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वर्ल्ड स्नेक डे : दुनिया में 3,500 से अधिक प्रजातियां, सिर्फ 200 से इंसानों को खतरा

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New Delhi, 15 जुलाई . धरती इंसानों के साथ-साथ अन्य लाखों जीव-जंतुओं का भी घर है. सांप भी इसी में से एक है, जो सरीसृप श्रेणी के जीव में गिना जाता है. ‘सरीसृप’ का मतलब है, ऐसा जीव जो रेंगकर चलता हो. अधिकतर लोग सांपों को नकारात्मक दृष्टि से देखते हैं और उनसे डरते हैं, लेकिन यह इतने भी खतरनाक नहीं होते, जितना समझा जाता है. सांपों के प्रति जागरूकता को बढ़ाने के लिए दुनिया में हर साल 16 जुलाई को ‘विश्व सांप दिवस’ या ‘वर्ल्ड स्नेक डे’ के रूप में मनाते हैं.

धरती पर पारिस्थितिक तंत्र को बेहतर रखने और जैविक संतुलन बनाए रखने में सांपों का खास महत्व है. इनकी उपस्थिति संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र का प्रतीक मानी जाती है, इसलिए इन्हें स्वस्थ पर्यावरण का सूचक भी कहा जाता है. सांपों के लिए विशिष्ट आवास और परिस्थितियों की आवश्यकता होती है.

दरअसल, सांप अपने शिकार की आबादी को नियंत्रित रखने में मददगार होते हैं. वे कीड़े-मकोड़े और अन्य छोटे जानवरों का शिकार करके उन्हें बढ़ने नहीं देते. ठीक वैसे ही यह खाद्य श्रृंखला के भी अभिन्न अंग हैं. यह शिकारी पक्षियों, स्तनधारियों और अन्य विभिन्न प्रकार के जीवों के लिए भोजन का स्रोत हैं.

इसके अलावा, चिकित्सा क्षेत्र में भी सांपों का अमूल्य योगदान है. मनुष्यों के लिए ज्यादा खतरनाक समझे जाने के बावजूद यह कई प्रकार की गंभीर बीमारियों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. खासकर विषैले सांप चिकित्सा जगत में खासा महत्व रखते हैं. बहुत पहले से सांप के जहर का इस्तेमाल कई प्रकार की दवाओं के विकास में किया जाता रहा है.

सांपों को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं, जिसके कारण हमारे समाज में सांपों को गलत ढंग से देखा जाता रहा है. ‘वर्ल्ड स्नेक डे’ मनाने का एक मकसद सांपों को लेकर नकारात्मक सोच को बदलना भी है.

‘वर्ल्ड स्नेक डे’ की शुरुआत साल 1970 से हुई. 1967 में टेक्सास में सांपों के लिए एक फर्म की शुरुआत हुई थी, जो धीरे-धीरे करके 1970 में काफी मशहूर हो गया. इस फर्म ने लोगों को सांपों के प्रति जागरूक करने का काम किया और 16 जुलाई को विशेष आयोजन किए जाते थे. बाद में अन्य एनजीओ ने भी लोगों के बीच सांपों को लेकर विशेष जागरूकता फैलानी शुरू कर दी. इस तरह सांपों के लिए एक दिन समर्पित किया गया.

इंसानों के बीच सांपों को लेकर डर का विषय उनका जहरीला होना माना जाता रहा है. लेकिन, बहुत कम सांप ही वास्तव में जहरीले हैं और उनमें से भी कुछ ही इंसानों के लिए खतरा हैं. दुनियाभर में सांपों की 3,500 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से करीब 300 भारत में हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक, कुल सांपों में सिर्फ 600 प्रजातियां ही जहरीली होती हैं और उनमें से भी केवल 200 प्रजातियां ही इंसानों के लिए खतरा हैं. यह आंकड़ा दिखाता है कि सांप इंसानों के लिए उतना खतरा नहीं हैं, जितना बताया जाता है.

एससीएच/एबीएम

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