
मुंबई। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। उन्हें यह जिम्मेदारी सीपी राधाकृष्णन के उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद मिली है। आचार्य देवव्रत रविवार सुबह (14 सितम्बर) को अपनी पत्नी दर्शनादेवी के साथ अहमदाबाद से तेजस एक्सप्रेस द्वारा मुंबई पहुंचे। CM देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर उनका स्नेहपूर्वक स्वागत किया। इस अवसर पर उन्हें औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर भी प्रदान किया गया। राजभवन पहुंचने पर मुंबई पुलिस ने भी उनका औपचारिक स्वागत किया।
आचार्य देवव्रत का शपथ ग्रहण समारोह सोमवार, (15 सितंबर) को सुबह 11 बजे राजभवन, मुंबई के दरबार हॉल में आयोजित होगा। इसके बाद वे महाराष्ट्र के राज्यपाल का पदभार संभालेंगे।
महाराष्ट्र राज्यपाल कार्यालय ने आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उनकी यात्रा से जुड़ी फोटो और वीडियो शेयर किए। जिसमें आचार्य देवव्रत और उनकी पत्नी तेजस एक्सप्रेस में सफर करते दिखाई दे रहे हैं। फोटो के कैप्शन में लिखा गया- ''गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, जिन्हें महाराष्ट्र के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है, रविवार सुबह तेजस एक्सप्रेस से अहमदाबाद से मुंबई के लिए रवाना हुए।''
राष्ट्रपति ने सौंपा अतिरिक्त प्रभार
महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद उन्होंने राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा। राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अजय कुमार सिंह ने 11 सितंबर को आधिकारिक आदेश जारी किया। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि यह नियुक्ति उनके वर्तमान कर्तव्यों के अतिरिक्त महाराष्ट्र के राज्यपाल के कार्यों का निर्वहन करने के लिए की गई है।
जानिए- आचार्य देवव्रत के बारें में..
आचार्य देवव्रत का जन्म 18 जनवरी 1959 को हरियाणा के समालखा में हुआ। उन्होंने गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा दिया और 2015 से 2019 तक हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे। गुजरात में राज्यपाल रहते हुए उन्होंने प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया और लाखों किसानों को प्रेरित किया। वे सामाजिक सुधार, गौ संरक्षण और पर्यावरण जागरूकता में भी सक्रिय योगदान देते रहे हैं। उनके दीर्घ अनुभव और प्रशासनिक कौशल के कारण उन्हें महाराष्ट्र के राज्यपाल की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। अब वह दोनों राज्यों के मामलों पर ध्यान देंगे और राज्यपाल के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करेंगे।