तेलंगाना सरकार में मंत्री बने मोहम्मद अजहरुद्दीन
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहम्मद अजहरुद्दीन ने शुक्रवार को तेलंगाना मंत्रिमंडल में मंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा ने उन्हें राजभवन में शपथ दिलाई। इस नियुक्ति के साथ, तेलंगाना की कांग्रेस सरकार में पहली बार मुस्लिम प्रतिनिधित्व शामिल हुआ है।
भाजपा ने अजहरुद्दीन की मंत्रिमंडल में एंट्री की तीखी आलोचना की है। दिलचस्प बात यह है कि मोहम्मद अजहरुद्दीन न तो विधायक हैं और न ही विधान परिषद के सदस्य। किसी भी सरकार में मंत्री बनने के लिए इनमें से एक पद होना आवश्यक है। हालांकि, उन्हें राज्यपाल कोटे से विधान परिषद में मनोनीत किया गया है, लेकिन राज्यपाल ने अभी तक इस पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इस बीच, उन्होंने मंत्री पद की शपथ ले ली है। उन्हें अगले 6 महीने में विधान परिषद सदस्य बनना होगा ताकि वह मंत्री पद बनाए रख सकें।
मंत्रियों की संख्या बढ़कर 16 हुई
अजहरुद्दीन के शामिल होने से पहले तेलंगाना सरकार में कुल 15 मंत्री थे, जिनमें अल्पसंख्यकों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं था। नियमों के अनुसार, मंत्रिमंडल में तीन और सदस्यों के लिए स्थान था। ऐसे में सरकार ने एक अल्पसंख्यक चेहरे को शामिल करने का निर्णय लिया।
अजहरुद्दीन को उस समय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है जब कांग्रेस पार्टी जुबली हिल्स उपचुनाव में जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। जुबली हिल्स सीट पर लगभग 1 लाख मुस्लिम मतदाता हैं, जो निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। इस साल जून में बीआरएस विधायक मगंती गोपीनाथ के निधन के कारण यह उपचुनाव आवश्यक हो गया।
उपचुनाव में कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस पार्टी ने अजहरुद्दीन को मंत्रिमंडल में शामिल करके जुबली हिल्स सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश देने का प्रयास किया है। तेलंगाना विधानसभा में 119 विधायक हैं। यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान ने अजहरुद्दीन को मंत्रिमंडल में शामिल करने का अनुरोध किया था, जिसके बाद उन्हें सरकार में स्थान दिया गया।
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