राजस्थान की राजधानी जयपुर के प्रतिष्ठित सवाई मानसिंह (SMS) हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर में रविवार देर रात भयावह हादसा हुआ। ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में आग लगने से 7 मरीजों की मौत हो गई, जिनमें 3 महिलाएं भी शामिल हैं। यह घटना अस्पताल प्रशासन और मरीजों के परिजनों के लिए गंभीर सदमे की स्थिति उत्पन्न कर गई।
जानकारी के अनुसार, रविवार रात लगभग 11 बजकर 20 मिनट पर ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो आईसीयू वार्ड के स्टोर में अचानक आग लग गई। स्टोर में पेपर, आईसीयू का मेडिकल सामान और ब्लड सैंपलर ट्यूब रखी हुई थीं, जिनमें आग ने तेजी से फैलाव किया। आग की लपटें फैलते ही वार्ड में हड़कंप मच गया और मरीजों एवं स्टाफ में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
ट्रॉमा सेंटर के नोडल ऑफिसर और सीनियर डॉक्टर ने प्रारंभिक जानकारी देते हुए बताया कि यह हादसा शॉर्ट सर्किट के कारण हुआ होने का अनुमान है। आग लगने के समय न्यूरो आईसीयू में कुल 11 मरीज भर्ती थे, जबकि उसके बगल के आईसीयू में 13 मरीज मौजूद थे। हादसे के बाद अस्पताल प्रशासन और दमकल विभाग की टीम ने मिलकर तुरंत आग पर काबू पाया और मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाला।
हादसे के समय मौजूद स्टाफ और डॉक्टरों ने मरीजों को सुरक्षित निकालने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने बताया कि आग लगने के तुरंत बाद सभी मरीजों को दूसरे आईसीयू और हॉस्पिटल के अन्य वार्डों में शिफ्ट कर दिया गया। हालांकि, शुरुआती प्रयासों के बावजूद 7 मरीजों की जान नहीं बचाई जा सकी। अस्पताल प्रशासन ने मृतकों के परिजनों से संपर्क कर उन्हें हादसे की जानकारी दी और जरूरी सहायता देने का आश्वासन दिया।
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इस घटना के बाद राजस्थान सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने भी गंभीरता दिखाते हुए जांच के आदेश दिए हैं। राज्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हादसे की सटीक वजह का पता लगाने के लिए एक टीम बनाई गई है, जो शॉर्ट सर्किट और अन्य संभावित कारणों की पड़ताल करेगी।
हॉस्पिटल प्रशासन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वे मृतकों के परिजनों को हर संभव मदद उपलब्ध कराएंगे और अस्पताल के सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत करने के लिए कदम उठाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि अस्पताल में सभी इमरजेंसी सेवाएं पूरी तरह सक्रिय हैं और आग लगने से आईसीयू की संचालन क्षमता में केवल अस्थायी रुकावट आई है।
परिजनों और मरीजों में भय और गहरी चिंता का माहौल बना हुआ है। सोशल मीडिया पर भी इस घटना की तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिससे जनता में भी संवेदना और चिंता की लहर है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अस्पतालों में आग से सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम होना अत्यंत आवश्यक है। आग की त्वरित रोकथाम और सुरक्षा उपकरणों के प्रयोग से इस तरह के हादसों को कम किया जा सकता है। SMS हॉस्पिटल प्रशासन ने भी भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए आईसीयू और वार्ड में अतिरिक्त सुरक्षा उपायों को लागू करने का निर्णय लिया है।
इस भयावह हादसे ने एक बार फिर अस्पतालों में सुरक्षा मानकों और इमरजेंसी प्रोटोकॉल की आवश्यकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना की जांच पूरी होने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि यह हादसा वास्तव में शॉर्ट सर्किट के कारण हुआ या अन्य किसी मानवीय या तकनीकी कारण से।
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