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ग्लोबल मार्केट के झटकों से मुक्त ट्रम्प-टैरिफ-प्रूफ पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं तो इन सेक्टर पर ध्यान दें

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शेयर मार्केट में मंगलवार को पुलबैक देखा जा रहा है, जहां बाज़ार शुक्रवार और फिर सोमवार की बड़ी गिरावट के बाद खुद को रिबाउंड करने की कोशिश कर रहे हैं. मार्केट में मंगलवार को एक बड़ी गैप अप ओपनिंग देखने को मिली, जिसके बाद ऊपरी लेवल पर कुछ सेलिंग प्रेशर दिखा. निफ्टी 22544 के डे हाई लेवल पर पहुंच कर नीचे आया.इस दौरान निवेशकों में अब भी चिंता है कि ग्लोबल मार्केट रेसिप्रोकल टैरिफ के दबाव में और नेगेटिव रिएक्शन न दे दें. ट्रम्प के टैरिफ इम्पैक्ट से अगर अपने पोर्टफोलियो को बचाना है तो ऐसे सेक्टर पर ध्यान देना होगा जहां ट्र्म्प के टैरिफ की पहुंच न हो. याने लोकल स्टॉक पर ध्यान देना होगा. कैसे बनाएं ट्रम्प-टैरिफ-प्रूफ पोर्टफोलियोअमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप की नए टैरिफ थ्रेट ने महंगाई की आशंकाओं को फिर से जगा दिया है. अर्थशास्त्री पहले से ही वैश्विक मांग में झटके की चेतावनी दे रहे हैं जो 2025 में वैश्विक आर्थिक विकास में 75 से 125 आधार अंकों की कमी ला सकता है और अब ब्लैकरॉक के सीईओ लैरी फ़िंक ने चेतावनी दी है कि शेयर बाज़ार 20% और गिर सकते हैं क्योंकि अमेरिका में टैरिफ़ की वजह से कुछ निवेशकों को लगता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था पहले से ही सिकुड़ रही है.गिरावट की आशंका के इस दौर में निवेशक लोकल बिज़नेस वाली कंपनियों की ओर आ रहे हैं.इस अनिश्चित्ता के दौर में निवेशकों को अपना ध्यान भारत के अपने आर्थिक इंजन पर लगाना चाहिए. मौजूदा माहौल में FMCG और कंज़प्शन जैसे घरेलू-केंद्रित क्षेत्र कहीं बेहतर स्थिति में हैं. निर्यात-भारी या वैश्विक रूप से उजागर क्षेत्र पिछड़ सकते हैं, खासकर व्यापार स्पष्टता अभी भी कुछ दूर है. मजबूत घरेलू बुनियादी बातों वाले सेक्टर फाइनेंस, एफएमसीजी और इंफ्रा - भारत की चल रही संरचनात्मक गति से सबसे अधिक लाभान्वित होंगे. इन बिज़नेस का वैश्विक जोखिम कम है और आंतरिक खपत, राजकोषीय नीतियों और इन्फ्रा में निवेश के कई मौके मिलेंगे.इस स्थिति में फाइनेंशियल सेक्टर के साथ साथ बैकिंग स्टॉक भी अच्छा विकल्प हैं. एफआईआई का 2 बिलियन डॉलर का दांव यह संकेत देता है कि निजी बैंक ऋण वृद्धि की लहर पर सवार हैं जो 11% से बढ़कर लगभग 13-14% हो गई है.वित्तीय क्षेत्र भी एफआईआई की पसंदीदा सूची में है क्योंकि मार्च महीने के आंकड़ों से पता चलता है कि विदेशी निवेशकों ने इस महीने में 14,274 करोड़ रुपये के फाइनेंशियल सर्विस स्टॉक खरीदे, जबकि उन्होंने मार्च में कुल मिलाकर लगभग 4,000 करोड़ रुपये के भारतीय इक्विटी बेचे.
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