देहरादून, 3 मई . उत्तराखंड और नेपाल के मध्य कृषि संबंधी क्षेत्रों में पारस्परिक सहयोग पर देहरादून में परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस दौरान उत्तराखंड के कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कार्यक्रम को दोनों राज्यों के लिए सार्थक बताते हुए कहा कि भारत और नेपाल का रिश्ता रोटी-बेटी का है. उन्होंने बाबा केदार और बाबा पशुपतिनाथ पर बात करते हुए दोनों राष्ट्रों के बीच धार्मिक महत्व पर प्रकाश डाला.
मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य में कृषि क्षेत्र का सतत विकास हो रहा है. इस दौरान कृषि परिचर्चा में कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों में पारस्परिक सहयोग की संभावनाएं तलाशना और कार्य योजनाएं बनाने पर चर्चा की गई.
कृषि मंत्री ने नेपाल के सुदूर पश्चिम प्रांत के मुख्यमंत्री कमल बहादुर शाह का बाबा केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति भेंट कर स्वागत किया. प्रगतिशील किसानों में पद्मश्री डा. प्रेमचंद शर्मा, मनमोहन भारद्वाज औरु अजयपाल सिंह पंवार सहित अन्य किसानों ने भी कमल बहादुर शाह का स्वागत किया.
कमल बहादुर शाह ने भारत और नेपाल के बीच गहरे सामाजिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक संबंधों पर कहा कि दोनों देशों की जीवनशैली, खानपान, पहनावा और धार्मिक आस्थाएं एक-दूसरे से बहुत मिलती-जुलती हैं. विशेष रूप से उत्तराखंड राज्य, जो नेपाल की सीमा से लगा हुआ है, यहां के लोगों का नेपाल के लोगों के साथ सदियों से सामाजिक और सांस्कृतिक मेलजोल रहा है. सीमावर्ती क्षेत्रों में कई परिवारों के आपसी संबंध भी हैं, जिससे दोनों देशों के नागरिकों के बीच एक पारिवारिक भावना का अनुभव होता है.
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच की यह मित्रता केवल कूटनीतिक स्तर तक सीमित नहीं बल्कि जन-जन के दिलों से जुड़ी हुई है. पड़ोसी मित्र राष्ट्र भारत ने बीते वर्षों में जिस तीव्रता से विकास की नई ऊंचाइयों को छुआ है वह अत्यंत प्रेरणादायक है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य में प्राकृतिक और ऑर्गेनिक खेती के क्षेत्र में जो प्रयास किए जा रहे हैं, वे अत्यंत सराहनीय हैं. ये प्रयास न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कारगर हैं, बल्कि किसानों की आय को भी बढ़ावा देते हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विशेष रूप से आभार जताते हुए कहा कि जिनके नेतृत्व में भारत ने न केवल अपने देश के विकास को गति दी है, बल्कि पड़ोसी देशों के साथ सहयोग और सद्भाव की भावना को भी प्रोत्साहित किया है. उन्होंने कहा कि भारत-नेपाल की यह अटूट मित्रता हमारी साझा विरासत है, जिसे हम आने वाले समय में और भी मजबूत करेंगे.
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आशीष/केआर
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