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ग्राहकों को राहत: इन चार बड़े बैंकों ने हटाया मिनिमम बैलेंस का झंझट

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एवरेज मंथली बैलेंस (AMB) का मतलब है कि बैंक खाते में हर महीने एक तय न्यूनतम राशि बनी रहनी चाहिए। आमतौर पर लोग इस नियम को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन जब खाते में यह बैलेंस तय सीमा से कम हो जाता है, तो बैंक जुर्माना लगाते हैं। यह जुर्माना खाते की श्रेणी के अनुसार अलग-अलग होता है। खासकर नौकरीपेशा और मध्यम वर्ग के ग्राहकों के लिए यह जुर्माना कभी-कभी बोझ बन जाता है।

इंडियन बैंक का बड़ा कदम: अब कोई मिनिमम बैलेंस जरूरी नहीं

अब इंडियन बैंक ने अपने सभी सेविंग्स अकाउंट्स के लिए ग्राहकों को राहत देते हुए न्यूनतम बैलेंस रखने की शर्त पूरी तरह से खत्म कर दी है। यह एक स्वागत योग्य कदम है, जो आम लोगों को सीधे फायदा पहुंचाएगा। यानी अब ग्राहकों को मिनिमम बैलेंस न रखने पर कोई जुर्माना नहीं देना होगा। यह नई व्यवस्था 7 जुलाई 2025 से लागू हो जाएगी, जिससे लाखों ग्राहकों को राहत मिलेगी। अब छोटे ग्राहकों को बार-बार खाते में रकम बनाए रखने की टेंशन नहीं रहेगी।

SBI पहले ही दे चुका है राहत


देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI (स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) ने यह सुविधा पहले ही दे दी थी। साल 2020 में ही SBI ने सभी सेविंग्स अकाउंट्स से न्यूनतम बैलेंस की अनिवार्यता हटा दी थी। यानी अगर आपके SBI खाते में तयशुदा बैलेंस नहीं भी है, तो भी आपको कोई जुर्माना नहीं देना पड़ता। इस फैसले से देशभर के करोड़ों खाताधारकों को पहले ही बड़ी राहत मिल चुकी है।

केनरा बैंक भी जुड़ा ग्राहकों की सहूलियत की राह में

मई 2025 में केनरा बैंक ने भी ग्राहकों के हित में एक अहम फैसला लेते हुए सभी तरह के सेविंग्स अकाउंट्स — जैसे रेगुलर सेविंग्स, सैलरी अकाउंट और NRI सेविंग्स — पर एवरेज मंथली बैलेंस की अनिवार्यता को पूरी तरह खत्म कर दिया। अब ग्राहकों को सिर्फ खाते का इस्तेमाल करना है, बैलेंस की फिक्र नहीं करनी।

अब PNB भी जुर्माना नहीं लगाएगा

PNB (पंजाब नेशनल बैंक) ने भी अपने ग्राहकों को बड़ी राहत दी है। बैंक ने अब यह ऐलान कर दिया है कि वह मिनिमम एवरेज बैलेंस (MAB) न रखने पर अब कोई जुर्माना नहीं लगाएगा। पहले PNB में अगर किसी ग्राहक के खाते में तय सीमा से कम बैलेंस होता था, तो उस पर कमी के अनुपात में जुर्माना लगता था। जितनी अधिक कमी, उतना अधिक जुर्माना। लेकिन अब इस नियम को हटाने के बाद ग्राहकों को न सिर्फ मानसिक सुकून मिलेगा, बल्कि उन्हें अपने खाते में "फालतू की रकम" बनाए रखने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।

ग्राहकों को सीधी राहत, बजट में मिलेगी मदद

इन बैंकों के इस फैसले से खासतौर पर आम मध्यमवर्गीय और निम्न आय वर्ग के खाताधारकों को राहत मिलेगी। अब वे बिना किसी दबाव के अपने पैसों का इस्तेमाल अपनी जरूरतों के हिसाब से कर सकेंगे। खासतौर पर उन लोगों के लिए यह सुविधा बेहद उपयोगी साबित होगी, जिनकी मासिक आय सीमित है और जो हर छोटी-बड़ी रकम का सोच-समझकर उपयोग करते हैं।

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