जोधपुर अगले तीन दिनों तक राष्ट्रीय चिंतन का केंद्र रहेगा। यहाँ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा प्रमुख रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक गुरुवार से लालसागर में शुरू होगी। बैठक में आदिवासी मुद्दों और राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा होगी। इसके साथ ही संघ के शताब्दी वर्ष में हिंदू सम्मेलन समेत कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे।संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बताया कि बैठक में संघ से प्रेरित 32 संगठनों के पदाधिकारी और महिला कार्य का समन्वय देखने वाले कार्यकर्ता भाग लेंगे। बैठक में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, सहसरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, मुकुंद, अरुण कुमार, रामदत्त चक्रधर, अतुल लिमये और आलोक कुमार सहित अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहेंगे। बैठक में 320 कार्यकर्ता भाग लेंगे, जिनमें से 249 संगठन पदाधिकारी हैं।
संगठन बताएंगे अनुभव और उपलब्धियाँ
आंबेकर ने बताया कि बैठक में विभिन्न संगठनों की वार्षिक कार्य रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी, जिसमें पूरे वर्ष के अनुभव और उपलब्धियाँ बताई जाएँगी। इनमें विशेष रूप से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, विद्या भारती और सक्षम (दिव्यांगों के लिए कार्यरत) जैसे संगठन शामिल होंगे।
आदिवासी क्षेत्रों की स्थिति पर चर्चा
बैठक में देश के विभिन्न क्षेत्रों, विशेषकर पंजाब, बंगाल, असम और पूर्वोत्तर के आदिवासी क्षेत्रों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों पर चर्चा होगी। आदिवासी समाज में हो रहे सकारात्मक बदलावों और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयासों की समीक्षा की जाएगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यों की समीक्षा
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर विभिन्न संगठनों द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा की जाएगी और शिक्षा क्षेत्र को नई दिशा देने पर विचार किया जाएगा। इसके साथ ही पंच परिवर्तन-सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण अनुकूल जीवन, स्व-आधारित सृजन और नागरिक कर्तव्य पालन जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी।
संघ शताब्दी वर्ष 2 अक्टूबर से
आंबेकर ने बताया कि आगामी शताब्दी वर्ष (2025-26) के कार्यक्रमों की रूपरेखा पर चर्चा की जाएगी। 2 अक्टूबर विजयादशमी से नागपुर से प्रारंभ होकर यह उत्सव स्वयंसेवकों द्वारा मंडल, ग्राम और बस्ती स्तर तक मनाया जाएगा। शताब्दी वर्ष में देशभर में हिंदू सम्मेलन, गृह संपर्क, सद्भावना सभाएँ, प्रमुख नागरिक संगोष्ठियाँ और युवा कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे।
आधुनिकता के साथ स्थानीयता को भी तरजीह
गुरुवार को आयोजित आरएसएस की प्रेस कॉन्फ्रेंस में आधुनिकता के साथ स्थानीयता को भी समान महत्व दिया गया। डिजिटल युग में सभी वक्ताओं के नोट्स कागज़ों की बजाय टैबलेट में मौजूद थे। प्रसारण का सीधा प्रसारण भी किया गया। इसके अलावा, प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए बनाई गई पृष्ठभूमि स्थानीयता की झलक दे रही थी। बाबा रामदेव, खेजड़ली मेले और वीर तेजाजी की झलक दिखाने वाले इस बैनर ने मारवाड़ के महत्व पर प्रकाश डाला। आंबेकर ने स्वयं कहा कि जोधपुर और मारवाड़ शुरू से ही आरएसएस के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं।
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