते हैं।
- नीदरलैंड: नीदरलैंड का ओरिएंटेशन ईयर वीजा डच यूनिवर्सिटीज या टॉप यूनिवर्सिटीज के हाल के विदेशी ग्रेजुएट्स के लिए 1 साल का ओपन वर्क परमिट है।
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