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ट्रंप के टैरिफ फैसले से डगमगाया बाजार, सेंसेक्स 100 अंक टूटा, निफ्टी 24,450 के करीब

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ लागू करने की समयसीमा में बदलाव के ऐलान का असर सोमवार को वैश्विक और भारतीय शेयर बाजारों पर देखने को मिला। सप्ताह के पहले ही कारोबारी दिन बाजार में गिरावट का माहौल रहा, जहां सेंसेक्स 100 अंक तक फिसला और निफ्टी 24,450 के करीब कारोबार करता नजर आया। इसके साथ ही कमजोर बैंकिंग अपडेट और वैश्विक बाजारों में सुस्ती ने भी घरेलू बाजार को प्रभावित किया।

शेयर बाजार में गिरावट का माहौल, वैश्विक दबाव और ट्रंप की नीति बनी वजह

सोमवार 7 जुलाई 2025 को भारतीय शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली, जिसका मुख्य कारण अमेरिका की ओर से टैरिफ की समय-सीमा में बदलाव का ऐलान रहा। बीएसई सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में ही 100 अंक तक लुढ़क गया, जबकि एनएसई का निफ्टी 50 सूचकांक 24,450 के स्तर के करीब आ गया।



ट्रंप प्रशासन का फैसला बना दबाव की वजह

अमेरिकी सरकार के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने घोषणा की कि जिन देशों ने अमेरिका के साथ व्यापार समझौता नहीं किया है, उन पर 1 अगस्त 2025 से नई टैरिफ दरें लागू की जाएंगी। यह बयान वैश्विक निवेशकों के लिए चिंताओं का कारण बना और बाजार में बिकवाली का दौर शुरू हो गया।

बैंकिंग सेक्टर में मिला मिला-जुला रिस्पॉन्स

इंडसइंड बैंक ने पहली तिमाही के लिए कमजोर कारोबारी आंकड़े पेश किए हैं। बैंक के लोन और डिपॉजिट में सालाना आधार पर 3% से ज्यादा की गिरावट देखी गई। इसके उलट, बैंक ऑफ इंडिया ने बेहतर प्रदर्शन किया है, जहां लोन 11% और घरेलू जमा राशि 10% तक बढ़ी है।

इन स्टॉक्स में दिखी तेजी

हालांकि बाजार में समग्र रूप से गिरावट देखी गई, लेकिन कुछ चुनिंदा स्टॉक्स ने मजबूती के संकेत दिए। गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के शेयर में 5 प्रतिशत तक की बढ़त दर्ज की गई, वहीं बोरोसिल रेन्यूएबल्स के स्टॉक्स भी 4 प्रतिशत ऊपर चढ़े। एफएमसीजी सेक्टर में भी अच्छा प्रदर्शन रहा, जहां डाबर और एचयूएल जैसे दिग्गज स्टॉक्स में 4 से 5 प्रतिशत तक की मजबूती देखी गई। एचयूएल का स्टॉक विशेष रूप से करीब 2 प्रतिशत की बढ़त के साथ ट्रेड करता नजर आया।

एशियाई और अमेरिकी बाजारों की स्थिति

वैश्विक बाजारों से मिले संकेत भी कमजोर रहे। एशियाई बाजारों में जापान का निक्केई 0.26 प्रतिशत तक फिसल गया, जबकि दक्षिण कोरिया का कोस्पी इंडेक्स 0.48 प्रतिशत नीचे आ गया। अमेरिकी बाजारों की बात करें तो नैस्डेक 100 फ्यूचर्स में 0.42 प्रतिशत, डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज फ्यूचर्स में 0.32 प्रतिशत और एसएंडपी 500 फ्यूचर्स में 0.39 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। केवल ऑस्ट्रेलिया का ASX 200 इंडेक्स ही स्थिर रहा।

कंपनियों के तिमाही नतीजों का भी रहेगा असर


जुलाई महीने में कई बड़ी कंपनियां अपने तिमाही परिणाम घोषित करने वाली हैं, जिनका असर शेयर बाजार की चाल पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा। 11 जुलाई को डीमार्ट अपने नतीजे पेश करेगा, 14 जुलाई को एचसीएल टेक के नतीजे आएंगे और 16 जुलाई को टेक महिंद्रा अपनी तिमाही रिपोर्ट जारी करेगा। इन नतीजों पर निवेशकों की गहरी नजर रहेगी, जिससे बाजार में उतार-चढ़ाव तेज हो सकता है।

क्रूड ऑयल की कीमत में भी गिरावट

ओपेक+ देशों ने तेल उत्पादन बढ़ाने की मंजूरी दी है। इससे क्रूड ऑयल की कीमतों में 1% की गिरावट आई है। अब क्रूड का दैनिक उत्पादन 5.48 लाख बैरल से अधिक होगा। इससे भारत जैसे आयातक देशों को कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन शेयर बाजार में इसके असर को अभी सीमित माना जा रहा है।

अमेरिकी नीतिगत फैसलों, एशियाई बाजारों की सुस्ती और घरेलू बैंकिंग सेक्टर के मिले-जुले प्रदर्शन के बीच भारतीय शेयर बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है। निवेशकों की नजर अब आगामी तिमाही नतीजों और क्रूड की कीमतों पर होगी, जो बाजार की दिशा तय कर सकते हैं।

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