दिवाली के मौके पर पटाखों की गड़गड़ाहट और रात देर तक चलने वाले जश्न ने राष्ट्रीय राजधानी की वायु को एक भयावह रूप दे दिया है। सोमवार रात जब राजधानी में रंग बिरंगी रोशनी के संग आतिशबाजी की गई, तो उसके बाद मंगलवार सुबह तक लोगों की आँखों में जलन और गले में खिंचाव जैसी शिकायतें आम हो गईं। राजधानी दिल्ली एनसीआर के अधिकांश वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों ने ‘रेड ज़ोन’ का संकेत दिया है, यानी कि स्थिति “बहुत खराब” से “गंभीर” श्रेणी तक पहुंच गई है।
प्रदूषण नियंत्रण मुख्यालय की जानकारी के अनुसार, राजधानी के 38 वायु गुणवत्ता मापने वाले केंद्रों में से 36 ने प्रदूषण स्तर ‘रेड ज़ोन’ में दर्ज किया है। इस श्रेणी का अर्थ है कि वायु में घुला कण प्रदूषक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। मापने वाले कुछ केंद्रों ने 400 से ऊपर का AQI दर्ज किया है, जो ‘गंभीर’ परिचित श्रेणी में आता है। कुछ स्थानों, जैसे द्वारका में AQI 417, अशोक विहार में 404, वज़ीरपुर में 423 और आनंद विहार में 404 जैसे आंकड़े सामने आए हैं, जो संकेत देते हैं कि राजधानी के कुछ हिस्सों में हवा सांस लेने योग्य नहीं रह गई।
राज्य प्रशासन ने इस पूरे उत्सव प्रकरण को देखते हुए पहले से लागू प्रतिबंधों को और सख्त करते हुए चरण 2 के अनुसार ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP 2) लागू किया है। इसके तहत निर्माण खंड, धूल निग्रहण, वाहनों की निगरानी व अन्य स्रोतों पर विशेष कार्रवाई शुरू कर दी गई है। लेकिन पटाखों के प्रयोग में कमी न होने और मौसम की स्थितियों को देखते हुए आने वाले दिनों में वायु गुणवत्ता और भी बिगड़ने की संभावना जताई जा रही है।
इन आंकड़ों ने हर किसी को एक गंभीर चेतावनी दी है: सिर्फ जश्न नहीं, हमारी सांस भी प्रभावित हो रही है। जब देश की राजधानी का हवा स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुँच जाए, तो यह सिर्फ आंकड़ा नहीं रह जाता — यह स्वास्थ्य संकट का संकेत बन जाता है।
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