उत्तर प्रदेश में इन दिनों छांगुर बाबा ख़ूब सुर्ख़ियाँ बटोर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने जमालुद्दीन उर्फ़ छांगुर बाबा पर धर्मांतरण का आरोप लगाया है.
पिछले दिनों उन्हें इस मामले में गिरफ़्तार भी किया गया है. राज्य सरकार ने इस मामले में आगे की कार्रवाई करते हुए नेपाल की सीमा से सटे बलरामपुर ज़िले में उनके घर को बुलडोज़र से गिरा दिया.
हालाँकि ये घर उनकी सहयोगी के नाम पर है. लेकिन छांगुर बाबा का परिवार यहीं रहता था.
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इस मामले पर राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कई बार बयान दिया है.
एक बयान में उन्होंने कहा, "हमारी सरकार बहन-बेटियों की गरिमा और सुरक्षा के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है. प्रारंभिक जाँच में सामने आया है कि अभियुक्त की गतिविधियाँ केवल समाज विरोधी ही नहीं, बल्कि राष्ट्र विरोधी भी हैं."
हालाँकि छांगुर बाबा पर लगे आरोपों पर उनके और उनकी सहयोगी के वकील मोहम्मद आमिर का कहना है, "ये मामला अब अदालत में है, तो इस पर जो भी कुछ कहना होगा, वो अदालत में कहा जाएगा. हम अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा क़ानूनी दायरे में करेंगे. जहाँ तक आरोपों का सवाल है, अभी इस पर जाँच चल रही है."
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उत्तर प्रदेश एटीएस ने पिछले सप्ताह छांगुर बाबा को गिरफ़्तार किया था.
एटीएस ने छांगुर बाबा पर धर्मांतरण रैकेट चलाने का आरोप लगाया है और कहा है कि इसकी जाँच की जा रही है.
छांगुर बाबा के सहयोगी का घर गिराए जाने को लेकर बलरामपुर के ज़िलाधिकारी पवन अग्रवाल ने मीडिया से बातचीत में कहा, "जाँच में ये पाया गया है कि ये इमारत अवैध रूप से सरकारी ज़मीन पर बनाई गई थी. इसके बाद कार्रवाई की गई. इस संबंध में और काग़ज़ात की जाँच की जा रही है."
बलरामपुर के उतरौला में गिराई गई इमारत नीतू रोहरा के नाम पर है, जो मुंबई की रहने वाली हैं. नीतू रोहरा को भी उत्तर प्रदेश पुलिस ने पाँच जुलाई को गिरफ़्तार किया था.
नीतू रोहरा को छांगुर बाबा की क़रीबी बताया जाता है. पुलिस के मुताबिक़ नीतू रोहरा उर्फ़ नसरीन ने छांगुर बाबा की मुरीद बनने के बाद इस्लाम अपना लिया था.
छांगुर बाबा बलरामपुर ज़िले के उतरौला तहसील के अंतर्गत रेहरा माफ़ी गाँव के रहने वाले हैं. उनका जन्म इसी गाँव में हुआ था.
छांगुर बाबा के तीन और भाई हैं, जिनमें से तीन अभी भी गाँव में रहते हैं.
भाइयों में सबसे बड़े छांगुर बाबा का बचपन ग़रीबी में बीता. उन्होंने कई साल तक भीख मांगकर जीवन यापन किया.
गाँव के वर्तमान प्रधान मंशाराम यादव के मुताबिक़ उनके एक भाई अभी भी भिक्षा मांगने का काम करते हैं.
गाँव के लोग बताते हैं कि छांगुर बाबा साइकिल से नग और अंगूठी बेचने का काम करते थे.
कई सालों तक ये काम करने के बाद वे मुंबई चले गए और बाद में अपने आप को पीर घोषित कर दिया.
छांगुर बाबा दो बार 2005-2010 और 2015-2020 तक अपने गाँव रेहरा माफ़ी के प्रधान भी रहे.
कस्बे के चांद औलिया दरगाह के पास उन्होंने अपनी एक बैठक भी बना ली थी. वहीं पर मुरीदों का आना जाना था.
प्रधान मंशाराम यादव का कहना है कि साल 2020 के बाद बाबा ने गाड़ी वगैरह ख़रीदी.
जिस घर को गिराया गया है, उसके निर्माण को लेकर वसीउद्दीन उर्फ़ बब्बू से छांगुर बाबा का विवाद शुरू हुआ था.
पैसे के लेन-देन से विवाद बढ़ा और दोनों के बीच झगड़ा हुआ था. स्थानीय लोगों के मुताबिक़ निर्माण में तय रकम को लेकर विवाद बढ़ा था.
स्थानीय निवासी एमन रिज़वी के अनुसार छांगुर बाबा के सहयोगी बब्बू चौधरी ने लगभग एक साल पहले उनके ख़िलाफ़ अवैध धर्मांतरण की शिकायत की थी. इस शिकायत के बाद कई संगठनों ने प्रशासन से कार्रवाई की मांग की थी.
