हाल ही में वसुंधरा राजे ने अपने क्षेत्र झालावाड़ में पेयजल संकट की शिकायत पर अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे और उन्हें फटकार लगाई थी। उन्होंने साफ कहा था कि अफसर सो रहे हैं, लोग रो रहे हैं। मैं ऐसा नहीं होने दूंगी। पानी कागजों पर नहीं, बल्कि लोगों की जुबान तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने अफसरों से पाई-पाई का हिसाब मांगा था। खबर सुर्खियों में आने के बाद केंद्र ने संज्ञान लिया और केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल ने राजस्थान सरकार से तत्काल रिपोर्ट मांगी। अब वसुंधरा राजे की नाराजगी के बाद सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है। इसके तहत एक अधीक्षण अभियंता को फटकार लगाई गई है। बताया जा रहा है कि जलदाय विभाग ने झालावाड़ के अधीक्षण अभियंता को एपीओ कर दिया है। इस दौरान अधीक्षण अभियंता को जलदाय विभाग के मुख्य अभियंता और अतिरिक्त सचिव के कार्यालय में उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए हैं। अब कुछ अन्य अफसरों पर भी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
जलदाय विभाग अधीक्षण अभियंता से नाखुश
कहा जा रहा है कि झालावाड़ जिले में जल जीवन मिशन का काम काफी अधूरा है, और लोगों तक पानी नहीं पहुंच रहा है. जबकि इस योजना का रख-रखाव भी ठीक से नहीं हो रहा है. साथ ही कहा गया है कि समय पर टेंडर आमंत्रित नहीं करने के कारण पेयजल संकट की शिकायतें आई हैं. इसके चलते अधीक्षण अभियंता को एपीओ करने का आदेश जारी किया गया है.
बता दें, पेयजल संकट की शिकायत पर मंगलवार (8 अप्रैल) को वसुंधरा राजे ने रायपुर कस्बे के ग्रामीणों के सामने जल जीवन मिशन और जलदाय विभाग के अफसरों को जमकर फटकार लगाई थी. वसुंधरा राजे ने सख्त लहजे में कहा कि प्रधानमंत्री ने जल जीवन मिशन में 42 हजार करोड़ रुपए दिए हैं. एक-एक पैसे का हिसाब दें, झालावाड़ के हिस्से की राशि का क्या किया? हमारी सरकार पेयजल संकट को दूर करने के लिए पैसा दे रही है, लेकिन अफसर योजनाओं का क्रियान्वयन ठीक से नहीं कर रहे हैं.
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