चेन्नई, 22 जुलाई . साउथ फिल्म इंडस्ट्री के चमकते सितारों का नाम लिया जाए तो ‘सूर्या’ फेम सरवनन शिवकुमार को भला कैसे इग्नोर किया जा सकता है. दुनिया उन्हें ‘सूर्या’ के नाम से जानती है. 23 जुलाई को एक्टर का 50वां जन्मदिन है. मल्टी टैलेंट और दमदार स्क्रीन प्रेजेंस के साथ सूर्या ने न केवल साउथ बल्कि हिंदी दर्शकों के बीच भी खास जगह बनाई.
‘सिंघम’, ‘गजनी’, ‘जय भीम’ जैसी फिल्मों से उन्होंने दर्शकों के दिलों पर राज किया है.
23 जुलाई 1975 को चेन्नई में सरवनन शिवकुमार का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ जो फिल्मी बैकग्राउंड के थे. उनके पिता मशहूर तमिल अभिनेता शिवकुमार हैं, जबकि छोटे भाई कार्ति शिवकुमार और बहन बृंदा भी सिनेमा से जुड़े हैं. सूर्या ने अपनी स्कूली शिक्षा चेन्नई के प्रतिष्ठित सेंट बीड्स स्कूल से पूरी की और लोयोला कॉलेज से बी.कॉम की डिग्री हासिल की. दिलचस्प बात यह है कि सूर्या का असली नाम सरवनन था, लेकिन मणिरत्नम ने उन्हें ‘सूर्या’ नाम दिया ताकि उस समय के एक अन्य अभिनेता सरवनन से नाम का टकराव न हो.
मणिरत्नम की फिल्मों में ‘सूर्या’ नाम अक्सर किरदारों के लिए इस्तेमाल होता था और यही नाम उनके लिए उनकी पहचान बन गया. सूर्या ने अपने करियर की शुरुआत साल 1997 में मणिरत्नम की फिल्म ‘नेरुक्कु नेर’ से की थी, जिसमें उनके साथ थलापति विजय भी थे. हालांकि, उनकी शुरुआती फिल्में जैसे ‘काधले निम्माधी’ और ‘पेरियान्ना’ बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई.
साल 2003 में ‘काखा काखा’ में पुलिस अधिकारी की भूमिका ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया. साल 2005 में आई ‘गजनी’ में उनकी भूमिका को खूब सराहा गया, जिसने उन्हें चमकता सितारा बना दिया.
‘सिंघम’ सीरीज, ‘कंगुवा’ और ‘जय भीम’ जैसी फिल्मों ने उन्हें साउथ के सबसे भरोसेमंद और बैंकेबल स्टार्स में से एक बना दिया.
सूर्या की निजी जिंदगी भी उनकी फिल्मों की तरह दिलचस्प और खूबसूरत है. साल 2006 में उन्होंने तमिल अभिनेत्री ज्योतिका से शादी की, जिनके साथ उनकी दोस्ती फिल्म ‘पूवेल्लम केट्टुप्पर’ के सेट पर शुरू हुई थी. यह दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गई. दोनों ने ‘काखा काखा’ और ‘सिल्लुनू ओरु काधल’ जैसी फिल्मों में साथ काम किया. सूर्या और ज्योतिका के दो बच्चे हैं बेटी का नाम दीया और बेटे का नाम उन्होंने देव रखा है.
सूर्या की गिनती साउथ फिल्म इंडस्ट्री के सफल सितारों में की जाती है. सूर्या केवल एक एक्टर ही नहीं, बल्कि एक सोशल वर्कर भी हैं. उन्होंने साल 2006 में अगरम फाउंडेशन की स्थापना की, जो ग्रामीण बच्चों की शिक्षा के लिए काम करती है. इस फाउंडेशन ने 150 से अधिक जरूरतमंद बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए काम किया जाता है. इसके अलावा, सूर्या शिवकुमार चैरिटेबल ट्रस्ट के जरिए श्रीलंकाई तमिल बच्चों की शिक्षा में भी मदद करते हैं. वह सेव द टाइगर्स जैसे अभियानों से भी जुड़े हैं.
साल 2013 में उन्होंने प्रोडक्शन कंपनी 2डी एंटरटेनमेंट शुरू की, जिसके तहत ‘जय भीम’ और ‘सोरारई पोटरु’ जैसी प्रशंसित फिल्में बनाई.
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एमटी/एएस
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