बदलते मौसम और संक्रमण के कारण बुखार होना आम बात है। अधिकतर लोग बुखार को सामान्य समझकर अनजाने में कुछ ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं, जिससे बीमारी लंबी खिंच जाती है। आयुर्वेद में बुखार यानी ज्वर को शरीर की प्राकृतिक चेतावनी माना गया है। यह शरीर को रोगाणुओं से लड़ने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय करने का संकेत देता है। आइए जानते हैं, बुखार में कौन सी गलतियाँ बिल्कुल नहीं करनी चाहिए और आयुर्वेद के अनुसार किन सावधानियों का पालन करना जरूरी है।
1. ठंडा पानी या आइसक्रीम खाना
आयुर्वेद के अनुसार, बुखार के दौरान पाचन अग्नि (डाइजेस्टिव फायर) कमजोर हो जाती है। ठंडे पदार्थ का सेवन करने से बलगम और कफ बढ़ जाता है, जिससे शरीर को ठीक होने में अधिक समय लगता है।
2. भारी और तैलीय भोजन करना
बुखार में तैलीय, मसालेदार और भारी भोजन पचाना मुश्किल हो जाता है। इससे शरीर पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है और रिकवरी धीमी हो जाती है। हल्का, सुपाच्य और गर्म भोजन ही लेना चाहिए।
3. बार-बार स्नान करना
बुखार के दौरान बार-बार ठंडे पानी से स्नान करने या शरीर को गीला रखने से शरीर की प्राकृतिक गर्मी कम हो जाती है। आयुर्वेद में गुनगुने पानी से पोंछने की सलाह दी जाती है ताकि शरीर का तापमान संतुलित रहे।
4. दवाइयाँ खुद से लेना
बिना डॉक्टर या वैद्य की सलाह के दवा लेना खतरनाक हो सकता है। बुखार के पीछे संक्रमण, पाचन गड़बड़ी या अन्य कारण हो सकते हैं, जिन्हें पहचानना जरूरी है।
5. आराम न करना
बुखार में शरीर को सबसे ज़्यादा आराम की जरूरत होती है। अधिक काम या तनाव लेने से इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और बीमारी लंबे समय तक बनी रहती है।
आयुर्वेदिक सावधानियाँ
- हल्का और गर्म भोजन करें, जैसे मूंग की खिचड़ी या दलिया।
- तुलसी, अदरक और काली मिर्च से बनी हर्बल चाय पीएँ।
- पर्याप्त नींद और आराम करें।
- गुनगुना पानी पिएँ और हाइड्रेटेड रहें।
- पसीना आने पर शरीर को तुरंत साफ कपड़े से पोंछ लें।
आयुर्वेद मानता है कि बुखार शरीर की हीलिंग प्रक्रिया का हिस्सा है। इस दौरान सही खानपान, आराम और सावधानियाँ रखने से जल्दी आराम मिलता है। लेकिन गलतियाँ करने पर बीमारी लंबी खिंच सकती है। इसलिए बुखार को हल्के में न लें और आयुर्वेदिक नियमों का पालन करें।
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