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पति के मरने के बाद जब देखा अकाउंट, पड़ा था इतना पैसा कि नहीं हुआ यकीन!! ⁃⁃

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Investment Strategy: नौकरी करने वाला, दुकान चलाने वाला या छोटा-मोटा धंधा करने वाला व्यक्ति क्या करोड़पति बन सकता है? तो उसका जवाब है- हां. परंतु इसके लिए उसे तो काम करना ही होगा, साथ ही अपनी कमाई भी काम पर लगाना होगा. जैसे कि म्यूचुअल फंड्स में पैसा लगाना, शेयर बाजार में स्टॉक खरीदना या फिर अपने पैसे को किसी नए बिजनेस में लगाकर अपना धंधा बढ़ाना. नया धंधा करने में परेशानी यह रहती है कि वह चलेगा या नहीं. अगर नहीं चला तो सब डूब जाएगा. तो फिर कैसे पैसा बनाया जा सकता है? एक महिला की इस कहानी से आप वो फॉर्मूला समझ सकते हैं कि कैसे अमीर बना जा सकता है.

बता दें कि एक स्मार्ट निवेशक अपने धन को लॉन्ग टर्म में काफी बढ़ा सकता है. इसके लिए एक विशेष रणनीति (स्ट्रैटेजी) है, जिसका नाम है कॉफी कैन पोर्टफोलियो (Coffee Can Portfolio). निवेश की यह रणनीति कहती है कि आप अच्छी कंपनियों के शेयर खरीदें और लंबे समय तक होल्ड करें. लम्बे समय तक होल्ड करने से मतलब है कि उन्हें भूल ही जाएं. हो सकता है आपको इस पर भरोसा न हो, इसलिए आप इस सच्ची कहानी के जरिए समझिए. यह कहानी 1950 के दशक के मध्य में अमेरिका के इनवेस्टमेंट मैनेजर रॉबर्ट जी. किर्बी के अनुभव से जुड़ी है.

अमीर बनाने का दावा नहीं करती थी फर्म 1950 के दशक में किर्बी एक बड़ी इनवेस्टमेंट कंस्लटेंट फर्म में काम करते थे. उनकी कंपनी के ज्यादातर ग्राहक पर्सनल निवेशक थे. उस समय उनके क्लाइंट्स से कहा जाता था, “हमारा काम आपकी पूंजी को सुरक्षित रखना है, न कि उसे बढ़ाना. अगर आपको अधिक अमीर बनना है, तो किसी और को हायर करें.”

किर्बी को खुद भी यकीन नहीं था कि वह किसी को अमीर बना सकते हैं, मगर एक महिला ग्राहक के अनुभव ने उनकी सोच बदल दी. किर्बी ने “कॉफी कैन इनवेस्टमेंट” की ताकत को समझा. यह कहानी उन्होंने 1984 में द जर्नल ऑफ पोर्टफोलियो मैनेजमेंट में लिखी थी और इसकी खूब चर्चा भी हुई थी.

ये है पूरी कहानी उस महिला का पति एक वकील था और वही महिला के फाइनेंशियल मामलों को देखता था. पति की अचानक मौत हो गई तो महिला को लगा कि उसे अपने पैसे गंवाने नहीं हैं. इसलिए उसने अपनी संपत्ति और शेयर किर्बी के साथ जोड़ने की बात की. जब किर्बी ने महिला के पति के पोर्टफोलियो का विश्लेषण किया, तो वह हैरान रह गए.

उनके पति के पास कई छोटे और बड़े निवेश थे. किसी निवेश की कीमत 2,000 डॉलर से भी कम थी, जबकि कुछ 100,000 डॉलर से अधिक के थे. लेकिन सबसे चौंकाने वाला निवेश “हैलॉयड” (जो बाद में Xerox बन गई) में था, इसकी कीमत 800,000 डॉलर थी. यह उसकी पत्नी के पूरे पोर्टफोलियो से बड़ा था.

कैसे बनी दौलत? किर्बी ने पाया कि महिला के पति निवेश के लिए मिलने वाली सलाहों का गुपचुप पालन करते थे. जब भी किर्बी की तरफ से महिला को किसी स्टॉक को खरीदने की सलाह मिलती थी, उनके पति 5,000 डॉलर के शेयर खरीद लेते थे. इसके बाद किर्बी की तरफ से शेयर बेचने की सलाह भी मिलती थी, लेकिन उस सलाह को वे इग्नोर कर देते थे. उन्होंने इन शेयर सर्टिफिकेट्स को सेफ डिपॉजिट बॉक्स में रखा और भूल गए.

किर्बी ने बताया कि इस रणनीति का नाम “कॉफी कैन पोर्टफोलियो” पुरानी पश्चिमी परंपरा से प्रेरित है. उस समय लोग अपनी कीमती चीजों को कॉफी के डिब्बे में डालकर गद्दे के नीचे छिपा देते थे.

क्या यह एक्टिव निवेश से बेहतर है? किर्बी ने कहा कि कॉफी कैन पोर्टफोलियो की सादगी इसे एक्टिव निवेश से बेहतर बना सकती है. उन्होंने उदाहरण दिया कि अगर 100 मिलियन डॉलर का पोर्टफोलियो बनाया जाए और इसे समय के लिए छोड़ दिया जाए, तो इसका परिणाम बहुत शानदार हो सकता है.

निवेश करते समय इन बातों का रखें ध्यान निवेश करते समय इन बातों का रखें ध्यानआगे देखें… हालांकि इसमें हर फंड में 2 प्रतिशत से ज्यादा का निवेश नहीं करना है. ऐसे में पोर्टफोलियो में कई शेयर जमा हो जाएंगे और किसी का रिटर्न बहुत अच्छा तो किसी का सामान्य होगा. यदि किसी स्टॉक में लगा पैसा डूब भी जाए तो लॉस केवल 2 प्रतिशत ही होगा, जोकि काफी कम है.

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