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महारानी कॉलेज में कब और कैसे बनी मजार? जांच टीम सक्रिय, कलेक्टर को जल्द सौंपी जाएगी विस्तृत रिपोर्ट

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जयपुर के महारानी कॉलेज में मौजूद तीन समाधियों को लेकर उठे विवाद की अब जांच शुरू हो गई है। जिला कलेक्टर द्वारा गठित छह सदस्यीय जांच कमेटी ने सोमवार को कॉलेज परिसर का दौरा किया और इन समाधियों के स्थान का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहे और मीडिया समेत किसी भी बाहरी व्यक्ति को परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया गया।

टीम ने समाधियों की फोटोग्राफी और वीडियो रिकॉर्डिंग भी करवाई, ताकि तथ्यों के आधार पर निष्पक्ष रिपोर्ट तैयार की जा सके। सूत्रों के अनुसार यह जांच टीम मंगलवार को जिला कलेक्टर को अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है। रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर इस संवेदनशील मामले में आगे का फैसला लेंगे। गौरतलब है कि हाल के दिनों में समाधियों की वैधता और उनके स्थान को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में बहस तेज हो गई है, जिसके बाद प्रशासन ने मामले की तह तक जाने के लिए जांच के आदेश दिए थे।

एबीवीपी से जुड़े छात्रों ने किया था समाधि निर्माण का विरोध

इससे पहले एबीवीपी से जुड़े छात्रों ने समाधि निर्माण का विरोध किया था। जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया था। इस मामले में भाजपा विधायक गोपाल शर्मा, कांग्रेस विधायक अमीन कागजी और राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के मुख्य सचिव रफीक खान ने भी बयान दिए थे। अमीन कागजी ने कहा था कि ये कब्रें करीब 165 साल पुरानी हैं और इसके स्पष्ट प्रमाण भी मौजूद हैं।

सबके अपने-अपने दावे

विधायक कागजी ने कहा था कि सरकार चाहे तो पुरातत्व विभाग से इनका रिकॉर्ड मंगवाकर जांच करवा सकती है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर ये संरचनाएं हाल ही की हैं तो इतने सालों से यहां कैसे मौजूद थीं? उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक फायदे के लिए धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है, जो सामाजिक सौहार्द के लिए खतरनाक है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का सम्मान बरकरार रखा जाए और बिना तथ्यों के कार्रवाई से बचा जाए।

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