छांगुर बाबा ने बब्बू के ख़िलाफ़ स्थानीय थाने में मुक़दमा दर्ज कराया था. जवाब में बब्बू ने भी मुक़दमा लिखाया था. इस मामले में बब्बू चौधरी से संपर्क नहीं हो सका है.
छांगुर बाबा के ख़िलाफ़ प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने भी केस दर्ज किया है. अब ईडी इसकी जाँच करेगी कि छांगुर बाबा के पास पैसा कहाँ से आ रहा था.
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उत्तर प्रदेश एटीएस ने छांगुर बाबा पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.
यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) अमिताभ यश ने पिछले दिनों पत्रकारों से बातचीत में कहा था, "यह एक बड़ा धर्मांतरण रैकेट है, जिसकी जाँच एटीएस कर रही है."
बुलडोज़र से छांगुर बाबा का घर गिराए जाने के दौरान वहाँ केवल उनकी बहू साबिरा महबूब मौजूद थीं.
उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, "एक महीने से पुलिस घर को घेरे हुए है. छोटे बच्चे डरे हुए हैं. पुलिस ने घर पर लगे सीसीटीवी कैमरे भी तोड़ दिए हैं."
साबिरा के पति को पुलिस पहले ही गिरफ़्तार कर चुकी है. गाँव के लोग इस मामले पर बात करने से बच रहे हैं.
उतरौला के स्थानीय पत्रकार वाजिद हुसैन ने बताया, "छांगुर बाबा के संपर्क में कई प्रभावशाली लोग थे. वह अपने गाँव रेहरा माफ़ी के दो बार प्रधान रह चुके हैं. उतरौला तहसील में वो प्रॉपर्टी की ख़रीद-फ़रोख़्त का काम भी करते थे, जिससे कई लोग उनसे जुड़े हुए थे."
एटीएस का दावा है कि धर्मांतरण को लेकर छांगुर बाबा के ख़िलाफ़ कई शिकायतें भी दर्ज की गई हैं.
पुलिस के मुताबिक़ आज़मगढ़ के देवगाँव थाने में भी छांगुर बाबा के सहयोगियों और रिश्तेदारों के ख़िलाफ़ अवैध धर्मांतरण का मुक़दमा दर्ज किया गया है.
रेहरा माफ़ी गाँव के निवासी फूल चंद्र पांडेय ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "कुछ साल पहले तक वह अंगूठी और नग बेचते थे. बाद में गाँव के प्रधान चुने गए. इतना पैसा कैसे आया, इसकी जानकारी नहीं है. वह तो वही बता सकते हैं. लेकिन गाँव में कभी कोई संदिग्ध गतिविधि नज़र नहीं आई."
एडीजी अमिताभ यश कहते हैं, "गैंग के सदस्यों ने अपने और अलग-अलग संस्थाओं के नाम पर 40 से ज़्यादा बैंक खाते खुलवाए थे, जिनमें लगभग 100 करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ है."
हालाँकि उनके गाँव के रहने वाले फूल चंद्र पांडेय का कहना है, "हमसे उनकी मुलाक़ात होती रही है, लेकिन यहाँ धर्मांतरण की कोई गतिविधि सामने नहीं आई. बाहर क्या हो रहा था, इसके बारे में हमें जानकारी नहीं है."
स्थानीय लोगों के मुताबिक़ नग और अंगूठी बेचने के सिलसिले में छांगुर बाबा का मुंबई आना-जाना होता था.
पुलिस ने बताया कि नवीन रोहरा उर्फ़ जमालुद्दीन और उनकी पत्नी नीतू रोहरा उर्फ़ नसरीन की मुलाक़ात छांगुर बाबा से मुंबई में हुई थी.
उन्होंने अपने पूरे परिवार के साथ इस्लाम अपना लिया था. इस्लाम कबूल करने के बाद यह परिवार उतरौला में रहने लगा और वहाँ एक अस्पताल का निर्माण शुरू कराया.
पुलिस ने छांगुर बाबा को सह-अभियुक्त नीतू रोहरा उर्फ़ नसरीन के साथ पाँच जुलाई को गिरफ़्तार किया था.
सभी अभियुक्तों पर विदेशी फ़ंडिंग के ज़रिए करोड़ों रुपए की संपत्ति अर्जित करने का भी आरोप है. इसी कारण इस मामले की जाँच ईडी भी कर रही है.
इस मामले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, "उत्तर प्रदेश सरकार क़ानून-व्यवस्था को लेकर किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं बरतेगी. अभियुक्त और उसके गिरोह से जुड़े सभी अपराधियों की संपत्तियाँ जब्त की जाएँगी और उन पर सख़्त क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी."
इससे पहले आठ अप्रैल को पुलिस ने बाबा के पुत्र महबूब और सहयोगी नवीन रोहरा को गिरफ़्तार किया था.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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