केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर सफाई देते हुए कहा है कि वक्फ को दान में दी गई संपत्तियों का मुतवल्लियों और तथाकथित धर्म के पैरोकारों ने अपने निजी हितों के लिए दुरुपयोग किया, इसलिए सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा। शेखावत ने सोमवार को राजस्थान के जोधपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बात कही। उन्होंने कहा कि वक्फ के दुरुपयोग के कारण आम मुसलमानों के कल्याण के लिए जो संपत्ति नियोजित की गई थी, उसका उपयोग नहीं हो पाया। वक्फ संशोधन अधिनियम से अब वक्फ की संपत्ति का उपयोग उन लोगों के लिए हो सकेगा जो इसके लिए पात्र हैं। उन्होंने कहा कि आज देश में सबसे ज्यादा संपत्ति अगर किसी के पास है तो वह वक्फ बोर्ड के पास है, जिसका लाभ पात्र लोगों को मिलना चाहिए, लेकिन उन्हें नहीं मिल रहा था। इसीलिए सरकार कानून लेकर आई।
बदलाव देखने को मिलेंगे- शेखावत
एक सवाल के जवाब में शेखावत ने कहा कि एक तरफ जहां भारत का संविधान कहता है कि सभी नागरिक समान हैं, वहीं दूसरी तरफ उसी संविधान में अल्पसंख्यकों और कुछ जातीय समूहों के लिए अलग-अलग व्यवस्थाएं भी की गई हैं। वक्फ इसका एक हिस्सा है, लेकिन बाबा साहब ने संविधान को जीवंत रूप में बनाया ताकि बदलते समय के संदर्भ में इसमें बदलाव किए जा सकें। उन्होंने कहा कि अभी तो इसकी शुरुआत हुई है। वक्फ कानून में संशोधन किया गया है। तीन तलाक को खत्म किया गया है। इंतजार कीजिए, कुछ दिनों बाद देश के सभी लोगों की उम्मीद के मुताबिक ऐसे बदलाव देखने को मिलेंगे।
मंदिरों की संपत्ति से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि ज्यादातर मंदिर राज्य सरकारों की संपत्ति और संपदा हैं। विभिन्न राज्य सरकारों ने मंदिरों के प्रबंधन के लिए देवस्थान बोर्ड की व्यवस्था की है। हमारे राजस्थान में भी लगभग सभी मंदिरों का प्रबंधन काफी हद तक देवस्थान विभाग के पास है। कुछ ही मंदिर हैं, जो या तो पारिवारिक ट्रस्ट के मंदिर हैं या फिर रामदेवरा का मंदिर बिल्कुल अलग है, क्योंकि यह मंदिर नहीं, समाधि स्थल है। इस पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला आ चुका है।
उन्होंने कहा कि सभी राज्यों में ऐसी व्यवस्था की गई, लेकिन दक्षिण भारत के मंदिर अभी भी प्रबंधन ट्रस्ट के पास हैं। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि जब तक देश के बहुसंख्यक लोगों द्वारा ऐसा विषय नहीं उठाया जाता, तब तक इसमें छेड़छाड़ की जरूरत नहीं है। राज्य सरकारों को इसकी व्यवस्था करनी चाहिए।
पेट्रोल और डीजल की कीमतों से जुड़े सवाल पर शेखावत ने कहा कि वर्ष 2014 से पहले देश की सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों को सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त कर दिया था। इनकी कीमतें तय करना पूरी तरह से पेट्रोलियम कंपनी और रिफाइनरी के अधीन है। यह बाजार संचालित है। इसमें सरकार का न्यूनतम हस्तक्षेप होना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हमेशा से सिद्धांत रहा है कि न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन होना चाहिए। हम राज्य के न्यूनतम हस्तक्षेप के सिद्धांत पर काम कर रहे हैं।
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