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कम दाम की कार क्यों नहीं लेनी चाहिए, ये नुकसान जान लेंगे तो आप भी खरीदने से बचेंगे

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भारत में कारें खरीदना अब पहले से ज्यादा किफायती हो गया है। बजट कारें वे कारें होती हैं, जिनकी कीमत अन्य कारों की तुलना में कम होती है। ये कारें आमतौर पर छोटे इंजन वाली होती हैं और इनमें फीचर्स भी होते हैं। हालांकि, कम दाम की कार खरीदने के अपने नुकसान हैं, जो ग्राहकों को बाद में पता चलता है। कम दाम की कारें लोग तभी खरीदते हैं, जब उनका बजट कम हो। लेकिन क्या आपको लगता है कि यह समझदारी भरा फैसला है? अगर नहीं, तो आइए इसकी वजहें जानते हैं। कम दाम की कारों के नुकसानकम दाम वाली कारों की बिल्ड क्वॉलिटी अक्सर तुलनात्मक रूप से निम्नतर होती है। इनमें इस्तेमाल होने वाले मटीरियल कम टिकाऊ हो सकते हैं और कार जल्दी खराब हो सकती है। साथ ही सबसे जरूरी बात यह है कि कम दाम वाली कारों में हो ही एयरबैग होते हैं और कई जरूरी सुरक्षा फीचर्स या तो नहीं होते हैं या कम प्रभावी होते हैं। बजट कारों में आपको कंफर्ट और सुविधा से जुड़ीं खूबियां भी कम मिलती हैं।कम दाम वाली कारों की वैल्यू भी बहुत तेजी से घटती है। अगर आप कुछ सालों बाद कार बेचना चाहते हैं तो आपको बहुत कम कीमत मिलेगी। हालांकि अगर आपका बजट ही कम है और आपके पास कार खरीदने का कोई और विकल्प नहीं है तो आप कम दाम की कार ले सकते हैं। बहुत से लोग कार सीखने और ट्रेंड होने के लिए लो बजट वाली कार खरीदते हैं कि इनमें छोटे-मोटे एक्सिडेंट भी हो तो ठीक कराने में ज्यादा खर्च नहीं आएगा। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अगर आपके पास पहले से ही एक कार है और आप दूसरी कार सिर्फ शहर के अंदर छोटे-मोटे काम के लिए लेना चाहते हैं, जो साइज में छोटी हो और अच्छी माइलेज देती हो तो आप कम दाम की कार ले सकते हैं। हालांकि, कम दाम की कार लेने से पहले आपको सभी पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए। वहीं, आप अगर लंबे समय के लिए एक कार खरीदना चाहते हैं तो आपको थोड़ा ज्यादा पैसा खर्च करके एक अच्छी क्वॉलिटी वाली कार लेनी चाहिए। भारत में मारुति सुजुकी, हुंडई, टाटा मोटर्स और रेनो जैसी कंपनियों की सस्ती कारें काफी पॉपुलर हैं।
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