आपातकालीन स्थिति में यात्रा के लिए कन्फर्म टिकट पाना रेल यात्रियों के लिए अब भी बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे जोन करंट टिकट बुकिंग और तत्काल कोटे की सुविधा देने का दावा कर रहा है, लेकिन हकीकत इसके उलट है। करंट टिकट की सुविधा सिर्फ कागजों तक ही सीमित है, जबकि तत्काल कोटा चंद मिनटों में ही फुल हो जाता है। इसका खामियाजा आपातकालीन स्थिति में यात्रा करने वाले यात्रियों को भुगतना पड़ता है। गर्मी की छुट्टियों के चलते जयपुर से संचालित होने वाली लंबी दूरी की अधिकतर ट्रेनें फुल हैं। इनमें स्लीपर के साथ ही फर्स्ट एसी कोच में भी रिजर्वेशन कराने के बाद भी कन्फर्म टिकट नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में यात्रियों को रेलवे की इन सुविधाओं से उम्मीदें हैं, लेकिन अधिकतर को निराशा ही हाथ लग रही है। कई ट्रेनों में नो रूम की स्थिति बनने लगी है, जिसके चलते लोगों ने ट्रेनों में कन्फर्म टिकट मिलने की उम्मीद छोड़ दी है और अन्य विकल्पों पर विचार करना शुरू कर दिया है। स्टेशनों पर स्थापित काउंटरों पर न तो सही जानकारी मिल पा रही है और न ही ऑनलाइन बुकिंग में कोई बड़ी राहत मिल रही है।
पीक सीजन में स्पेशल ट्रेनें
उत्तर-पश्चिम रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि जिन ट्रेनों में सीटों के लिए मारामारी कम है, वहां यात्री इन सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। वहीं, जो ट्रेनें फुल चल रही हैं, उनमें दिक्कत आ रही है। हालांकि, सीजन में इस समस्या का कोई समाधान नहीं है। भीड़ को देखते हुए रेलवे अतिरिक्त कोच जोड़ने के साथ ही स्पेशल ट्रेनें भी चला रहा है। इससे यात्रियों को काफी हद तक राहत मिल रही है।
विंडो से टिकट बुकिंग पर भी निराशा
तत्काल कोटे से टिकट लेने के लिए रेलवे आरक्षण खिड़की पर रोजाना लंबी कतारें लग रही हैं। स्लीपर और एसी श्रेणी की टिकटें महज एक घंटे के लिए बुक होती हैं, लेकिन वहां से भी लोगों को निराशा ही मिल रही है। इन दिनों जयपुर से संचालित होने वाली अधिकांश ट्रेनों में तत्काल कोटे की टिकट बुकिंग खुलते ही चंद मिनटों में खत्म हो जाती है। जिसके कारण अधिकांश यात्रियों को तत्काल कोटे में वेटिंग मिल रही है। जयपुर से देहरादून, कोलकाता, हरिद्वार, गुवाहाटी, अयोध्या, लखनऊ, पुरी समेत कई लंबे रूट की ट्रेनों में यह समस्या ज्यादा है।
विशेषज्ञों ने कहा, नई ट्रेनों की कमी
रेलवे विशेषज्ञों ने बताया कि यात्रियों के अनुपात में ट्रेनों की संख्या कम होने से हर सीजन में ऐसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। अधिक मांग वाले रूटों पर नियमित रूप से नई ट्रेनें चलाने की जरूरत है। इससे पुरानी ट्रेनों पर यात्रियों का दबाव कम होगा। जबकि रेलवे नई ट्रेनें चलाने की बजाय सिर्फ कुछ ट्रेनों में कोच की संख्या बढ़ाकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है।
You may also like
आईपीएल 2025: हैदराबाद ने पंजाब को 8 विकेट से हराया, अभिषेक शर्मा ने लगाया शानदार शतक
कांग्रेस का प्रो-टेरर एजेंडा उजागर, कन्हैया के बयान से देशद्रोह का चेहरा आया सामने : प्रदीप भंडारी
दलित सांसद के कंधे पर बंदूक रखकर गोली चला रहे अखिलेश यादव : अनिल राजभर
लिटन दास की चोट से पाकिस्तान सुपर लीग में बड़ा झटका
सतनाः खेलते-खेलते पानी से भरे गड्ढे में गिरी तीन बहनें, डूबने से तीनों की मौत