न्यूज़ रीडर एंड्रिया बर्न शादी के बाद सात सालों तक बांझपन की समस्या से जूझती रहीं. एक समय ऐसा भी आया, जब उन्होंने अपने पति को कोई और जीवनसाथी खोजने को कह दिया था.
एंड्रिया बर्न ने ये तमाम बातें बीबीसी के साथ हुई बातचीत में बताई हैं. एंड्रिया ने उनकी किताब डेस्परेट रेंट्स एंड मैजिक पेंट्स में भी इस बारे में विस्तार से बात की है.
एंड्रिया बर्न ने बताया कि शादी के बाद जब मैंने सात साल तक बांझपन का सामना किया, तो मेरे मन में कई बार ख़याल आता था कि अगर मैं अपने पति की ज़िंदगी में नहीं होती तो शायद उनके लिए ज़्यादा अच्छा होता.
45 वर्षीय एंड्रिया बर्न ने 44 वर्षीय ली बर्न से शादी की थी. ली एक भूतपूर्व रग्बी इंटरनेशनल स्टार हैं, जबकि एंड्रिया आईटीवी के लिए साल 2008 से वेल्स और न्यूज़ नेटवर्क को प्रेज़ेंट कर रही हैं.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिएदरअसल, बर्न को डॉक्टरों ने बोल दिया था कि वह कभी भी माँ नहीं बन पाएंगी. उस वक़्त को याद करते हुए बर्न बताती हैं, “इस समय आप अपराध बोध से भर जाते हैं.”
उन्होंने बताया, “मुझे अच्छे से याद है कि उस वक़्त मैं हमेशा यह महूसस किया करती थी कि ली की ज़िंदगी मेरे बिना ज़्यादा बेहतर होती.”
हालांकि, बर्न और ली साल 2019 में एक बेटी जेमिमा के माता-पिता बने.
यह वो समय था, जब बर्न ने प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण करके उन तमाम बातों को पटखनी दी, जो ऐसा कभी न होने की आशंका जता रहे थे.
ये भी पढ़ेंबर्न ने बताया, “जब मैं अपनी कहानी कह रही होती हूँ तो बहुत सतर्क हो जाती हूँ. हो सकता है कि यह कहानी कहना बहुत आसान हो गया हो, क्योंकि आख़िर में हमें वो मिल गया, जिसकी हमें इच्छा थी.”
उन्होंने कहा, “मगर, मुझे अब भी लगता है कि इस बारे में बात करना ज़रूरी है क्योंकि मैं जानती हूँ कि इस सफ़र के दौरान हम कितने अकेले थे.”
बर्न कहती हैं कि साल 2012 में न्यू ईयर के दिन हमने शादी की थी. इसके बाद हम दोनों ने प्रेग्नेंसी को लेकर प्रयास शुरू कर दिए थे.
उन्होंने बताया, “हम दोनों उस समय 30 साल की उम्र के शुरुआती दौर में थे और मेरे पास ऐसी कोई वजह नहीं थी, जिससे मेरे मन में यह ख़्याल आता कि ऐसा करने में कोई दिक्क़त है.”
बर्न ने बताया कि कुछ समय बाद हम दोनों जाँच के लिए फर्टिलिटी क्लीनिक भी गए थे.
तब अल्ट्रासाउंड में एक बात सामने आई, जिसने हमें परेशान कर दिया था. दरअसल, जाँच में यह सामने आया कि बर्न के गर्भ की परत कुछ मोटी थी, जो उनके गर्भ धारण करने में परेशानी की वजह थी.
बर्न ने इस बारे में अपनी किताब डेस्परेट रेंट्स एंड मैजिक पेंट्स में भी बात की है. उन्होंने इस परेशानी को “एक दुर्लभ अनुवांशिक कमी के तौर पर पारिभाषित किया, जिसे ठीक नहीं किया जा सकता था.”
ये भी पढ़ेंबर्न ने बीबीसी को बताया, “यह एक ऐसी ख़बर है, जिसे आप सुनने की उम्मीद नहीं करते हैं.”
हालांकि, इसके बाद कई तरह की जाँच हुईं. कई प्रक्रियाएं अपनाई गईं. इनमें आईवीएफ़ को लेकर की गई कई कोशिशें भी शामिल हैं.
