तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद यूसुफ पठान ने पाकिस्तान के साथ हुए संघर्ष पर भारत के रुख को सामने रखने के लिए गठित केंद्र के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से खुद को अलग कर लिया है। पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी दी। इससे पहले टीएमसी ने मोदी सरकार के रवैये पर सवाल उठाते हुए अपना प्रतिनिधि चुनने की अनुमति मांगी थी।
केंद्र सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर भारत का संदेश देने के लिए विदेश जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में पठान को शामिल किया था। पठान के नाम की घोषणा जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद और केंद्रीय मंत्री संजय झा नीत एक प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में की गई थी, जो इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर जाएगा।
सरकार द्वारा पार्टी प्रतिनिधि तय करने पर टीएमसी ने सवाल उठाया था। अब तृणमूल कांग्रेस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पूर्व क्रिकेटर और बहरामपुर से लोकसभा सदस्य ने प्रतिनिधिमंडल से हटने का फैसला किया है। इस बीच तृणमूल कांग्रेस ने इस बात पर जोर दिया कि वह कूटनीतिक प्रयास का बहिष्कार नहीं कर रही है और केवल यह चाहती है कि उसे अपना प्रतिनिधि चुनने की अनुमति दी जाए।
सूत्रों ने यह नहीं बताया कि यूसुफ पठान ने यह फैसला क्यों लिया लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी दोनों ने सोमवार को कहा कि केंद्र को प्रतिनिधिमंडलों के लिए पार्टी के उम्मीदवार के संबंध में फैसला नहीं करना चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने विदेश से जुड़े मामलों में केंद्र सरकार के प्रति अपनी पार्टी के समर्थन की पुष्टि करते हुए कहा कि उनकी पार्टी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से निपटने के भारत के रूख को सामने रखने संबंधी बहुदलीय राजनयिक मिशन का बहिष्कार नहीं कर रही हैं और केंद्र से औपचारिक अनुरोध प्राप्त होने पर अपने प्रतिनिधि भेजेगी। उन्होंने कहा, ‘‘यह कहना गलत है कि हम बहिष्कार कर रहे हैं या नहीं जा रहे हैं। उन्हें पार्टी को सूचित करना होगा।
बनर्जी ने कहा, ‘‘संसदीय दल संसद में विधेयकों पर चर्चा करता है। यह संसद से संबंधित निर्णय लेता है और वह भी पार्टी से परामर्श के बाद। मैं लोकसभा और राज्यसभा में संसदीय दल की अध्यक्ष हूं।" उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि हमें कभी सूचित नहीं किया जाता है। अगर वे हमें सूचित करते हैं तो हम निश्चित रूप से अपना प्रतिनिधि भेजेंगे। हम क्यों नहीं भेजेंगे? यहां विवाद का कोई मुद्दा नहीं है। हम पूरी तरह से सरकार के साथ हैं।’’
इस बीच अभिषेक बनर्जी ने कहा, ‘‘केंद्र एकतरफा फैसला नहीं कर सकता कि कौन किस पार्टी का प्रतिनिधित्व करेगा। यह संबंधित पार्टी नेतृत्व द्वारा तय किया जाना है।’’ उन्होंने कहा, "यदि आप एक प्रतिनिधि मांगेंगे, तो हम आपको पांच नाम देंगे। लेकिन केंद्र को भी अपनी अच्छी मंशा दिखाने और विपक्ष के सभी दलों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है।"
रविवार को केंद्र ने सात प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों के नामों की घोषणा की, जिसमें विभिन्न दलों के राजनीतिक नेता, सांसद और पूर्व मंत्री शामिल हैं, जो पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की पृष्ठभूमि में आतंकवाद से निपटने के भारत के संकल्प को सामने रखने के लिए दुनिया की राजधानियों की यात्रा करेंगे।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व बैजयंत पांडा, रविशंकर प्रसाद (दोनों बीजेपी), संजय कुमार झा (जेडीयू), श्रीकांत शिंदे (शिवसेना), शशि थरूर (कांग्रेस), कनिमोझी (डीएमके) और सुप्रिया सुले (एनसीपी-एसपी) कर रहे हैं। वे कुल 32 देशों और बेल्जियम के ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के मुख्यालय का दौरा करेंगे। इससे पहले, टीएमसी के संसदीय दल के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय को सरकार ने प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने के लिए संपर्क किया था। हालांकि, उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए प्रस्ताव ठुकरा दिया था।
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