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छोटी सी आशा

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पीएम नरेंद्र मोदी का संबोधन देश के नाम था, लेकिन इसने संदेश पूरी दुनिया को दिया। भारत ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बावजूद उसने पाकिस्तान की समझौते की गुहार मान ली, क्योंकि यह युग युद्ध का नहीं है, लेकिन यह युग आतंकवाद का भी नहीं है। एक बड़े मकसद और व्यापक हित में भारत ने शांति की राह चुनी। पहले से ही युद्धों में उलझे विश्व के लिए हिंदुस्तान का कदम आशा की बहुत बड़ी किरण है। आतंक पर होगी बात: पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान भारत ने अद्भुत संयम का परिचय दिया। लड़ाई आतंकवाद के खिलाफ थी और भारतीय सेनाओं ने उसे ही लक्ष्य किया। पीएम मोदी ने अपने संबोधन से साफ कर दिया कि आतंक की सरपरस्त सरकार और आतंक के आकाओं को अलग-अलग नहीं देखा जाएगा। शांति का एकमात्र रास्ता यही है कि पाकिस्तान को अपने टेरर इंफ्रा का सफाया करना होगा। पड़ोसी देश से अब बात होगी तो आतंकवाद और PoK पर। विकास का लक्ष्य: पीएम नरेंद्र मोदी ने विकसित और शक्तिशाली भारत की बात की है। देश के सामने सबसे बड़ा लक्ष्य यही है। 2047 तक विकसित मुल्क बनने के लिए पूरी जी-जान लगाकर दौड़ना होगा। क्षेत्रीय अस्थिरता इसमें बड़ी बाधा है, और भारत ने फिलहाल इसका इलाज कर दिया है। पाकिस्तान तक सख्त संदेश पहुंच चुका है। इस टकराव के आगे न बढ़ने और भारत के फिर से अपने लक्ष्य की ओर चलने से ग्लोबल जियो पॉलिटिक्स में नई आशा जगी है। US-चीन समझौता: इसी तरह की एक और आशा है अमेरिका और चीन के बीच जारी टैरिफ वॉर का टल जाना, भले ही अभी केवल 90 दिनों के लिए ही। डॉनल्ड ट्रंप की रेसिप्रोकल टैरिफ पॉलिसी के चलते दोनों देश एक नए ट्रेड वॉर की तरफ बढ़ चले थे। इससे पूरी ग्लोबल इकॉनमी तनाव में थी, भारत भी। अब जब बात हुई है, तो आशा है कि आगे कोई बेहतर हल भी निकल आएगा। रूस-यूक्रेन बातचीत: एक और सकारात्मक खबर यह भी रही कि तीन साल से ज्यादा समय से युद्ध में उलझे रूस और यूक्रेन में सुलह हो सकती है। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही इसे लेकर उम्मीदें जग गई थीं और अब गुरुवार को तुर्किये में दोनों देशों के बीच पहली बार सीधी बातचीत होने जा रही है। सकारात्मक असर: यूक्रेन युद्ध, टैरिफ वॉर और भारत-पाक तनाव ने दुनिया को गंभीर संकट में डाल दिया था। तीनों मोर्चों पर आई सकारात्मक खबरों का असर रहा कि सोमवार को भारत का निफ्टी इंडेक्स 3.5% से ज्यादा बढ़ा है। ताजा घटनाक्रमों से जब अमेरिका और चीन की अर्थव्यवस्था सुधरेगी, तो बड़े देशों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकॉनमी यानी भारत पर भी पॉजिटिव असर जरूर होगा।
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