मालदीव 1200 द्वीपों का समूह है. भौगोलिक रूप से मालदीव को दुनिया का सबसे बिखरा हुआ देश कहा जाता है.
एक द्वीप से दूसरे द्वीप पर जाने के लिए फ़ेरी का इस्तेमाल करना होता है. मालदीव की आबादी महज़ 5.21 लाख है.
मालदीव ब्रिटेन से 1965 में राजनीतिक रूप से पूरी तरह से आज़ाद हुआ था. आज़ादी के तीन साल बाद मालदीव संवैधानिक रूप से इस्लामिक गणतंत्र बना था. आज़ादी के बाद से ही मालदीव की सियासत और लोगों की ज़िंदगी में इस्लाम की अहम जगह रही है. 2008 में मालदीव में इस्लाम राजकीय धर्म बन गया था. मालदीव दुनिया का सबसे छोटा इस्लामिक देश है.
26 जुलाई को मालदीव अपना 60वाँ स्वतंत्रता दिवस मना रहा है और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया है. पीएम मोदी का यह तीसरा मालदीव दौरा है.
2023 में मोहम्मद मुइज़्ज़ू के राष्ट्रपति बनने के बाद नरेंद्र मोदी मालदीव पहुँचने वाले पहले विदेशी नेता हैं. मुइज़्ज़ू के मालदीव की सत्ता में आने में भारत विरोधी कैंपेन ने भी भूमिका निभाई थी.
इससे पहले की मालदीव सरकार 'इंडिया फ़र्स्ट' की नीति पर चल रही थी लेकिन मुइज़्ज़ू ने इस नीति को ख़त्म करने का वादा किया था. मुइज़्ज़ू ने चीन से संबंधों को और गहरा किया था.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने लिखा है कि 7.5 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले मालदीव को भारत ने जब डिफॉल्ट होने से बचाया, तब मुइज़्ज़ू ने भारत को लेकर अपना रुख़ बदला. राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज़्ज़ू ने पहले तुर्की, यूएई और चीन का दौरा किया था. इसके बाद मुइज़्ज़ू ने भारत से भी कड़वाहट दूर करने की पहल शुरू की.
जब भारत को लेकर मालदीव की सरकार की तरफ़ से बहुत आक्रामक बयान आ रहे थे, तब भी भारत के आधिकारिक बयान में सब्र और संयम देखने को मिलता था.
ऐसे में सवाल उठता है कि एक छोटे देश, जिसकी अर्थव्यवस्था महज़ साढ़े सात अरब डॉलर की है, उसे लेकर भारत ने इतना संयम क्यों दिखाया?
मालदीव जहाँ स्थित है, वही उसे ख़ास बनाता है. हिन्द महासागर के बड़े समुद्री रास्तों के पास मालदीव स्थित है.
हिन्द महासागर में इन्हीं रास्तों से अंतरराष्ट्रीय व्यापार होता है. खाड़ी के देशों से भारत में ऊर्जा की आपूर्ति इसी रास्ते से होती है. ऐसे में भारत का मालदीव से संबंध ख़राब होना किसी भी लिहाज़ से ठीक नहीं माना जा रहा है.
बांग्लादेश में भारत की उच्चायुक्त रहीं वीना सीकरी कहती हैं कि मालदीव एक अहम मैरीटाइम रूट है और वैश्विक व्यापार में इसकी ख़ास भूमिका है.
सीकरी कहती हैं, ''भारत के आर्थिक और रणनीतिक हितों के लिए यह रूट काफ़ी अहम है. ख़ासकर खाड़ी के देशों से भारत का ऊर्जा आयात इसी रूट से होता है. मालदीव के साथ संबंध अच्छा होना भारत की ऊर्जा सुरक्षा को भी सुनिश्चित करता है. भारत के मैरीटाइम सर्विलांस में भी मालदीव का सहयोग अहम है.''
थिंक टैंक ओआरएफ़ के सीनियर फ़ेलो मनोज जोशी कहते हैं कि "जहाँ मालदीव स्थित हैं, वहाँ अहम समुद्री लेन हैं. ये लेन पर्सियन गल्फ़ से ईस्ट एशिया की ओर जाती हैं. भारत भी व्यापार में इस लेन का इस्तेमाल करता है.''
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मालदीव भारत के बिल्कुल पास में है. भारत के लक्षद्वीप से मालदीव क़रीब 700 किलोमीटर दूर है और भारत के मुख्य भूभाग से 1200 किलोमीटर.
मनोज जोशी कहते हैं, ''अगर चीन ने मालदीव में नेवी बेस बना लिया तो यह भारत के लिए सुरक्षा चुनौती पैदा करेगा. मालदीव में चीन मज़बूत होता है तो युद्ध जैसे हालात में उसके लिए भारत पहुँचना बहुत आसान हो जाएगा. चीन के मालदीव में कई प्रोजेक्ट हैं. चीन के बारे में कहा जाता है, वह मालदीव में नेवी बेस बनाना चाह रहा है. ऐसे में भारत का सतर्क रहना लाज़िमी है.''
