जयपुर न्यूज़ डेस्क , दीपावली हिंदुओं का सबसे प्रमुख त्योहार है। जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और यह भाई दूज पर चलता है। जैसा कि इस त्योहार के नाम से ही ज्ञात होता है, कि दिवाली दीपों का त्योहार है। इस दिन लोग अपने घरों के साथ-साथ गली-मोहल्ले में भी दीपक जलाते हैं। दीपावली पर एक दीपक घी का और अन्य सभी तेल से जलाए जाते हैं। चलिए जानते हैं इसका कारण
ऐसे हुई दीए जलाने की शुरुआत
पौराणिक मान्यता के अनुसार, दिवाली के दिन ही भगवान श्री राम, रावण का वध कर और 14 वर्ष का वनवास समाप्त करने के बाद अपनी नगरी अयोध्या पहुचे थे। इस दिन अमावस्या होने के कारण नगर वासियों ने दीपक जलाकर भगवान श्रीराम का भव्य स्वागत किया था। लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे थे तो अयोध्या वासियों ने दीप माला जलाकर प्रभु राम का स्वागत किया था। तभी से इस दिन को दीपोत्सव के रूप में मनाए जाने की परंपरा शुरू हुई।
दिवाली पर दीप जलाने का महत्व
दीपावली के दिन मिट्टी के दीपक जलाना काफी शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है, जिससे घर-परिवार में सुख-समृद्धि का माहौल बना रहता है। ऐसा कहा जाता है कि दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी का धरती पर आगमन होता है। इस प्रकार दीपक जलाकर मां लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है, ताकि घर में उनका प्रवेश हो सके।
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इसलिए जलाया जाता है घी का दीपक
ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार, दिवाली के दिन यदि मिट्टी के दीपक में सरसों का तेल डालकर जलाया जाए, तो इससे शनि ग्रह मजबूत होता हैं। जिससे सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और में घर में सुख-शांति का वास बना रहता है। वहीं, मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए गाय के घी का दीपक जलाना शुभ माना जाता है। इसलिए दीपावली की रात पहला दीया, मां लक्ष्मी के निमित्त जलाए जाने का विधान है।
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