जयपुर न्यूज़ डेस्क, राजस्थान गवर्नमेंट हैल्थ स्कीम (आरजीएचएस) में चयनित निजी दवा दुकानों पर सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को दवा अनुपलब्ध बताकर वापस लौटाया जा रहा है। प्रदेश के कई जिलों में इस योजना से संबंद्ध अधिकांश मरीजों को पर्ची पर लिखी दवाइयों में से 50 से 90 प्रतिशत तक दवाइयां अनुपलब्ध बताकर नहीं दी जा रही। पूछताछ करने पर दवा विक्रेताओं से जवाब मिल रहा है कि राज्य सरकार से इस योजना के तहत पूरा भुगतान नहीं मिल रहा है। हैरत की बात है कि यह जवाब तब सुनने को मिल रहा है जबकि यह योजना सरकार की ओर से नि:शुल्क नहीं होकर कैशलेस मेडिलेम पॉलिसी की तरह वेतन में से प्रति माह कटौती कर संचालित की जा रही है। गुरुवार के अंक में ‘कर्मचारियों व पेंशनर्स से हर माह वसूली, इलाज के नाम पर धोखा’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित होने के बाद सुबह से शाम तक मात्र
10 घंटे में ही करीब 500 से अधिक शिकायतें प्राप्त हुईं।
इस दर्द पर आरजीएचएस की परियोजना अधिकारी शिप्रा विक्रम से सीधी बात…
Q- दवा विक्रेता दवाइयां नहीं दे रहे, उन्हें भुगतान नहीं मिल रहा?
A- अभी दिवाली वाले दिन 97 करोड़ रुपए जारी किए हैं।
Q- अब कितना बकाया है?
A- भुगतान नियमित प्रक्रिया है। दिवाली के बाद ही भुगतान हुआ है।
A- फिर बकाया भुगतान की बात क्यों?
A- यह दवा विक्रेताओं का दबाव बनाने का तरीका है कि अधिक भुगतान मिलता रहे।
Q- कई को पुनर्भरण का पैसा नहीं मिल रहा?
A- पुनर्भरण के नियम हैं। जिसके कारण पैसा रोका होगा।
Q- पुनर्भरण का वादा मिला, फिर भी कई को पैसा नहीं मिला?
A- इन्हें हमारे पास भेजिए, इसका क्या कारण है दिखवा लेंगे।
मेरे पिताजी और माताजी हॉर्ट के मरीज हैं। उनका कोटा के निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। तीन महीने से उन्हें आरजीएचएस में दवाई नहीं मिल रही। सरकार से पैसों का भुगतान नहीं मिलने की बात कहकर मना कर
दिया जाता है। मेर पति देवीशरण गुप्ता सेल टैक्स विभाग से सेवानिवृत हुए। एसीडेंट होने पर उन्हें हिंडोन से जयपुर के एक निजी अस्पताल लेकर गए। जहां उन्हें भर्ती करके कहा गया कि पैसों का पुनर्भरण हो जाएगा। इलाज में 3 लाख खर्च हुआ। बिल पोर्टल पर अपलोड करने के बावजूद पैसा नहीं मिला।
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