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उरी और पुलवामा हमले के बाद भारत-पाकिस्तान ने कैसे कम किया था तनाव?

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Getty Images 22 अप्रैल को पहलगाम में चरमपंथी हमला हुआ था

पिछले सप्ताह पहलगाम हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी.

भारतीय सुरक्षा बलों और राजनयिकों के पास इससे पहले भी इस तरह की घटनाओं के अनुभव हैं.

2016 में उरी में अपने 19 सैनिकों के मारे जाने के बाद भारत ने नियंत्रण रेखा के पार चरमपंथियों के शिविरों पर 'सर्जिकल स्ट्राइक' की थी.

2019 में पुलवामा में विस्फोट हुआ जिसमें भारतीय अर्द्धसैनिक बलों के 40 जवान मारे गए थे. इसके बाद भारत ने बालाकोट में अंदर तक एयर स्ट्राइक की. ये 1971 के बाद पाकिस्तान के अंदर भारत की इस तरह की पहली कार्रवाई थी. भारत की इस कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने भी हमले किए थे और हवा में टकराव हुआ था.

इससे पहले, 2008 में मुंबई में होटलों पर 60 घंटे तक कब्जे, रेलवे स्टेशनों और यहूदी केंद्रों पर भयावह चरमपंथी हमलों में 166 लोग मारे गए थे.

हर बार भारत ने हमलों के लिए पाकिस्तान स्थित चरमपंथी समूहों को ज़िम्मेदार ठहराया है और पाकिस्तान पर उन्हें मौन समर्थन देने का आरोप लगाया है. जबकि पाकिस्तान इसका लगातार खंडन करता रहा है.

2016 से और खास कर 2019 के हवाई हमलों के बाद, तनाव नए मोड़ तक पहुंचता दिखा है.

ऐसे हालात में भारत का सीमा पार जाकर हवाई हमला करना एक नया पैमाना बन गया है और इसने पाकिस्तान को जवाबी कार्रवाई करने के लिए उकसाया है.

इसने उथलपुथल भरे इस माहौल को और गर्म कर दिया है.

मौजूदा तनाव पर कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भारत खुद को प्रतिक्रिया और प्रतिरोध के बीच नाज़ुक संतुलन बनाए रखने की स्थिति में पा रहा है.

पुलवामा हमले के बाद क्या हुआ था image Getty Images पुलवामा हमला में भारतीय सुरक्षाबलों के 40 जवान मारे गए थे (फ़ाइल फ़ोटो)

पुलवामा हमले के दौरान पाकिस्तान में भारत उच्चायुक्त रहे अजय बिसारिया बार-बार उभरने वाली इस स्थिति को अच्छी तरह समझते हैं.

उन्होंने अपने संस्मरण 'एंगर मैनेजमेंट : द ट्रबल्ड डिप्लोमैटिक रिलेशन बिटवीन इंडिया एंड पाकिस्तान' में इस हालात का ब्योरा दिया है.

अजय बिसारिया ने कहा, ''पुलवामा में विस्फोट और पहलगाम की हत्याओं के बाद के जो हालात पैदा हुए हैं वो लगभग एक जैसे हैं.''

फिर भी उनका ये कहना था कि पहलगाम वाली घटना थोड़ी अलग है. पुलवामा या उरी में हुए हमलों में निशाना सुरक्षा बल के लोग थे. लेकिन पहलगाम के हमले में आम नागरिकों को निशाना बनाया गया.

इसने 2008 के मुंबई हमलों की यादें ताज़ा कर दीं. वो कहते हैं, ''पहलगाम हमले में पुलवामा हमले के तत्व थे लेकिन इसमें मुंबई में हुए हमले का पैटर्न दिखा.''

उन्होंने कहा,''हम फिर संघर्ष की स्थिति में हैं और कहानी लगभग उसी तरह आगे बढ़ रही है."

पहलगाम हमले के एक सप्ताह बाद भारत ने तेजी से कई कदम उठाए.

जैसे सिंधु जल संधि को निलंबित करना , राजनयिकों को निष्कासित करना और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा पर रोक.

पाकिस्तान से आने वाले विमानों के लिए भारत का एयर स्पेस बंद कर दिया गया है और पाकिस्तान से होने वाले निर्यात पर भी रोक लगा दी गई है.

पाकिस्तान की तरफ से भी जवाबी कदम उठाए गए हैं. जैसे, उन्होंने भी भारतीय विमानों के लिए अपना एयर स्पेस बंद कर दिया है. भारतीयों के लिए वीजा जारी करना बंद कर दिया है और शिमला समझौते को निलंबित कर दिया है.

