नई दिल्ली, 11 अप्रैल . दिग्गज विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा कि भारत तेजी से वैश्विक प्रौद्योगिकी विकास के लिए एक सेंट्रल हब बन रहा है.
‘ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट’ के अवसर पर से बातचीत में एक्सपर्ट्स ने टेक्नोलॉजी के भविष्य को आकार देने में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने से लेकर डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) में इनोवेशन को लेकर भारत की भूमिका उजागर की.
साइबर अफेयर्स और क्रिटिकल टेक्नोलॉजी के लिए ऑस्ट्रेलिया के राजदूत ब्रेंडन डॉवलिंग ने भारत की मेजबानी की सराहना की. इसे उन्होंने एक प्रमुख वैश्विक कार्यक्रम बताया.
उन्होंने कहा कि यह समिट नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के नेताओं और थिंक टैंकों को टेक्नोलॉजी और भू-राजनीति के बीच गहरे अंतर-संबंध पर चर्चा करने के लिए एक साथ लाता है.
उन्होंने से कहा, “मुझे लगता है कि यह समिट वास्तव में एक प्रमुख वैश्विक आयोजन बन गया है. यह नीति निर्माताओं और उद्योग थिंक टैंकों को भू-राजनीति और टेक्नोलॉजी के बारे में बात करने के लिए एक साथ लाता है.”
उनके अनुसार, ‘टेक्नोलॉजी’ अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और समृद्धि के मूल में है और भारत का कुशल आईसीटी वर्कफोर्स और संपन्न सॉफ्टवेयर उद्योग इसे वैश्विक तकनीकी क्षमताओं को आगे बढ़ाने में एक आवश्यक भागीदार बनाता है.
उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और भारत के लिए एक मजबूत द्विपक्षीय टेक्नोलॉजी साझेदारी बनाने के अवसर पर भी जोर दिया और दोनों देशों की पूरक शक्तियों पर प्रकाश डाला.
स्वीडिश प्रधानमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ निदेशक जॉन साइमनसन ने तकनीकी प्रगति में सहयोग के महत्व को रेखांकित किया.
उन्होंने कहा कि अधिकांश नई टेक्नोलॉजी को अलग कर विकसित नहीं किया जा सकता, बल्कि इसके लिए देशों, उद्योगों, शिक्षाविदों और सार्वजनिक संस्थानों के बीच संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता होती है.
उन्होंने समिट को एक बेहतरीन मंच बताते हुए कहा कि यह मंच साझा समझ, सहयोगात्मक कार्रवाई और यहां तक कि संयुक्त तकनीकी परियोजनाओं के निर्माण का अवसर प्रदान करता है.
यूरोपियन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में एशिया कार्यक्रम की निदेशक और वरिष्ठ नीति फेलो जानका ओर्टेल ने भारत के समावेशी दृष्टिकोण, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ, यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ इसके जुड़ाव की सराहना की.
उन्होंने समिट को उभरती टेक्नोलॉजी से उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान के रूप में उजागर किया.
उन्होंने को बताया, “भारत ने विशेष रूप से डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में एक महत्वाकांक्षी एजेंडा तैयार किया है और यह गति भारत, यूरोप और दूसरे क्षेत्रों के बीच सार्थक सहयोग को जन्म दे सकती है.”
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एसकेटी/एबीएम
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