अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह एक व्यापक टैरिफ़ योजना की घोषणा की थी. इससे दुनियाभर की अर्थव्यवस्था और अमेरिका के सहयोगियों के साथ उसके दीर्घकालिक व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ने वाला था.
लेकिन यह योजना या कम से कम इसका एक बड़ा हिस्सा फ़िलहाल ठंडे बस्ते में है. क्योंकि ट्रंप ने चीन के साथ ट्रेड वॉर पर ज़्यादा ध्यान दिया है, जबकि बाक़ी ज़्यादातर देशों पर लगाए गए उच्च टैरिफ़ दर पर 90 दिनों के लिए रोक लगा दी है.
तो क्या इस उलटफेर के साथ ट्रंप व्यापार के मुद्दे पर अपने लक्ष्यों को हासिल करने के क़रीब हैं?
इस कहानी में उनकी पाँच प्रमुख महत्वाकांक्षाओं पर एक नज़र डालने और यह जानने की कोशिश की गई है कि ट्रंप के लक्ष्य फ़िलहाल कहां हैं?
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ट्रंप ने क्या कहा था : दशकों से हमारे देश को पड़ोसी और अन्य दूसरे देशों, जिनमें दोस्त और दुश्मन दोनों शामिल हैं, उन्होंने लूटा है, डाका डाला है और चोरी की है.
ट्रंप की मूल टैरिफ़ योजना कई बड़े झटकों से भरी थी, जिसका असर पूरी दुनिया पर पड़ा भी, जिसमें सभी पर एक समान 10% टैरिफ़ लगाया गया. जबकि 60 देशों पर अतिरिक्त "रेसिप्रोकल" टैरिफ़ लगाया गया, जिनके बारे में ट्रंप ने कहा कि ये देश सबसे ज़्यादा दोषी हैं.
ट्रंप के इस फ़ैसले से उनके दोस्त और विरोधी दोनों ही घबरा गए, क्योंकि उन्हें अपनी अर्थव्यवस्था पर बड़ा आघात लगने की आशंका सता रही थी.
अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस ने दुनियाभर के उन सभी नेताओं को लेकर अपनी शेखी बघारी है, जिन्होंने टैरिफ़ के मुद्दे और व्यापार पर रियायत के लिए राष्ट्रपति से संपर्क किया है.
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट के मुताबिक़ ऐसे देशों की संख्या "75 से ज़्यादा" है.
ट्रंप प्रशासन ने उन देशों की सूची जारी नहीं की है जिनके बारे में ट्रंप ने मंगलवार को कहा था कि वे "मेरी चापलूसी कर रहे हैं" और कुछ भी करने का वादा कर रहे हैं.
हालांकि अमेरिका ने घोषणा की है कि वह अन्य देशों के अलावा साउथ कोरिया और जापान के साथ बातचीत कर रहा है.
ट्रंप को क्या हासिल हुआ?
अमेरिका के व्यापारिक साझेदारों के पास ट्रंप के साथ किसी तरह का समझौता करने के लिए 90 दिनों का समय है, जो लगातार बीतता जा रहा है. लेकिन अन्य देशों के साथ चल रही बातचीत बताती है कि राष्ट्रपति ट्रंप के पास अपनी कोशिशों के बदले कुछ पाने का अच्छा मौक़ा है.
ट्रंप ने क्या कहा- हमारे देश में नौकरियां और फ़ैक्टरियां वापस आएंगीं. हम अपने घरेलू उद्योगों का विकास करेंगे.
ट्रंप कई दशक से कहते आए हैं कि टैरिफ़ अमेरिका के मैन्युफ़ैक्चरिंग बेस को अनुचित विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाकर फिर से खड़ा करने का एक असरदार तरीका है.
अमेरिका में कुछ फ़ैक्टरियां मौजूदा व्यवस्था में ही उत्पादन बढ़ा सकते हैं. हालांकि, इसके लिए अधिक ठोस कदम उठाने में समय लगेगा.