हाल के दिनों में दोनों देशों की सीमा पर रुक-रुक कर छोटी गोलीबारियां हुई हैं.

image BBC

अजय बिसारिया ने अपने संस्मरण में 14 फरवरी 2019 को पुलवामा पर हुए हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया का ज़िक्र किया है.

इसमें वो बताते हैं "अगली सुबह मुझे दिल्ली बुलाया गया, क्योंकि सरकार ने व्यापार रोकने के लिए तेज़ी से कदम उठाए थे. 1996 में पाकिस्तान को दिए मोस्ट फेवर्ड नेशन के स्टेटस को रद्द कर दिया गया. अगले कुछ दिनों में, सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमिटी ने पाकिस्तानी सामानों पर 200 फ़ीसदी सीमा शुल्क लगा दिया, जिससे आयात पर रोक लग गई और वाघा बॉर्डर के रास्ते होने वाले व्यापार को निलंबित कर दिया गया."

अजय बिसारिया ने बताया कि इन कदमों के साथ ही पाकिस्तान के साथ संबंधों को कम करने के लिए कई दूसरे कदम भी उठाए गए.

इनमें सीमा पार जाने वाली समझौता एक्सप्रेस को निलंबित करना, दिल्ली और लाहौर के बीच चलने वाली एक बस सेवा को निलंबित करना, करतारपुर कॉरिडोर पर चल रही बातचीत को स्थगित करना, वीजा जारी करने पर रोक लगाना और दोनों देशों के बीच उड़ानों को निलंबित करने जैसे कदम शामिल थे.

बिसारिया लिखते हैं, ''भरोसा बनाना कितना कठिन था लेकिन इसे तोड़ना कितना आसान.''

''आपसी विश्वास बहाल करने, बातचीत और मुश्किल रिश्तों के बीच उन्हें लागू करने की सारी योजनाएं मिनटों में ख़ारिज हो जाती हैं.''

जून 2020 में एक अलग कूटनीतिक घटना के बाद पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या 110 से घटकर 55 रह गई थी. (पहलगाम हमले के बाद ये संख्या 30 हो गई).

पुलवामा हमले के बाद भारत के कूटनीतिक कदम image AJAY BISARIA अजय बिसारिया ये बताते हुए कि पिछले तनावों के दौरान भारत और पाकिस्तान ने क्या किया था

भारत ने कई कूटनीतिक कदम भी उठाए थे. पुलवामा हमले के एक दिन बाद, तत्कालीन विदेश सचिव विजय गोखले ने 25 देशों के राजदूतों को बम विस्फोट में पाकिस्तान स्थित चरमपंथी समूह जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) की भूमिका के बारे में जानकारी दी थी. इन देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, रूस और फ्रांस शामिल थे.

जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी. भारत के कूटनीतिक कदम हमले के 10 दिन बाद 25 फरवरी को भी जारी रहे, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति की ओर से आतंकवादी घोषित कराने और यूरोपीय संघ की "स्वायत्त आतंकवादी सूची" में शामिल कराने के लिए दबाव बनाया गया.

इन तमाम कदमों के बीच कम्युनिकेशन चैनल खुले रखे गए थे, जिसमें दोनों देशों के सैन्य ऑपरेशनों के महानिदेशकों के बीच हॉटलाइन भी शामिल थी. ये दोनों देशों की सेना और उच्चायोग के बीच संपर्क की एक अहम कड़ी है.

सुषमा स्वराज ने क्या संकेत दिए थे image Getty Images सुषमा स्वराज ( फ़ाइल फ़ोटो)

पहलगाम हमले की तरह साल 2019 में पुलवामा हमले पर भी पाकिस्तान ने कहा था ये एक 'फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन' था.

इस बार की तरह उस समय भी कश्मीर में कथित चरमपंथियों के 80 'ओवरग्राउंड मददगारों' को गिरफ़्तार किया गया था. माना जा रहा था कि इन लोगों ने हमलावरों को यहां ठिकाना खोजने और दूसरे साजो-सामान के साथ ख़ुफिया जानकारी मुहैया कराई थी.

उस समय भारत के गृह मंत्री रहे राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया था और हमले और संदिग्ध साजिशकर्ताओं पर डोजियर तैयार किए गए थे.

अजय बिसारिया ने तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाक़ात में कहा था, '' इस तरह के आतंकवादी हमले से निपटने के लिए भारत के कूटनीतिक विकल्प सीमित हैं.''

बिसारिया अपने संस्मरण में लिखते हैं, '' उन्होंने मुझे ऐसा आभास कराया जैसे सरकार कुछ कड़े कदम उठाने जा रही है. इसके बाद मुझे उम्मीद करनी चाहिए थी कि डिप्लोमेसी की भूमिका का विस्तार हो सकता है.''

