Next Story
Newszop

मुद्रा योजना से भारत के फाइनेंशियल सिस्टम का लोकतंत्रीकरण हुआ : पीएम मोदी

Send Push

नई दिल्ली, 8 अप्रैल . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि 8 अप्रैल को 10 वर्ष पूर्व शुरू की गई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) जमीनी स्तर पर गरीबों को सशक्त बनाने में सफल रही है. इसके तहत 33 लाख करोड़ रुपये के 52 करोड़ से अधिक लोन दिए गए हैं.

उन्होंने कहा कि मुद्रा योजना का जन्म एक “कार्यकर्ता” के रूप में देश भर में उनकी यात्राओं के परिणामस्वरूप हुआ, जब उन्होंने देखा कि आम जनता को गरीबी से बाहर निकालने के लिए जमीनी स्तर पर लोगों को फंडिंग उपलब्ध कराना जरूरी है.

उन्होंने आगे कहा कि इस योजना से देश के फाइनेंशियल सिस्टम का लोकतंत्रीकरण हुआ है. योजना की सफलता को इस तथ्य से भी समझा जा सकता है. मुद्रा योजना के तहत दिए गए कुल लोन में से केवल 3.5 प्रतिशत ही एनपीए हुए हैं.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री ने कहा, “इकोनॉमिक टाइम्स के साथ अपने इंटरव्यू को साझा कर रहा हूं, जिसमें मैंने मुद्रा योजना की जीवन-परिवर्तनकारी क्षमता के बारे में विस्तार से बताया है और बताया है कि सम्मान और सशक्तीकरण की हमारी यात्रा में यह क्यों एक महत्वपूर्ण योजना बनी हुई है.”

प्रधानमंत्री ने कहा कि मुद्रा (माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी) योजना को न कि एक अकेली योजना के रूप में एक विशेष संदर्भ में देखा जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, “किसी भी सरकारी पद पर आने से पहले ही, मैंने एक कार्यकर्ता के रूप में कई दशकों तक पूरे देश में यात्रा की थी. मैंने हर जगह एक समान बात देखी. हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा, जैसे गरीब, किसान, महिलाएं और हाशिए पर पड़े वर्ग, विकास की आकांक्षा रखते हैं. साथ ही उनमें उद्यम की भावना, ऊर्जा और लचीलापन भी है, जो एक सफल उद्यमी बनने के लिए आवश्यक है.”

उन्होंने कहा, “लेकिन, ये वही वर्ग थे, जिन्हें औपचारिक बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली से पूरी तरह बाहर रखा गया था. मुझे बताइए, अगर आपके पास बैंक खाता नहीं है, तो क्या आप कभी बैंक जाएंगे? जब लोगों के पास बुनियादी बैंकिंग तक पहुंच भी नहीं थी, तो उद्यमिता के लिए धन जुटाना एक दूर का सपना लगता था. ऐसे में जब लोगों ने 2014 में हमें वोट दिया, तो हमने पूरे वित्तीय ढांचे को लोगों पर केंद्रित और समावेशी बनाने का फैसला किया, ताकि हम उनकी आकांक्षाओं को पंख दे सकें.”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मुद्रा योजना के माध्यम से हम हर भारतीय को यह संदेश देना चाहते थे कि हमें उनकी क्षमताओं पर भरोसा है. हम उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने की उनकी यात्रा में गारंटी के रूप में खड़े होंगे. भरोसा ही भरोसा पैदा करता है. लोगों ने भी बड़े उत्साह के साथ प्रतिक्रिया दी और अब तक 33 लाख करोड़ रुपये के 52 करोड़ से अधिक लोन दिए जा चुके हैं, जो मुद्रा की सफलता को दिखाता है.

भारत के बैंकिंग क्षेत्र में एनपीए के मुद्दे पर बात करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “इस समस्या पर दो दृष्टिकोण हैं. एक ओर, हमारे पास कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के कार्यकाल का अनुभव है. उस समय, बैंकिंग क्षेत्र एक ऐसी प्रणाली के तहत संचालित होता था, जिसे ‘फोन बैंकिंग’ के रूप में जाना जाता था. लोन को योग्यता या सख्त वित्तीय मापदंडों के पालन के बजाय राजनीतिक संपर्कों से कॉल के आधार पर स्वीकृत किया जाता था. हम सभी जानते हैं कि इससे ट्वीन बैलेंस शीट की समस्या कैसे पैदा हुई. पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी से इस अवधि ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को स्ट्रेड्स एसेट्स की विरासत से जूझने के लिए छोड़ दिया, जिससे बड़े स्तर पर आर्थिक विकास का समर्थन करने की उनकी क्षमता कम हो गई.”

उन्होंने कहा, “दूसरी ओर, हमने मुद्रा योजना के माध्यम से गरीबों और मध्यम वर्ग को पैसा उधार दिया. यह छोटे और मध्यम उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए बनाया गया था, जिनके पास कोई कनेक्शन नहीं था, लेकिन उनमें क्षमता और दृढ़ विश्वास था. यूपीए के टॉप-हैवी लेंडिंग मॉडल के विपरीत, मुद्रा ने जमीनी स्तर पर आर्थिक गतिविधि पर ध्यान केंद्रित किया. आज, 52 करोड़ से अधिक लोन खाते, मुद्रा योजना का बड़ा पैमाना और महत्वाकांक्षा को दर्शाता है.”

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “जब हमने यह पहल शुरू की थी, तो कांग्रेस के कई प्रमुख नेताओं और उनके इकोसिस्टम के टिप्पणीकारों ने कहा था कि करोड़ों छोटे-मोटे कर्जदारों को लोन देने से एनपीए की समस्या पैदा होगी. उन्हें हमारे देश के गरीब और मध्यम वर्ग पर कोई भरोसा नहीं था. लेकिन, नतीजों ने इन भविष्यवाणियों को झुठला दिया है.”

एबीएस/एबीएम

The post first appeared on .

Loving Newspoint? Download the app now