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प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़: 30 लोगों की मौत, त्रिभुवन पांडे का दर्दनाक अनुभव

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महाकुंभ भगदड़ की घटना


महाकुंभ भगदड़ की घटना में मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज के संगम क्षेत्र में स्नान के लिए पहुंचे तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ के कारण 30 लोगों की जान चली गई और 60 अन्य घायल हो गए। मृतकों में से 25 की पहचान हो चुकी है, जिनमें कर्नाटक के चार लोग और असम तथा गुजरात के एक-एक व्यक्ति शामिल हैं। त्रिभुवन पांडे, जो लखनऊ में HAL से रिटायर्ड हैं, ने अपनी पत्नी मंजू पांडे को खो दिया। उन्होंने बताया कि भगदड़ के दौरान उनके साथ क्या हुआ।


पत्नी का स्नान करने का सपना

त्रिभुवन पांडे ने कहा, "मेरी पत्नी मंजू का मौनी अमावस्या पर स्नान करने का बहुत मन था। उसने मुझसे कहा कि यह अवसर 144 साल में एक बार आता है, इसे खोना नहीं चाहती। मैंने उन्हें मना नहीं किया और साथ ले गया। शुरुआत में सब कुछ ठीक था, लेकिन जैसे ही हम लेटे हुए हनुमान जी के पास पहुंचे, पुलिस ने अचानक बैरिकेड बंद कर दिए। भीड़ ने इसका विरोध किया, लेकिन पुलिस ने नहीं सुनी।"


भगदड़ का कारण

उन्होंने आगे कहा, "संगम में जाने के प्रयास में भगदड़ मच गई। लोग एक-दूसरे पर चढ़ते गए, लेकिन पुलिस ने बैरिकेड नहीं खोले। मेरे ऊपर कई लोग चल गए, जिससे मुझे गंभीर चोटें आईं। मैं वहीं बेहोश हो गया। जब मेरी आंख खुली, तो मैंने अपनी पत्नी को नहीं पाया।"


पुलिस की भूमिका पर सवाल

त्रिभुवन ने कहा, "मैं अपनी पत्नी को खोजता रहा, लेकिन वह नहीं मिली। शाम तक मेरे परिवार ने कहा कि वह पीजीआई में हैं। जब मैं वहां पहुंचा, तो मुझे बताया गया कि वह अब जीवित नहीं हैं। अगर पुलिस ने बैरिकेड नहीं लगाए होते, तो मेरी पत्नी आज जीवित होती।"


भगदड़ कैसे हुई?

DIG महाकुंभ मेला वैभव कृष्ण ने बताया, "मौनी अमावस्या पर स्नान के लिए ब्रह्म मुहूर्त से पहले देर रात एक से दो बजे के बीच मेला क्षेत्र में भारी भीड़ का दबाव बना। इस दबाव के कारण दूसरी ओर के अवरोधक टूट गए और भीड़ ने अवरोधक लांघकर दूसरी तरफ स्नान का इंतजार कर रहे श्रद्धालुओं को कुचलना शुरू कर दिया। इसी वजह से यह घटना हुई।"


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