बर्न ने बताया, “ईमानदारी से कहूं तो ऐसा कितनी बार हुआ, मैं आपको बता भी नहीं सकती हूँ.”
उन्होंने कहा, “हमने आईवीएफ़ के अलावा भी कई कोशिशें कीं, जो अलग-अलग विशेषज्ञों ने हमें बताई थीं.”
बर्न ने कहा, “कुछ जाँच ऐसी भी हुई थीं, जिनमें प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव आए थे. तब मैंने सोचा था कि मैं गर्भवती हो गई हूं, मगर दुर्भाग्य से हमने वो मौका गँवा दिया. यह बिल्कुल भावनात्मक स्तर पर उथल-पुथल मच जाने जैसा था.”
बर्न ने बताया कि जब कई सालों तक गर्भवती होने की कोशिश करने के बाद भी कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला, तो उन्होंने अपने पति के साथ अपने रिश्तों को लेकर बात की. उन्होंने अपने पति से कहा कि “जाओ और किसी और को ढूंढ लो.”
ऐसा करने की वजह को लेकर बर्न ने कहा, “मुझे लगता है कि हम (महिलाएं) बहुत मज़बूत हैं. लेकिन, लड़कों के लिए ऐसी स्थिति बहुत कठिन हो जाती है.”
उन्होंने कहा, “एक समय ऐसा भी आया, जब हम दोनों यह सोचकर हैरान हो जाते थे कि आख़िर हम एक साथ कैसे रह पाए क्योंकि, भावनात्मक तौर पर यह बहुत कठिन था.”
बर्न ने कहा, “मुझे अच्छे से याद है कि मैं अक्सर ली से यह बात कहा करती थी कि जाओ किसी और महिला को ढूंढ लो और वो मेरी बात काट दिया करते थे.”
उन्होंने बताया, “मैं उनसे कहती थी कि कोई और यह काम ज़्यादा आसानी से कर सकेगी और वह मुझसे अक्सर कहते कि हम इस स्थिति में एक साथ ही रहेंगे.”
ये भी पढ़ेंदरअसल, डॉक्टरों ने कपल को कह दिया था कि उनकी आख़िरी उम्मीद केवल सरोगेसी ही थी. और 2018 में दोनों ने अमेरिका में सरोगेसी के लिए संभावनाएं तलाशना शुरू की.
बर्न ने अपनी किताब में इस बात को लेकर विस्तार से लिखा है.
उन्होंने बताया कि एक बार ऐसा हुआ, जब मैं शाम के समाचार प्रस्तुत करने जा रही थी और कुछ समय पहले हम सरोगेसी के बारे में बात कर रहे थे.
बर्न ने लिखा, “मैं आईने में आँखों से निकलते आँसुओं को देखकर पोंछती, फिर बिगड़ा हुआ फाउंडेशन ठीक करती, गहरी साँस लेती और फिर ड्रेसिंग रूम से बाहर निकल जाती.”
उन्होंने बताया, “यह वो समय होता था, जब मैं चेहरे पर मुस्कान के साथ व्यस्त न्यूज़रूम का हिस्सा बनते हुए सेट पर पहुंच जाती थी.”
बर्न ने बताया कि उस समय ऐसा महसूस होता था कि अब सारे रास्ते ख़त्म हो चुके हैं.
बर्न ने कहा, “उस न्यूज़ के बाद हमारे बीच बातचीत हुई और हमने तय किया कि हम साथ मिलकर एक दूसरी ज़िंदगी बनाएंगे.”
उन्होंने कहा, “मैं इस बारे में सोचकर ही बहुत भावुक हो जाती हूं क्योंकि मुझे अपराध जैसा महसूस होता था. ऐसा लगता था कि जो काम हर महिला कर सकती है, वो मैं करने में समर्थ क्यों नहीं हँ.”
बहरहाल, कुछ महीने पहले तमाम विसंगतियों को पीछे छोड़ते हुए बर्न प्राकृतिक तरह से गर्भवती हो गईं.
बर्न ने कहा, “यह शानदार है कि मैं फिर गर्भवती हो गई और इस बार बेटी जेमिमा की माँ बन गई. यह वाकई अविश्वसनीय था.”
