New Delhi, 11 नवंबर . केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक बड़े रिश्वतखोरी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए अजीत कुमार पात्रा और उसके सहयोगी मिंकू लाल जैन को गिरफ्तार किया है. दोनों पर आरोप है कि उन्होंने वरिष्ठ Governmentी अधिकारियों और प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों का भेष धरकर लोगों से मोटी रकम वसूली है.
सीबीआई के अनुसार, विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर यह कार्रवाई की गई. जांच में खुलासा हुआ कि अजीत पात्रा और मिंकू जैन विभिन्न मंत्रालयों, न्यायिक और प्रवर्तन अधिकारियों के नाम पर काम करते थे और खुद को केंद्रीय एजेंसियों से जुड़ा बताकर लोगों को धमकाते थे. इस दौरान वे Governmentी आवासों में ठहरते, वीआईपी प्रोटोकॉल का लाभ उठाते और प्रतिबंधित क्षेत्रों तक पहुंच बनाते थे.
मामला 4 नवंबर 2025 की उस छापेमारी से जुड़ी है, जब GST खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई), jaipur ने मेसर्स साइबर नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ विनोद परिहार के परिसरों में छापा मारा था.
उस समय गिरफ्तारी से बचने के लिए परिहार ने कथित तौर पर अजीत पात्रा से संपर्क किया, जिसने डीजीजीआई अधिकारियों के नाम पर 18 लाख रुपए की रिश्वत मांगी.
सीबीआई ने 10 नवंबर को जाल बिछाकर अजीत पात्रा और मिंकू जैन को उस समय गिरफ्तार किया जब वे विनोद परिहार से भेजे गए जगजीत सिंह गिल के माध्यम से रिश्वत की रकम ले रहे थे. मौके से 18 लाख रुपए की ट्रैप राशि भी बरामद की गई.
इसके बाद दिल्ली, Rajasthan और Odisha में तलाशी के दौरान लगभग 3.7 करोड़ रुपए नकद, करीब 1 किलोग्राम सोने के आभूषण, अजीत पात्रा और उसके रिश्तेदारों के नाम पर 26 संपत्तियों के दस्तावेज, चार लक्जरी कारें, 12 अन्य वाहन और कई डिजिटल उपकरण जब्त किए गए.
सीबीआई अधिकारियों के अनुसार, यह एक सुनियोजित नेटवर्क था जो वरिष्ठ अधिकारियों से निकटता का झूठा दावा कर लोगों को ठगता था. एजेंसी ने कहा कि गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ रिश्वतखोरी, धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है.
–आईएएएस
एसएके/पीएसके
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