भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष को सीज़फ़ायर में तब्दील करने का श्रेय अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ले रहे हैं.
अब उन्होंने नया दावा करते हुए कहा है कि दोनों देशों ने अमेरिका के साथ व्यापार (ट्रेड) की वजह से ये संघर्ष विराम किया है.
हालांकि बीबीसी को सूत्रों ने बताया है कि पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान अब तक अमेरिका के साथ जितनी भी बातचीत हुई उसमें व्यापार की कहीं चर्चा ही नहीं हुई थी.
भारत ने अब तक जो सीज़फ़ायर के बारे में जो दी है उसमें नहीं है.
22 अप्रैल को पहलगाम हमले में 26 आम लोगों की मौत के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते बेहद ख़राब हो गए थे. इन हमलों के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ हर तरह के व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया था.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने ही रविवार शाम को सबसे पहले सोशल मीडिया पर दोनों देशों के बीच सीज़फ़ायर की घोषणा की थी. इसके साथ ही अगले दिन सोमवार को उन्होंने दोनों देशों की सीमाओं पर शांति बरक़रार रखने की तारीफ़ की थी.
ट्रंप ने क्या कहा?डोनाल्ड ट्रंप रोज़ाना नए दावे कर रहे हैं. अब सोमवार को उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान ये दावा कर दिया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान पर ये कहते हुए सीज़फ़ायर के लिए दबाव डाला था कि अगर ये नहीं हुआ तो वो दोनों देशों के साथ ट्रेड (व्यापार) ख़त्म कर देंगे.
उन्होंने दावा किया कि भारत और पाकिस्तान ने व्यापार की वजह से ये संघर्ष ख़त्म करने को लेकर सहमति जताई थी.
व्हाइट हाउस में , "मेरे प्रशासन ने कई ख़तरनाक परमाणु हथियारों वाले राष्ट्रों भारत और पाकिस्तान के बीच में एक पूर्ण सीज़फ़ायर लागू करने में मदद की. हमने उनकी बहुत मदद की और हमने उनकी ट्रेड से भी मदद की."
"मैंने कहा कि आप दोस्तों के साथ हम बहुत सारा व्यापार करने जा रहे हैं. इसे तुरंत रोकिए और अगर रोकते हो तो व्यापार होगा. अगर नहीं रोकते हो तो हम कोई भी व्यापार नहीं करने जा रहे हैं."
ट्रंप ने इसके बाद अपनी पीठ थपथपाते हुए कहा कि 'मैं आपसे कह सकता हूं कि लोगों ने व्यापार को वास्तव में उस तरह से कभी भी इस्तेमाल नहीं किया जैसा मैंने किया है. उन्होंने ये (सीज़फ़ायर) बहुत सारी वजहों से किया है लेकिन व्यापार सबसे बड़ी वजह है."
"हम पाकिस्तान के साथ बहुत सारा व्यापार करने जा रहे हैं. हम भारत के साथ बहुत सारा व्यापार करने जा रहे हैं. हम इस समय भारत के साथ मोल-भाव कर रहे हैं. हम पाकिस्तान के साथ जल्द मोल-भाव करने जा रहे हैं. और हमने परमाणु संघर्ष रोक दिया. मुझे लगता है कि ये बहुत ख़राब परमाणु युद्ध हो सकता था."
राष्ट्रपति पद संभालने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रेड वॉर छेड़ दिया था जिसके बाद उन्होंने चीन और भारत समेत कई देशों पर टैरिफ़ लगाए थे. हालांकि बाद में उन्होंने इस टैरिफ़ को लागू करने की मियाद को आगे बढ़ा दिया था.

पाकिस्तान के साथ संघर्ष में सीज़फ़ायर को लागू करने में व्यापार की भूमिका होने के ट्रंप के दावे पर भारत ने अब तक आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा है.
हालांकि सूत्रों के हवाले से ये बताया गया है कि पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान भारत की अब तक जितनी भी बातें अमेरिका के प्रतिनिधियों से हुई हैं उसमें कहीं भी ट्रेड या व्यापार का ज़िक्र नहीं किया गया था.
सूत्रों ने बताया कि 6-7 मई की दरमियानी रात में भारत के पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर पर हमले के बाद से अमेरिका से अलग-अलग स्तर पर चर्चा हुई थी.
आठ मई को अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात की थी.
इसके बाद नौ मई को अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की.
रविवार 10 मई को अमेरिकी विदेश मंत्री रूबियो ने जहां पाकिस्तान के सेना प्रमुख से पहले बात की थी उसके बाद उन्होंने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) से बात की.
सूत्रों का कहना है कि इन सभी वार्ताओं के दौरान ट्रेड के संदर्भ में कोई बात नहीं हुई है.
इस बातचीत के बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में दोनों देशों के बीच सीज़फ़ायर की जानकारी दी थी.
वहीं सोमवार को रात आठ बजे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया. इस संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि पाकिस्तान के सैन्य और 'आतंकी ठिकानों' पर कार्रवाई को सिर्फ स्थगित किया गया है.
इस दौरान पीएम मोदी ने साफ़ किया कि पाकिस्तान के साथ तब तक कोई 'टॉक' (बातचीत) नहीं हो सकती जब तक 'टेररिज़्म' (आतंकवाद) साथ चलता रहेगा. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ 'ट्रेड' (व्यापार) तब तक नहीं हो सकता जब तक 'टेररिज़्म' चलेगा.
अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप लगातार दूसरे देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ़ की घोषणा कर चुके हैं. ट्रंप के टैरिफ़ वॉर में बड़ा मौक़ा सोमवार को तब आया जब उन्होंने चीन के साथ व्यापार समझौते की घोषणा की.
अमेरिका की भारत के साथ भी बातचीत जारी है जिसका हवाला डोनाल्ड ट्रंप भी दे चुके हैं. ट्रंप ने भारत पर 26 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ़ लगाने की घोषणा की थी.
भारत ने इसके ख़िलाफ़ कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की बल्कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो से द्विपक्षीय व्यापार समझौते से जुड़े मुद्दे पर बातचीत हुई है.
भारत अमेरिका को दवाइयां, ऑटो कंपोनेंट्स और कपड़े जैसी चीज़ें निर्यात करता है और कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, सैन्य उपकरण और कृषि उत्पाद ख़रीदता है.
कच्चे तेल के मामले में अमेरिका, भारत का पाँचवाँ और एलएनजी (लिक्विफ़ाइड नेचुरल गैस) के मामले में आपूर्ति करने वाला बड़ा देश है.
भारत सरकार साल 2030 तक देश में प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल के शेयर को 6.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करना चाहती है.
अमेरिका भारत को निर्यात से अधिक आयात करता है. साल 2023 में भारत और अमेरिका के बीच 190 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था.
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है. भारत और अमेरिका साल 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुँचाना चाहते हैं.
साल 2023 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 190.08 अरब अमेरिकी डॉलर का था. बाक़ी 66.19 अरब डॉलर का व्यापार सर्विसेस यानी सेवाओं का था.
इसमें भारत का माल निर्यात 83.77 अरब डॉलर और माल आयात आयात 40.12 अरब डॉलर था. यानी इस द्विपक्षीय व्यापार में अमेरिका का व्यापार घाटा 43.65 अरब डॉलर का था.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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