सोमवार को एशिया के तमाम शेयर बाज़ारों में भारी गिरावट देखी गई. दो अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत दुनिया के अधिकतर देशों से अमेरिका आने वाले सामान पर आयात शुल्क की घोषणा की थी.
इसके बाद से ही एशिया के साथ-साथ अमेरिका के शेयर बाज़ारों में भी उथल-पुथल मच गई.
हालांकि, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, "मैं किसी चीज़ में गिरावट नहीं चाहता, लेकिन कभी-कभी चीज़ें ठीक करने के लिए दवाई लेनी पड़ती है."
सोमवार को एशिया के बड़े शेयर बाज़ारों के खुलते ही भारी गिरावट दर्ज की गई. आइए, देखते हैं कि भारत समेत बाकी किन-किन देशों में कितनी बड़ी गिरावट देखने को मिली?
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अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ़ लगाए जाने की घोषणा का असर भारत के शेयर बाज़ार में भी देखने को मिला.
सोमवार सुबह निफ्टी में चार फ़ीसदी से ज़्यादा की गिरावट देखने को मिली. वहीं, सेंसेक्स में 2,300 पॉइंट से ज़्यादा की गिरावट दिखी.
एशिया के बाकी देशों में भी शेयर बाज़ार का हाल कुछ ऐसा ही रहा.
- जापान के निक्केई में 6.3 फ़ीसदी की गिरावट
- *हांग कांग के हेंग सेंग में 9.8 फ़ीसदी की गिरावट
- *मैनलैंड चाइना के शंघाई कंपोजिट में 6.6 फ़ीसदी की गिरावट
- ऑस्ट्रेलिया के एएसएक्स 200 में 4.5 फ़ीसदी की गिरावट
- दक्षिण कोरिया के कॉस्पी में 4.4 फ़ीसदी की गिरावट
- *ताइवान के ताइएक्स में 9.6 फ़ीसदी की गिरावट
- सिंगापुर के एसटीआई में 7.1 फ़ीसदी की गिरावट
- अमेरिका के डाउ जोन्स फ्यूचर्स में 2 फ़ीसदी की गिरावट
*शुक्रवार को सार्वजनिक अवकाश होने के कारण यहां के शेयर बाज़ार बंद थे.

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने मार्केट में मची खलबली पर अपनी राय रखी है. अमेरिकी राष्ट्रपति के विमान एयरफ़ोर्स वन पर यात्रा के दौरान ट्रंप ने अचानक पत्रकारों से बात की.
जब शेयर बाज़ार के बारे में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, "बाज़ार में क्या होने वाला है, यह मैं आपको नहीं बता सकता हूं. मगर, हमारा देश ज़्यादा मज़बूत है."
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, "मैं किसी चीज़ में गिरावट नहीं देखना चाहता, लेकिन कभी-कभी चीज़ें ठीक करने के लिए आपको दवाई लेनी पड़ती है."
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने यह भी दावा किया है कि टैरिफ़ लगने के बाद नौकरियां और निवेश अमेरिका में वापस आ रहे हैं. और दुनिया जल्द ही अमेरिका के साथ बुरा व्यवहार करना बंद कर देगी.
ट्रंप टैरिफ़ लगाने के फ़ैसले का बचाव करते नज़र आए. उन्होंने कहा कि कोई भी व्यवस्था अस्थाई होगी.
उन्होंने कहा, "मैंने कई यूरोपीय और एशियाई नेताओं से बात की है. वो लोग समझौता करने के लिए बेताब हैं."
ये भी पढ़ेंआर्थिक मामलों के जानकार मानते हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ़ लगाकर शेयर बाज़ार में उथल-पुथल होने की आशंका को तेज़ कर दिया था.
बीबीसी ने इस मामले में आर्थिक विश्लेषक जूलिया ली से बातचीत की. वह एफ़टीएसई रसेल से जुड़ी हैं. यह लंदन स्टॉक एक्सचेंज की एक सहयोगी कंपनी है.
जूलिया ली ने बीबीसी को बताया, "तमाम शेयर बाज़ार लुढ़कते हुए दिख रहे हैं. सभी क्षेत्रों में कम ट्रेडिंग हो रही है. अमेरिका में ट्रेडिंग का कम होना इस बात का संकेत है कि आज रात फिर वॉल स्ट्रीट पर एक मुश्किल दौर आएगा."
उन्होंने कहा, "टैरिफ़ से महंगाई और मंदी को लेकर पनप रही आशंकाएं बढ़ रही हैं."
इसके अलावा, बीबीसी के बिज़नेस टुडे कार्यक्रम में आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ नील न्यूमैन ने भी इस विषय पर अपने विचार रखे हैं.
उन्होंने कहा कि शेयर बाज़ार के संभलने की संभावना है, लेकिन मंदी का संकट मंडराता दिख रहा है.
नील न्यूमैन जापान की एक कंपनी एट्रिस एडवाइज़री टोक्यो में हेड ऑफ़ स्ट्रैटेजी हैं.
जापान के शेयर बाज़ार में बैंकिंग स्टॉक्स, धातु, खनिज और टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री पर गहरी मार पड़ी है.
उन्होंने कहा, "अमेरिका एक महत्वपूर्ण बाज़ार है, मगर दुनिया में वो अकेला बाज़ार नहीं है. जापान, चीन और दक्षिण कोरिया के बीच तो बातचीत भी शुरू हो चुकी है."
न्यूमैन ने कहा, "जब तक नए व्यापारिक रिश्ते नहीं बन जाते, तब तक दुनिया में मंदी का संकट मंडराता रहेगा."
ये भी पढ़ेंएशियाई बाज़ारों की तर्ज पर भारतीय शेयर बाज़ार भी सोमवार सुबह से ही काफ़ी गिरावट के साथ चल रहे हैं. मार्च में बाज़ार में देखी गई थोड़ी-सी तेज़ी, टैरिफ़ की घोषणाओं के बाद ग़ायब हो गई है.
शेयर मार्केट के विश्लेषक अरुण केजरीवाल ने बीबीसी संवाददाता निखिल इनामदार को बताया कि बाज़ार में उठा पटक फ़िलहाल जारी रहेगी और ट्रेड पर वार्ताएं ही इस गिरावट को थाम सकती हैं.
अमेरिका में मंदी के ख़ौफ़ से भारतीय आईटी कंपनियों में बड़ी गिरावट देखी जा रही है. लोगों को डर है कि अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में गड़बड़ी हुई, तो आईटी कंपनियों के अनुबंधों में कमी आएगी.
बीबीसी संवाददाता निखिल इनामदार के मुताबिक, टैरिफ़ के कारण भारत की ग्रोथ धीमी पड़ सकती है. कई विश्लेषकों ने भारत के जीडीपी के अनुमान को भी कम कर दिया है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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