जबकि उद्यमी अपनी उत्पादन केंद्र को "फिर से स्थापित" करने और नए कारखानों में निवेश करने से पहले वो यह जानना चाहेंगे कि अब टैरिफ़ को लेकर चल रहा यह खेल थोड़ा स्थिर हो चुका है.
हालांकि पिछले हफ़्ते ट्रंप ने टैरिफ़ बढ़ाने और घटाने के लिए जो कदम उठाए हैं वो स्वाभाविक रूप से अस्थिर हैं.
फिलहाल, यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि अंतिम टैरिफ़ क्या होगा और किन उद्योगों पर इसका सबसे ज़्यादा असर होगा.
आज इसका असर सबसे ज़्यादा कार निर्माता और स्टील उत्पादक पर होने की संभावना दिखती है तो कल हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों पर इसका सबसे ज़्यादा असर दिख सकता है.
ट्रंप को क्या हासिल हुआ- जब टैरिफ़ राष्ट्रपति की मर्जी से लगाए और हटाए जाते हैं, तो इस बात की ज़्यादा संभावना है कि अमेरिका और विदेशों में मौजूद कंपनियां चुपचाप बैठी रहेंगी और कोई भी बड़ा कदम उठाने से पहले इस हलचल के शांत होने का इंतज़ार करेंगी.
ट्रंप ने क्या कहा- मैं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और चीन का बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन उन्होंने हमसे जबरदस्त फायदा उठाया है.
बुधवार को ट्रंप के टैरिफ़ संबंधी फैसले के बाद व्हाइट हाउस के कई अधिकारियों ने फौरन कहा कि ट्रंप का लक्ष्य असली विलेन चीन पर चोट करना था. ऐसा कहने वालों में वित्त मंत्री बेसेन्ट भी शामिल थे.
बेसेन्ट ने संवाददाताओं से कहा, "चीन अमेरिकी व्यापार समस्याओं के लिए सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदार है, और वास्तव में वो पूरी दुनिया के लिए भी समस्या है."
यदि ट्रंप चीन के साथ इच्छाशक्ति की लड़ाई लड़ना चाहते थे और दोनों ही पक्षों की आर्थिक और राजनीतिक पीड़ा को सहने की क्षमता को परखना चाहते हैं तो उन्होंने इसे परख लिया है.
भले ही राष्ट्रपति और उनके सहयोगियों ने संकेत दिया हो कि वो इससे बाहर निकलने का रास्ता तलाश रहे हैं.
बुधवार को ट्रंप ने कहा कि उन्होंने मौजूदा व्यापार विवाद के लिए चीन को नहीं, बल्कि पिछले अमेरिकी नेताओं को दोषी ठहराया है. इससे एक दिन पहले व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा था कि अगर चीन टैरिफ़ के मुद्दे पर सौदा करने के लिए आगे आता है तो राष्ट्रपति "आश्चर्यजनक तौर पर उदार" होंगे.
ट्रंप को क्या हासिल हुआ- भले ही यह टकराव ट्रंप चाहते हों, लेकिन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और उसके पास मौजूद सैन्य ताकत के साथ लड़ना बहुत बड़ा जोखिम है. इस तरह अमेरिका ने अपने उन सहयोगियों को भी अलग-थलग कर दिया है, जिनकी उसे इस समय सबसे ज़्यादा जरूरत है.
4. राजस्व में बढ़ोतरीट्रंप ने क्या कहा- अब समृद्ध होने की बारी हमारी है और ऐसा करने में हमें अपने टैक्स को कम करने और अपने राष्ट्रीय कर्ज़ का भुगतान करने के लिए खरबों-खरबों डॉलर का इस्तेमाल करना चाहिए, और यह सब बहुत जल्द होगा.