26 फरवरी को भारतीय सेना की तरफ से जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप को निशाना बनाते हुए एयर स्ट्राइक की गई. साल 1971 के बाद से भारत की तरफ से अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार ये पहला हमला था.

छह घंटे बाद भारतीय विदेश सचिव ने एलान किया कि इस हमले में बड़ी संख्या में चरमपंथी और उनके कमांडर मारे गए हैं.

लेकिन पाकिस्तान ने तुरंत इस दावे को खारिज कर दिया. इसके बाद दिल्ली में और भी हाई लेवल बैठकें हुईं.

अगली सुबह, 27 फरवरी को पाकिस्तान ने जवाबी हवाई हमले किए.

इस दौरान भारत के एक विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान के विमान को सीमा पार पाकिस्तानी सेना ने गिरा दिया. अभिनंदन को पाकिस्तानी सेना ने हिरासत में ले लिया था.

दूसरे देश की धरती पर उनकी गिरफ़्तारी ने पूरे देश में चिंता की लहर पैदा कर दी. और इसने परमाणु हथियारों से लैस दोनों देशों के बीच तनाव को काफी ज्यादा बढ़ा दिया.

भारत के कूटनीतिक चैनल image AFP भारत में चरमपंथी हमलों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन

बिसारिया लिखते हैं "तब भारत ने कई कूटनीतिक चैनल सक्रिय किए. इसके बाद अमेरिका और ब्रिटेन के दूतों ने पाकिस्तान पर दबाव डाला. भारत का संदेश था कि पाकिस्तान ने पायलट को नुकसान पहुंचाने की कोई भी कोशिश की तो स्थिति बिगड़ सकती है.''

तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने 28 फरवरी को अभिनंदन की रिहाई की घोषणा की.

पाकिस्तान ने इसे तनाव कम करने के लिए "सद्भावना भरा कदम '' के तौर पर पेश किया.

5 मार्च तक जब पुलवामा और बालाकोट का मामला थोड़ा ठंडा पड़ा और अभिनंदन की वापसी हो गई तो भारत में राजनीतिक माहौल थोड़ा नरम हुआ.

इसके बाद सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमिटी ने भारत के उच्चायुक्त को वापस पाकिस्तान भेजने का फैसला किया, जिससे कूटनीति की दिशा में बदलाव का संकेत मिला.

बिसारिया लिखते हैं, "मैं पुलवामा हमले के बाद 22 दिन बाद 10 मार्च को इस्लामाबाद पहुंचा.भारत पुरानी शैली की कूटनीति को एक और मौका देने के पक्ष में था. शायद इसलिए कि भारत ने एक रणनीतिक और सैन्य लक्ष्य हासिल कर लिया था और पाकिस्तान ने भी अपने देशवासियों के सामने खुद को विजेता के तौर पर पेश कर लिया था.''

बिसारिया ने इसे राजनयिक के तौर पर "एक चुनौती भरा और दिलचस्प समय' बताया था. इस बार अंतर ये है कि निशाना भारतीय नागरिक थे. उन पर हमला हुआ. विडंबना ये है कि ये घटना ऐसे समय में हुई जब कश्मीर में हालात नाटकीय ढंग से सुधरे थे.''

'संकट बरकरार' image Getty Images पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है

बिसारिया कहते हैं कि ऐसी स्थिति में तनाव अपरिहार्य है लेकिन ऐसे मामलों के समय 'तनाव बढ़ने की प्रवृति के साथ तनाव कम करने की प्रवृति' भी होती है.

उन्होंने कहा कि जब ऐसे संघर्षों के दौरान सुरक्षा पर कैबिनेट कमिटी की बैठक होती है तो वो इन फ़ैसलों के आर्थिक असर का आकलन करते हैं और ऐसे उपाय तलाशते हैं जो भारत के खिलाफ़ प्रतिक्रिया को बढ़ावा दिए बगैर पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाए.

बिसारिया न कहा, '' इस बार भी बॉडी लैंग्वेज और माहौल पहले जैसा ही था.''

वो इस बात पर जोर देते हैं कि इस बार सबसे अहम फ़ैसला भारत का सिंधु जल समझौता को निलंबित करना था. अगर भारत इस पर आगे कार्रवाई करता है तो पाकिस्तान पर इसके दीर्घकालिक और गंभीर असर होंगे.

बिसारिया कहते हैं,''याद रखें कि हम अब भी संकट में घिरे हैं. हालांकि अभी तक हमने कोई सैन्य कार्रवाई नहीं देखी है.''

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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