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बहुत ही कम लोग जानते होंगे इस्लाम धर्म में हरे रंग का महत्व, जानिए इसके पीछे की ये दिलचस्प कहानी

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लाइव हिंदी खबर :-दुनियाभर में कई धर्म हैं। हर धर्म की अपनी परंपरा और मान्यताएं होती हैं। समय के साथ ये मान्यताएं गहरी होती चली जाती हैं। भारत में जहां इतने धर्म हैं वहीँ उनसे जुड़ी मान्यताएं ई हैं और यहां हर धर्म को उसके एक खास रंग से पहचाना जाता है। हिंदू धर्म में केसरिया या भगवा रंग को आस्था से जोड़ा गया है। इसके पीछे एक मान्यता है कि केसरिया रंग सूर्य, मंगल और बृहस्पति जैसे ग्रहों का प्रतिनिधित्व करता है। इसके साथ इस रंग को मन की शांति के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।

इसलिए मंदिरों में लगे झंडे, साधुओं के वस्त्र का रंग अक्सर केसरिया या भगवा का होता है। इतना ही नहीं केसरिया रंग बौद्ध और सिख धर्म का भी रंग है जो काफी पवित्र माना जाता है।

सिख और बौद्ध धर्म में केसरिया का महत्व

कहा जाता है कि सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोबिंद सिंह की कुर्बानी और याद के स्वरुप में इस रंग को महत्वपूर्ण माना गया है। गुरु गोबिंद सिंह के पवित्र निशान ‘निशान साहिब’ को भी केसरिया रंग में ही लपेट के रखा गया है। बौद्ध धर्म में भी इस केसरिया रंग को आत्मत्याग का प्रतीक माना गया है। इसलिए बौद्ध केसरिया रंग के कसाया पहनते हैं।

इस्लाम धर्म में केसरिया नहीं हरा रंग है पाक

इन तीन बड़े धर्म के अलावा इस्लाम धर्म ऐसा है जिसमें केसरिया नहीं बल्कि हरे रंग को पाक माना गया है। इस्लाम धर्म में मस्जिदों और घरों में हरे रंग का झंडा और मजारों में हरे रंग की चारद चढ़ी देखने को मिलती है। इस धर्म में हरे रंग का काफी महत्व माना जाता है।

दरअसल, माना जाता है कि इस्लाम धर्म की स्थापना करने वाले पैगंबर मोहम्मद हमेशा हरे रंग के कपड़े पहनते थे। उनका मानना था कि हरा रंग खुशहाली, शांति और समृद्धि का प्रतीक है। इसके साथ ही इस्लाम धर्म से जुड़ी रचनाओं में ऐसा कहा गया है कि हरा रंग जन्नत का प्रतीक है क्योंकि वहां रहने वाले लोग हरे रंग के वस्त्र पहनते हैं।

इसी वजह इस्लाम से जुड़ी ज्यादातर चीजे हरे रंग की होती हैं। जैसे मस्जिद की दीवारें, उन दीवारों पर लटके फ्रेम, दरगाह में चढ़ाई जाने वाली चादर, ध्यान लगाने वाली माला, कुरान को ढंकने वाला कपड़ा आदि।

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