उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के अंदर उठती जंग के बीच, राष्ट्रीय छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्री मनोहर लाल राजभर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। यह विवाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है और इससे सरकार की आंतरिक एकता पर भी सवाल उठने लगे हैं।
ABVP ने क्यों खोला मोर्चा?
सूत्रों के अनुसार, ABVP ने मंत्री राजभर के कुछ बयानों और कार्यशैली को लेकर नाराजगी जताई है। संगठन का आरोप है कि राजभर सरकार की नीतियों और विकास कार्यों में बाधा डाल रहे हैं, जिससे युवा और छात्र वर्ग खासा प्रभावित हो रहा है। ABVP का मानना है कि राजभर के हालिया विवादास्पद बयान सामाजिक सद्भाव और विकास के खिलाफ हैं।
मंत्री राजभर के बयानों ने बढ़ाई खींचतान
मनोहर लाल राजभर ने हाल ही में कुछ ऐसे बयान दिए थे, जिनमें उन्होंने सरकार की कुछ योजनाओं और नीतियों पर अप्रत्यक्ष आलोचना की। इसके बाद से ही ABVP ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और सार्वजनिक तौर पर राजभर के खिलाफ आवाज उठाई। संगठन ने कहा है कि वे सरकार के विकास एजेंडे को आगे बढ़ाने में बाधा बनने वालों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाएंगे।
योगी सरकार पर असर
इस विवाद से योगी सरकार के लिए भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि राजभर समाजवादी पिछड़ी जाति समूह से आते हैं, जिनका भाजपा के लिए खासा राजनीतिक महत्व है। ABVP के इस कदम को पार्टी के भीतर खींचतान के रूप में देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, सरकार इस विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता कर रही है ताकि कोई बड़ा राजनीतिक संकट उत्पन्न न हो।
ABVP का रुख
ABVP के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा है, “हम किसी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यदि कोई सरकार के विकास कार्यों में बाधा बनता है, तो हम उसकी आलोचना करेंगे। हमारा उद्देश्य है कि उत्तर प्रदेश में युवा वर्ग को सही दिशा मिले।” उन्होंने यह भी बताया कि संगठन सरकार के साथ पूरी तरह सहयोगी है, लेकिन गलत कार्यों पर आवाज उठाना उनका कर्तव्य भी है।
राजभर की प्रतिक्रिया
मंत्री मनोहर लाल राजभर ने ABVP की आलोचनाओं को व्यक्तिगत और राजनीतिक षडयंत्र करार दिया है। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य हमेशा समाज के विकास और जनता के हित में काम करना रहा है। राजभर ने संगठन के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि वे सरकार के साथ पूर्ण समर्थन में हैं।
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ABVP का यह कदम योगी सरकार के अंदर राजनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है। इससे पार्टी के विभिन्न वर्गों में मतभेद उभर सकते हैं, जिसे सही ढंग से संभालना जरूरी है। विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार के लिए यह चुनौती है कि वह सभी घटकों को संतुष्ट रखे और विकास कार्यों को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाए।
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