मनोज जोशी कहते हैं, ''मालदीव भारत के लिए अब भी चुनौती है. भले नरेंद्र मोदी को मालदीव ने बुलाया है लेकिन राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू ने आर्थिक मजबूरी में ऐसा किया है. मालदीव का जनमत भारत के ख़िलाफ़ अब भी है और मुइज़्ज़ू इसी का फ़ायदा उठाकर जीते थे. मुइज़्ज़ू ने मजबूरी में भारत से संबंध ठीक किया है, न कि वह ऐसा चाहते थे.''
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मालदीव ने चीन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट किया है. मालदीव चीन की महत्वाकांक्षी योजना बेल्ट एंड रोड का भी खुलकर समर्थन कर रहा है और इसमें शामिल भी है.
हिन्द महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी को रोकने में भी मालदीव को अहम माना जाता है. भारत ने मालदीव की कई अहम परियोजनाओं में निवेश किया है. इनमें से ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट चीन को काउंटर करने के रूप में देखा जाता है.
पिछले साल मार्च में मालदीव ने कहा था कि चीन उसे रक्षा के मोर्चों पर मदद करेगा. तब मालदीव के रक्षा मंत्रालय ने एक्स पर लिखा था, ''चीन के साथ हमने जिस समझौते पर हस्ताक्षर किया है, उससे रक्षा मदद भी मिलेगी. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध और मज़बूत होंगे.''
चीन मालदीव में 20 करोड़ डॉलर का चाइना-मालदीव फ्रेंडशिप ब्रिज बना रहा है. कई विश्लेषकों का मानना है कि मालदीव में चीन की बढ़ती मौजूदगी भारत की सुरक्षा के लिए ख़तरा है. पिछले साल जनवरी में मुइज़्ज़ू ने चीन का दौरा किया था और दोनों देशों ने 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे.
इंडियाज़ नेशनल सिक्यॉरिटी एनुअल रिव्यू 2018 के मुताबिक़- 27 दिसंबर, 2016 को मालदीव ने माले एयरपोर्ट से सटे एक द्वीप को चीन को 40 लाख डॉलर में 50 साल के लिए लीज़ पर दिया था. फेयधू फिनोल्हु राजधानी के क़रीब ग़ैर-रिहायशी द्वीप है और इसे ही चीन को लीज़ पर दिया गया था. हिन्द महासागर में चीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है और इसके लिए मालदीव में कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है.
मालदीव ने जुलाई 2016 में एक क़ानून बनाया था, जिसमें नई परियोजनाओं को नीलामी प्रक्रिया से मुक्त कर दिया गया था और इसे चीन को मदद करने के तौर पर देखा गया था.
मनोज जोशी कहते हैं, ''अरब सागर में चीन सैन्य मौजूदगी चाहता है ताकि पर्सियन गल्फ़ से आने वाला तेल सुरक्षित तरीक़े से आता रहे. दूसरी तरफ़ भारत चाहता है कि मालदीव चीन के लिए आसान ठिकाना न बन जाए.''
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मुइज़्ज़ू ने पिछले साल मार्च में कहा था, ''10 मई के बाद मालदीव में किसी भी रूप में भारतीय सैनिकों की मौजूदगी नहीं होगी. भारतीय सैनिक वे चाहे यूनिफॉर्म में हों या फिर सिविलियन ड्रेस में, अब मालदीव में नहीं रहेंगे. मैं यह पूरे आत्मविश्वास के साथ कह रहा हूँ.''
मुइज़्ज़ू ने पिछले साल 13 जनवरी को चीन का दौरा किया था और इस दौरे के बाद भारत का बिना नाम लिए निशाना साधा था.
मुइज़्ज़ू ने भारत का नाम लिए बिना कहा था, ''मालदीव भले छोटा देश है लेकिन इससे किसी को हमें धमकाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता है.'' इसके जवाब में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि धमकाने वाला देश 4.5 अरब डॉलर की मदद नहीं करता है.
थिंक टैंक अनंता सेंटर की सीईओ इंद्राणी बागची कहती हैं कि मालदीव इसलिए भी भारत के लिए अहम हो जाता है क्योंकि वहाँ पर भारत विरोधी भावना अब भी है. बागची कहती हैं, ''मालदीव भारत से प्यार नहीं करेगा लेकिन सुरक्षा चुनौती ना बने इसे सुनिश्चित करना होगा.''
पूरब-पश्चिम शिपिंग लेन के पास होने के कारण मालदीव चीन के लिए भी काफ़ी अहम हो जाता है. चीन में खाड़ी से आने वाला सारा तेल इसी लेन से आता है. इसके अलावा मालदीव के पास ही डिएगो गार्सिया में अमेरिका का अहम नेवल बेस है.
1988 में राजीव गांधी ने सेना भेजकर अब्दुल गयूम की सरकार को बचाया था. 2018 में जब मालदीव के लोग पेयजल की समस्या से जूझ रहे थे तो भारत ने पानी भेजा था.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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