लद्दाख के प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक को शुक्रवार (26 सितंबर) को लेह पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इस घटना ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है। गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने तीखे शब्दों में सरकार पर निशाना साधा।
केजरीवाल ने कहा, “रावण का भी अंत हुआ था, कंस का भी अंत हुआ था। हिटलर और मुसोलिनी का हश्र भी दुनिया ने देखा। आज हमारे देश में तानाशाही अपने चरम पर है और जो लोग अहंकार में डूब जाते हैं, उनका अंजाम बेहद दुखद होता है।”
उन्होंने एक अन्य पोस्ट में वांगचुक की सराहना करते हुए लिखा कि यह व्यक्ति देश और शिक्षा को बेहतर बनाने की सोच रखता है, नए–नए आविष्कार करता है और समाज को दिशा देने का काम करता है। इसके बावजूद सरकार का पूरा तंत्र उसे राजनीति का शिकार बना रहा है। “यह बेहद दुखद है कि देश की बागडोर ऐसे हाथों में है। ऐसे हालात में राष्ट्र कैसे प्रगति करेगा?” – केजरीवाल ने सवाल उठाया।
हिंसक प्रदर्शन के बाद कार्रवाई
अधिकारियों के अनुसार वांगचुक की गिरफ्तारी उस समय हुई जब अलग राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर उग्र आंदोलन हुआ। दो दिन पहले हुए इस विरोध प्रदर्शन में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और करीब 90 लोग घायल हुए।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, लद्दाख के डीजीपी एस.डी. सिंह जामवाल के नेतृत्व में शुक्रवार दोपहर लगभग 2:30 बजे वांगचुक को गिरफ्तार किया गया। गृह मंत्रालय ने उन्हें लेह एपेक्स बॉडी (LAB) के प्रमुख सदस्यों में से एक के तौर पर हिंसा भड़काने के लिए जिम्मेदार ठहराया। बताया गया कि वे लंबे समय से कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के साथ मिलकर इन मांगों को लेकर आंदोलन चला रहे थे।
वांगचुक ने आरोपों से किया इनकार
गिरफ्तारी से पहले सोनम वांगचुक भूख हड़ताल के जरिए आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। उन्होंने हिंसा की निंदा करते हुए सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया। वांगचुक का कहना है कि उनका आंदोलन हमेशा शांतिपूर्ण रहा है और वह किसी भी तरह की हिंसा के पक्षधर नहीं हैं। बुधवार को हुई झड़पों के बाद उन्होंने दो सप्ताह से जारी अनशन भी समाप्त कर दिया था।
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