शिक्षा विभाग ने अब पीईईओ और उससे ऊपर के सभी अधिकारियों के लिए हर महीने चार बार गांवों में रात्रि प्रवास करना अनिवार्य कर दिया है। इस दौरान उन्हें स्कूल की सुविधाओं, व्यवस्थाओं और शिक्षा के स्तर का आकलन करना होगा। शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए ग्रामीणों से संवाद कर स्कूल विकास का फीडबैक लेना होगा। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने स्कूलों में शिक्षा अधिकारियों के कम रात्रि प्रवास के मामले को गंभीरता से लिया है और इसमें सुधार के निर्देश दिए हैं।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने इस संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं, ताकि आदेश महज औपचारिकता न रहे और जमीनी स्तर पर इसका वास्तविक असर दिखाई दे। निदेशक ने स्पष्ट किया है कि अधिकारी गांव में सिर्फ अपनी उपस्थिति दिखाने के लिए नहीं, बल्कि शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक प्रवास करें। इसे सुनिश्चित करने के लिए विभागीय पोर्टल पर रात्रि प्रवास की रिपोर्ट दर्ज कराना अनिवार्य किया गया है। शिक्षक संघ राष्ट्रीय के पीपलू तहसील अध्यक्ष दिनेश कुमार सुनार, सियाराम ब्लॉक अध्यक्ष मोरपाल गुर्जर ने बताया कि पीईईओ और उच्च अधिकारियों के रात्रि प्रवास से सरकारी स्कूलों का ग्रामीणों और अभिभावकों से जुड़ाव बढ़ेगा। विद्यार्थियों की पढ़ाई के स्तर के साथ-साथ अभिभावकों से स्कूल में मूलभूत सुविधाओं पर भी चर्चा की जा सकेगी। उनकी समस्याओं को सुना जा सकेगा। इन सभी गतिविधियों की रिपोर्ट विभागीय पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य किया गया है, ताकि कार्य में पारदर्शिता बनी रहे।
कम रिपोर्टिंग पर निर्देश जारी
24 अप्रैल को शिक्षा अधिकारियों को गांवों में रात्रि प्रवास करने के निर्देश जारी किए गए थे। इसके बाद 29 मई को निदेशालय ने इस संबंध में आदेश जारी किए। लेकिन जून में जब आदेशों के अनुपालन की समीक्षा की गई, तो रिपोर्टिंग कम पाई गई। इसे गंभीरता से लेते हुए शिक्षा निदेशालय ने फिर से निर्देश जारी किए हैं। सभी संभागीय संयुक्त निदेशकों और मुख्य जिला शिक्षा अधिकारियों को निरंतर पर्यवेक्षण और प्रभावी निगरानी के निर्देश दिए गए हैं, ताकि इस योजना का क्रियान्वयन ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ हो।
यह योजना क्यों आवश्यक है?
राज्य के कई सरकारी स्कूल आज भी जर्जर भवन, शिक्षकों की अनुपस्थिति, पानी की समस्या, शौचालयों की दुर्दशा आदि मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। अक्सर मीडिया में खबरें आने या कोई दुर्घटना होने पर शिकायतें सामने आती हैं। लेकिन इस योजना के ज़रिए अब नियमित निगरानी और संवाद के ज़रिए समस्याओं की पहले ही पहचान की जा सकेगी।
ग्रामीणों की भूमिका भी अहम होगी
यह योजना ग्रामीणों को भी शिक्षा व्यवस्था में भागीदार बनाने का एक प्रयास है। अब जब अधिकारी सीधे गाँव में रात बिताएँगे, तो पंचायत सदस्य, अभिभावक और सामाजिक कार्यकर्ता भी सक्रिय भूमिका निभाएँगे। इससे न सिर्फ़ स्कूलों की स्थिति सुधरेगी, बल्कि प्रशासन और जनता के बीच विश्वास भी बढ़ेगा।
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