New Delhi, 14 अगस्त . भारत में डायबिटीज एक गंभीर और तेजी से फैलती हुई स्वास्थ्य समस्या है. पहले जहां यह बीमारी बुजुर्गों तक सीमित मानी जाती थी, वहीं अब यह युवाओं को भी तेजी से अपनी चपेट में ले रही है. खराब खानपान, मोटापा और अस्वस्थ जीवनशैली इसके प्रमुख कारण माने जा रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि डायबिटीज के कारण लोगों को दिल की बीमारी, किडनी डैमेज, नर्व डैमेज और आंखों की रोशनी तक जाने का खतरा बना रहता है.
लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, भारत में हर 10 में से 4 लोगों को यह पता ही नहीं होता कि वे डायबिटीज का शिकार हो चुके हैं. यह स्टडी 2017 से 2019 के बीच 45 वर्ष और उससे ज्यादा उम्र के 57,810 लोगों पर की गई. इस स्टडी में पाया गया कि इस उम्र वर्ग के करीब 20 प्रतिशत लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं. दिलचस्प बात यह है कि पुरुष और महिलाओं दोनों में यह अनुपात लगभग समान है.
इस स्टडी के अनुसार, डायबिटीज के मामले शहरी क्षेत्रों में ज्यादा देखे गए हैं. इसका प्रमुख कारण खराब लाइफस्टाइल, शारीरिक गतिविधियों की कमी और मानसिक तनाव हैं.
ऐसे में डायबिटीज के बारे में सही जानकारी हासिल करना बेहद जरूरी है.
डायबिटीज मुख्य रूप से तीन प्रकार की होते हैं- टाइप 1, टाइप 2, और गर्भावधि डायबिटीज. टाइप 1 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है, जबकि टाइप 2 में शरीर इंसुलिन का सही इस्तेमाल नहीं कर पाता. गर्भावधि डायबिटीज महिलाओं को गर्भावस्था के समय होती है. इंसुलिन वह हार्मोन है जो खून में मौजूद शुगर को शरीर की कोशिकाओं में पहुंचाता है, ताकि शरीर ऊर्जा का इस्तेमाल कर सके. जब इंसुलिन काम नहीं करता या शरीर में बनता नहीं है, तो शुगर खून में ही जमा हो जाता है, जिससे कई तरह की समस्याएं शुरू हो जाती हैं.
डायबिटीज के कारण दिल की बीमारी, किडनी फेल होना, आंखों की रोशनी जाना और पैरों की नसें खराब होना जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. इतना ही नहीं, यह बीमारी कैंसर, डिमेंशिया और सुनने की कमी जैसी परेशानियों का भी खतरा बढ़ा देती है.
डायबिटीज से बचाव का सबसे खास तरीका है कि संतुलित खाना खाएं, रोज थोड़ा एक्सरसाइज करें, और समय-समय पर ब्लड शुगर की जांच कराते रहें.
अगर समय रहते सावधानी बरती जाए, तो इस बीमारी को रोका या कंट्रोल किया जा सकता है.
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पीके/जीकेटी
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