भारतीय शिक्षा जगत के लिए एक अहम उपलब्धि सामने आई है। विश्व प्रसिद्ध भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद (IIM-A) ने अपने पहले अंतरराष्ट्रीय कैंपस का उद्घाटन दुबई में किया है। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह कदम भारतीय शिक्षा को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।
IIM अहमदाबाद का दुबई कैंपस: एक नया अध्याय
IIM अहमदाबाद, जो भारत के शीर्ष प्रबंधन संस्थानों में से एक माना जाता है, ने अब अपने प्रशिक्षण और शिक्षा कार्यक्रमों को दुबई के माध्यम से मध्य पूर्व और विश्व के अन्य हिस्सों तक पहुंचाने का निर्णय लिया है। यह कैंपस विद्यार्थियों को विश्वस्तरीय शिक्षा, उद्योग संपर्क, और वैश्विक अनुभव प्रदान करेगा।
धर्मेंद्र प्रधान ने उद्घाटन समारोह में कहा:
“यह कैंपस भारतीय शिक्षा की वैश्विक पहुंच को और मजबूत करेगा और युवा छात्रों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप शिक्षा और प्रशिक्षण देगा।”
भारतीय शिक्षा का ग्लोबल स्वरूप
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यह भी बताया कि भारत की शिक्षा प्रणाली अब सिर्फ घरेलू सीमाओं तक सीमित नहीं है। यह तेजी से विश्व के विभिन्न हिस्सों में फैल रही है और अपनी गुणवत्ता और नवाचार के कारण दुनियाभर में सम्मान पा रही है। उन्होंने कहा कि IIM अहमदाबाद का दुबई कैंपस इस बदलाव का प्रतीक है।
कैंपस में मिलने वाली सुविधाएं और कोर्स
दुबई में स्थित यह कैंपस अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। इसमें डिजिटल क्लासरूम, शोध सुविधाएं, तथा इंडस्ट्री एक्सपोजर के मौके प्रदान किए जाएंगे। साथ ही, प्रबंधन के विभिन्न क्षेत्रों में मास्टर्स और डिप्लोमा प्रोग्राम्स भी संचालित किए जाएंगे।
यह कैंपस खासतौर पर उन छात्रों के लिए फायदेमंद होगा जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रबंधन शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं लेकिन भारत आने में असमर्थ हैं।
स्थानीय और वैश्विक सहयोग
IIM अहमदाबाद ने दुबई कैंपस की स्थापना के लिए स्थानीय प्रशासन और शैक्षिक संस्थानों के साथ साझेदारी की है, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। इसके जरिए छात्रों को व्यावहारिक अनुभव के साथ-साथ नेटवर्किंग के बेहतर अवसर भी मिलेंगे।
भारतीय शिक्षा में नया अध्याय
धर्मेंद्र प्रधान ने इस मौके पर कहा:
“यह केवल एक कैंपस की शुरुआत नहीं, बल्कि भारतीय शिक्षा के ग्लोबलाइजेशन की एक नई शुरुआत है। इससे भारत के युवा विश्व के उच्चतम मंचों पर प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस दिशा में और भी कदम उठाएगी ताकि भारतीय शिक्षा को और अधिक मजबूत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके।
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