पिछले साल के राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप नियमित रूप से यह कहते रहे थे कि उनके प्रस्तावित टैरिफ़ से भारी मात्रा में नया राजस्व हासिल होगा, जिसका इस्तेमाल अमेरिका अपने बजट घाटे को कम करने, टैक्स में कटौती करने और नए सरकारी योजनाओं के बदले भुगतान में कर सकता है.
अमेरिका में टैक्स पॉलिसी पर नज़र रखने वाले 'टैक्स फाउंडेशन' ने पिछले साल एक अध्ययन में अनुमान लगाया था कि 10% के आम टैरिफ़, जिस पर फ़िलहाल ट्रंप ने कम से कम अगले 90 दिनों के लिए सहमति जताई है, उससे अगले 10 साल में 2 ट्रिलियन डॉलर का नया राजस्व हासिल होगा.
बायपार्टिसन पॉलिसी सेंटर के मुताबिक़ अमेरिकी कांग्रेस ने हाल ही में अपने गैर-बाध्यकारी बजट में जो कर कटौती शामिल की है, उससे अगले 10 साल में क़रीब 5 ट्रिलियन डॉलर की कमी आएगी.
ट्रंप को क्या हासिल हुआ- ट्रंप अधिक टैरिफ़ राजस्व चाहते थे. अगर वो अपने आधारभूत टैरिफ़ के साथ ही कुछ आयातों पर अतिरिक्त टैक्स और चीन पर बड़े टैक्स लगाते हैं, तो उन्हें यह मिल जाएगा. कम से कम, तब तक जब तक कि अमेरिका अधिक घरेलू उत्पादन की तरफ नहीं बढ़ जाता.

ट्रंप ने क्या कहा- अंत में घरेलू स्तर पर अधिक उत्पादन का मतलब होगा मजबूत प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ताओं के लिए कम कीमत पर सामान उपलब्ध होना. यह वास्तव में अमेरिका के लिए स्वर्ण युग होगा.
पिछले सप्ताह ट्रंप ने व्यापार पर जो बड़े आक्रामक कदम उठाए हैं, उसके बारे में विश्लेषकों और विशेषज्ञों ने कई तरह के स्पष्टीकरण दिए हैं.
जैसे कि क्या वो ब्याज़ दरों को कम करने या अमेरिकी डॉलर का अवमूल्यन करने या व्यापार पर एक नए वैश्विक समझौते के लिए दुनिया को एक साथ लाने की कोशिश कर रहे थे? हालांकि राष्ट्रपति ने ख़ुद इस तरह की विस्तृत योजना के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं कहा है.
एक मुद्दा जिस पर उन्होंने लगातार बात की है, वह है अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए महंगाई कम करने की उनकी इच्छा. उन्होंने वादा किया है कि उनकी व्यापार नीति इस समस्या को हल करने में मदद करेगी.
हालाँकि ट्रंप की टैरिफ़ योजना की घोषणा के बाद से ही ऊर्जा की कीमतों में गिरावट आई है, लेकिन यह इस डर का नतीजा भी हो सकता है कि ट्रेड वॉर वैश्विक मंदी को बढ़ावा दे सकते हैं.
अर्थशास्त्रियों के बीच इस बात को लेकर आम सहमति यह है कि नए टैरिफ़ से महंगाई बढ़ेंगी. पिछले साल टैक्स फाउंडेशन ने अनुमान लगाया था कि 10% के आम टैरिफ़ से अमेरिकी परिवारों का ख़र्च पहले साल औसतन 1,253 डॉलर बढ़ जाएगा.
अर्थशास्त्रियों ने यह भी चेतावनी दी है कि कम आय वाले अमेरिकियों पर इसका सबसे ज़्यादा असर पड़ेगा.
ट्रंप को क्या हासिल हुआ- महंगाई एक ग़लत दिशा में बढ़ने वाला तीर है. यह ट्रंप की राजनीतिक स्थिति और उनकी पार्टी की भावी चुनावी संभावनाओं के लिए एक बहुत बड़ा बोझ बन सकती है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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