भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच एक ऐतिहासिक व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (Comprehensive Economic and Trade Agreement – CETA) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किअर स्टारमर की उच्च स्तरीय बैठक के दौरान हुआ, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को दर्शाता है।
इस करार पर आधिकारिक रूप से भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन के बिज़नेस और ट्रेड सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स ने हस्ताक्षर किए। यह समझौता अब तक का सबसे व्यापक भारत-ब्रिटेन व्यापारिक समझौता माना जा रहा है, जिससे व्यापार प्रवाह को गति मिलेगी, निवेश के नए अवसर खुलेंगे और कृषि, दवा, सेवाएं, ऑटो पार्ट्स, टेक्नोलॉजी और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ेगा।
देश के प्रमुख उद्योग संगठनों ने इस करार का स्वागत किया है। इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (EEPC India) के अनुसार, भारत से ब्रिटेन को इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्यात 2023–24 के USD 3.59 बिलियन से बढ़कर 2024–25 में USD 4.01 बिलियन हो गया है, यानी 11.7% की वृद्धि। इससे यह स्पष्ट होता है कि ब्रिटेन भारतीय उत्पादों के लिए एक उभरता हुआ बाज़ार बन चुका है।
वहीं, फिक्की (FICCI) ने कहा कि यह समझौता कृषि, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटो कंपोनेंट्स और सेवा क्षेत्रों के लिए एक बड़ा अवसर है। CII (कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) ने इसे एक ट्रांसफॉर्मेटिव डील बताया है, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के विविधीकरण, टेक्नोलॉजी निवेश और कारोबार में पारदर्शिता को नया आयाम देगा।
यह समझौता भारत और ब्रिटेन के बीच दीर्घकालिक रणनीतिक सहयोग का मार्ग प्रशस्त करेगा, जो साझा लक्ष्यों, पारस्परिक समृद्धि और नवाचार पर आधारित होगा। आने वाले वर्षों में इस समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापारिक और निवेश संबंधों को नई ऊर्जा और स्थायित्व मिलेगा।
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