उन्होंने बताया, “हम उम्मीद खो चुके थे. डॉक्टरों ने कहा था कि आप कभी भी गर्भ धारण नहीं कर पाएंगी. इसलिए, जब बेटी जेमिमा का जन्म हुआ तो इसने हर उस व्यक्ति की बात को नकार दिया, जिन्होंने ऐसा कभी न होने की आशंका जताई थी. फिर वो मेडिकल हो या फिर विशेषज्ञों की राय. जेमिमा के जन्म ने तमाम आशंकाओं को समाप्त कर दिया.”
ये भी पढ़ेंकिताब लिखने की बात को लेकर बर्न ने बताया कि इस बारे में किताब लिखना उनके लिए बेहद भावनात्मक था. हालांकि, इसके ज़रिए उनको मानसिक दर्द और ग़ुस्से से निजात पाने में मदद भी मिली.
एंड्रिया बर्न अब मेकिंग बेबीज़ फ़र्टिलिटी पॉडकास्ट भी होस्ट करती हैं.
बर्न ने कहा, “मैं जानती हूं कि यह एक घिसा-पिटा सा शब्द है, मगर मुझे लगता है कि यह उस बात को समझने के लिए आपको थोड़ा क़रीब ले जाता है.”
इस किताब में एक चैप्टर इस बात पर भी केंद्रित है, जिसमें बर्न के पॉडकास्ट में आए सितारों ने फ़र्टिलिटी के दौरान हुए अनुभवों को साझा किया था. इनमें प्रेज़ेंटर गैबी लोगान और कॉमेडियन जॉफ़ नॉरकॉट शामिल हैं.
बर्न ने कहा, “मैं जेमिमा को हर दिन देखती हूं और कहती हूं कि मैं बहुत आभारी हूँ.”
उन्होंने बताया, “मैं ख़ुश हूँ कि अपने प्लेटफॉर्म के ज़रिए लोगों पर सकारात्मक प्रभाव डालने में समर्थ हूँ और लोगों की इस मामले में मदद कर पाऊंगी कि वो ऐसी परिस्थितियों में ख़ुद को अलग सा महसूस न करे.”
ये भी पढ़ेंयह सवाल पूछे जाने पर कि क्या उनके पास दूसरी महिलाओं के लिए कोई सलाह है, जो बांझपन का सामना कर रही हैं. इस पर बर्न ने कहा, उनको लगता है कि ख़ुद को लेकर उनको थोड़ा दयालु रहना था.
बर्न ने कहा, “मुझे लगता है कि ऐसा हो जाना बहुत आसान है. जब कभी भी आपको ऐसी किसी बात को लेकर कोई बुरी ख़बर मिलती है, या फ़िर आप पहले से ही किसी बुरे समय का सामना कर रहे होते हैं, तो आप दस कदम आगे का सोच लेते हैं.”
बर्न ने बताया, “और जब तक आपको वास्तविक स्थिति पता लगती है, उससे पहले आप बहुत कुछ कर चुके होते हैं. सोचना बहुत ही आसान है और तब कुछ भी हो जाने की संभावना बनी रहती है. यह वो समय होता है, जब आप बहुत बेबस महसूस करते हैं.”
उन्होंने कहा, “कोई नहीं जानता है कि सड़क पर दस कदम चलने के बाद क्या होने वाला है, इसलिए कोशिश कीजिए और उस पल में जो कुछ भी हो रहा है, उसका सामना कीजिए. मुझे लगता है कि मैंने ऐसा ज़्यादा किया है.”
बर्न ने बताया, “ख़ुद को लेकर थोड़ा ज़्यादा उदार रहें और प्रक्रिया में ख़ुद शामिल हों. ख़ुशियों को खोजने के लिए थोड़ा समय निकालें. जहां से भी आप समय निकाल सकते हैं, ऐसा करें. आपको इसकी ज़रूरत है.”
उन्होंने कहा, “इस मनोस्थिति में दोस्ती, परिवार और आपसे जुड़ी सारी चीज़ें प्रभावित होती हैं. इसलिए ज़रूरी है कि आप ख़ुद को लेकर ज़्यादा उदार रहें.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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